रायसेन की दलदल में फंसा सिस्टम! मानसूनी बारिश में खुली विकास की पोल; यहां सब हो रहे हैं परेशान

MP News: यह मध्यप्रदेश का सच्चा हाल है, यहां कागजों पर सड़कों का जाल है. रायसेन में बाड़ी जनपद की घोट पंचायत के पनागर टोला में बारिश के महज दो दिन हुए और एक किलोमीटर की सड़क ने दलदल का रूप ले लिया.

विज्ञापन
Read Time: 4 mins
MP News: बारिश से इस गांव में धुली विकास की तस्वीर

Raisen News: "एमपी अजब है गजब है…" ये लाइन कई बार मज़ाक के तौर पर इस्तेमाल की जाती हैं. लेकिन अब ये हकीकत बन चुकी हैं. ये रायसेन जिले के एक गांव की मौजूदा हालत पर सटीक बैठती हैं. जहां दो दिन की मामूली बारिश ने सरकारी योजनाओं की ऐसी पोल खोली कि गांववालों की ज़िंदगी एक बार फिर दलदल में फंस गई. घोट पंचायत के पनागर टोला की तस्वीरें आपको झकझोर देंगी. यहां छोटे-छोटे बच्चों को स्कूल जाने के लिए कीचड़ पार करना पड़ रहा है और गर्भवती महिला को अस्पताल पहुंचाने के लिए हाथों पर उठा कर ले जाना पड़ रहा है. NDTV की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट में क्या कुछ मिला जानिए यहां.

Raisen News: बारिश से आफत

कहां का है मामला?

ये दृश्य किसी दूर-दराज के जंगल के नहीं हैं, ये मध्यप्रदेश के रायसेन जिले की हकीकत है. बाड़ी जनपद की घोट पंचायत के पनागर टोला में बारिश के महज दो दिन हुए और एक किलोमीटर की सड़क ने दलदल का रूप ले लिया.

Advertisement
छः गांवों (पनागर, घोंट, डिब्बी, नयागांव, कमका और दिमाड़िया) के ग्रामीणों के लिए यही एकमात्र रास्ता है. राशन, स्कूल, अस्पताल — सब यहीं से होकर गुजरता है. लेकिन जब रास्ता ही रास्ता नहीं रह गया, तो जीवन जीना चुनौती बन गया.

Raisen News: कीचड़ भरे रास्ते राशन ले जाते ग्रामीण

किसान बना सहारा

जब सरकारी पीडीएस व्यवस्था फेल हो गई. तो गांव का किसान मसीहा बनकर आया. पुनीत नाम के शख्स ने ट्रैक्टर निकाला और गांव वालों को ट्रॉली से मदद देने लगें. पुनीत बताते हैं कि "कीचड़ में लोग फिसलते हैं, गिरते हैं… इसलिए मैंने खुद राशन पहुंचाना शुरू किया. सरकार ने जब नहीं सुनी, तो हमें ही एक-दूसरे का सहारा बनना पड़ा."

Advertisement
साड़ी पहने… सिर पर अनाज, पैरों में कीचड़… यह है “डिजिटल इंडिया” की ज़मीनी तस्वीर.

ग्रामीण महिला अनिता बाई कहती हैं कि "राशन लेने के लिए संघर्ष करना पड़ता है… रास्ता नहीं है… फिर भी सरकार कहती है – हम सब दे रहे हैं." वहीं सावित्री बाई गुस्से में कहती हैं कि "चुनाव के समय सब आते हैं… टाटा-बाय-बाय करके चले जाते हैं… उसके बाद कोई मुड़कर नहीं देखता."

Advertisement
ग्रामीण  महिला बताती हैं कि कैसे गांव की एक गर्भवती महिला को अस्पताल ले जाने के लिए लोगों को हाथों में उठाकर ले जाना पड़ा.

उनका कहना है कि "एम्बुलेंस आती नहीं… सड़क भी नहीं है… मजबूरी में गोद में उठाकर ले जाना पड़ा." स्कूल खुला है, लेकिन खुशी और अनिता जैसी बच्चियों के लिए वहां तक पहुंचना किसी युद्ध से कम नहीं. अनिता और खुशी स्कूली छात्राएं हैं वे बताती हैं कि "पहला दिन है स्कूल का… बहुत खुशी थी… लेकिन स्कूल पहुंचने से पहले ही कपड़े गंदे, जूते खराब." हर चेहरा एक ही बात कहता है — “हमें सड़क चाहिए… सिर्फ सड़क”. ग्रामीण इंद्रकुमार कहते हैं कि "कई साल से मांग रहे हैं… अब आपसे उम्मीद है."

अब हरकत में आ गए अधिकारी

मीडिया रिपोर्ट सामने आते ही जनपद CEO दानिश अहमद हरकत में आए. अब कहते हैं – रिपोर्ट मंगाई गई है, कार्यवाही होगी. जनपद CEO दानिश अहमद कहते हैं कि "यह एक गंभीर मामला है… पंचायत से रिपोर्ट तलब की गई है, जल्द सड़क निर्माण कराया जाएगा."

यह भी पढ़ें : Dial 108: पन्ना में तड़पती रही गर्भवती महिला; कई कॉल के बाद भी नहीं आयी एंबुलेंस, हेल्थ सिस्टम कहां गया?

यह भी पढ़ें : 41 साल बाद भारत रचेगा इतिहास; 28 घंटों की उड़ान, शुभांशु शुक्ला के Axiom-4 मिशन की पूरी डीटेल्स है यहां

यह भी पढ़ें : Samvidhan Hatya Diwas: लोकतंत्र के इतिहास का काला अध्याय; MP में सालभर होंगे आयोजन

यह भी पढ़ें : MP Anganwadi Bharti 2025: महिला एवं बाल विकास विभाग; कार्यकर्ता-सहायिका के 19504 पदों पर भर्ती, जानिए डीटेल्स

Topics mentioned in this article