Miraculous Temple, Abar Mata Temple Chhatarpur: छतरपुर जिले के घुवारा प्रसिद्ध अबार माता मंदिर लोगों के बीच आस्था का प्रतीक है. यहां 70 फीट ऊंची चट्टान है. जिस पर माता विराजमान है. यह मंदिर छतरपुर जिले की बड़ामलहरा जनपद पंचायत अंतर्गत रामटौरिया पुलिस चौकी क्षेत्र में स्थित है. अबार माता का यह मंदिर-किसी अजूबे से कम नहीं है. महिलाएं अपनी सूनी गोद लेकर इस दरबार में आती हैं और माता रानी उनकी गोद भरती है.
प्रसिद्ध योद्धा आल्हा-उदल ने बनवाया था अबार माता मंदिर
लोगों का कहना है कि माता अवार के मंदिर के इस ऊंचे चट्टान (चीरा) का किस्सा सीधे भगवान भोलेनाथ से जुड़ता है. माना जाता है कि ये चट्टान हर साल शिवरात्रि में तिल भर बढ़ रहा है. कहा जाता है कि बुंदेलखंड के प्रसिद्ध योद्धा आल्हा और ऊदल यहां रुके थे तब माता 70 फीट ऊंची चट्टान पर विराजी माता ने उनको सपना दिया था. जिसके बाद उन्होंने इस मंदिर को बनवाया था.
नवरात्रि में अबार माता का होता है विशेष श्रृंगार
नवरात्रि में अबार माता का हर दिन श्रृंगार होता है. पंचमी और अष्टमी को विशेष श्रृंगार किया जाता है. दरअसल, शारदीय और चैत्र नवरात्र में माता की कृपा पाने लोगों का तांता लगता है.
इस ऊंचे चट्टान के बारे में अनोखी मान्यता है कि माता के स्पर्श मात्र से निःसंतान को संतान की प्राप्ति हो जाती है.
अबार माता मंदिर की बेहद अनूठी है कहानी
900 वर्ष प्राचीन अबार माता मंदिर की कहानी बेहद अनूठी है. दरअसल, पृथ्वीराज चौहान को छकाने वाले आल्हा ऊदल ने अबार माता मंदिर को बनवाया था. कहा जाता है कि करीब साढ़े 900 साल पहले आल्हा ऊदल महोबा से माधौगढ़ जा रहे थे, लेकिन उन्हें वहां पहुंचने में देर यानि बुंदेली भाषा में अबेर हो गई. उन्होंने बियाबान जंगल में ही अपना डेरा डाल दिया. रात में उनके सपने में आराध्य देवी आई और उन्हें इसी स्थान पर मंदिर बनवाने की प्रेरणा दी. जिसके बाद उन्होंने यहां चट्टान पर मां की मढ़िया बनावा कर प्रतिमा स्थापित कराई. तभी से यहां मां को अबार माता के नाम जाना जाने लगा.
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