MP Board 12th English Paper: माध्यमिक शिक्षा मंडल भोपाल (MPBSE) द्वारा आयोजित 12वीं बोर्ड (12th Board Exam) की अंग्रेजी की परीक्षा के दौरान भिंड जिले के एक दर्जन से ज्यादा इंग्लिश विषय के प्राइवेट टीचर्स (Private Teachers) को सर्किट हाउस में नजरबंद करने का मामला सामने आया है. परीक्षा के समय भिंड (Bhind) जिला मुख्यालय में तकरीबन एक दर्जन शिक्षकों को सर्किट हाउस (Bhind Circuit House) में नजरबंद करके रखा गया. प्रशासन के इस रवैये पर सभी नजरबंद किए गए टीचर्स ने अपना गुस्सा भी जाहिर किया. शिक्षकों का कहना है कि यह उनका अपमान है. वहीं, इस बारे में भिंड कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव का कहना है कि किसी टीचर को नजरबंद नहीं किया गया है.
दरअसल, यह पूरा घटनाक्रम गुरुवार को हुआ, जब 12वीं कक्षा का अंग्रेजी विषय का पेपर लिया जा रहा था. भिंड शहर में इंग्लिश की कोचिंग संचालित करने वाले तकरीबन एक दर्जन शिक्षकों को ब्लॉक एजुकेशन ऑफिसर के कार्यालय से फोन पहुंचा. इन शिक्षकों को सर्किट हाउस पहुंचने के लिए कहा गया. शिक्षक जब सर्किट हाउस पहुंचे तो सभी को एक हॉल में बिठा दिया गया और यहां उन्हें नजरबंद कर दिया गया.
शिक्षकों ने जताया रोष
इस बारे में जब इंग्लिश के शिक्षक नितिन दीक्षित ने बताया कि नकल न हो जाए इस वजह से प्रशासन ने उन्हें यहां बिठा कर रखा. नितिन दीक्षित ने बताया कि प्रशासन चाहता तो इन सभी प्राइवेट टीचर्स का कहीं भी उपयोग कर सकता था. लेकिन, प्रशासन ने ऐसा करने की बजाय उन्हें यहां बिठा दिया. जो कि उनके लिए न केवल शर्मसार कर देने वाली बात है, बल्कि यह उनका अपमान भी है. नितिन दीक्षित ने कहा कि समाज में उनकी भी इज्जत इस पूरे घटनाक्रम की वजह से खराब होती है. नजरबंद किए गए टीचर्स में शामिल आदित्य चौहान ने बताया कि ब्लॉक एजुकेशन ऑफिस से उनके पास फोन पहुंचा. जिसके बाद सभी लोग सर्किट हाउस पहुंच गए हैं.
नकल के लिए बदनाम रहा है भिंड
वहीं टीचर्स को नजरबंद किए जाने के मामले में जब भिंड कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव से कैमरे पर बातचीत करने की कोशिश की गई तो उन्होंने इनकार कर दिया. आपको बता दें कि भिंड जिला हमेशा से ही नकल के लिए बदनाम रहा है. लेकिन, परीक्षा केंद्रों पर सरकारी शिक्षकों की ड्यूटी रहती है और पूरा प्रशासनिक अमला नकल रोकने के लिए तैनात रहता है. बावजूद इसके प्राइवेट शिक्षकों को प्रशासन द्वारा नजर बंद किए जाने से तमाम तरह के सवाल खड़े हो रहे.
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