Mauganj Violence: मऊगंज में कैसे हिंसक हुए आदिवासी? जानें खौफनाक वारदात की पूरी कहानी

Mauganj Violence: मध्य प्रदेश के मऊगंज में 15 मार्च को आदिवासियों ने पुलिस टीम पर हमला कर दिया था, जिसमें एक पुलिसकर्मी की मौत हो गई. तनाव के बाद गांव में फोर्स तैनात कर दी गई है. अब इस मामले में 20 लोगों की गिरफ्तारी हुई है.

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Mauganj Double Murder: मऊगंज के शाहपुर थाना क्षेत्र के गड़रा गांव में 15 मार्च को हुई हिंसा से पूरे प्रदेश में हड़कंप मच गया है. यहां आदिवासी समुदाय के लोगों ने पुलिस टीम पर हमला कर दिया. यह घटना तब हुई जब पुलिस एक युवक के शव को कब्जे में लेने और आरोपी को गिरफ्तार करने के लिए पहुंची थी. हमले में एक एएसआई की मौत हो गई, जबकि तहसीलदार समेत कई पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल हो गए.

हालांकि अब इस मामले में पुलिस ताबड़तोड़ कार्रवाई कर रही है. 20 लोगों को पुलिस हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है. अब तक की कार्रवाई में पुलिस ने 150 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है. पुलिस ने पूरे इलाके को सुरक्षा घेरे में ले लिया और लगातार तलाशी अभियान चला रही है. इसके अलावा सीसीटीवी के आधार पर उपद्रवियों की पहचान करने की कोशिश की जा रही है. कुछ फरार आरोपियों की भी तलाशी जारी है. 

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कैसे हुआ था विवाद?

15 मार्च 2025 को मऊगंज जिले के गड़रा गांव में एक हिंसक घटना सामने आई. इस घटना की शुरुआत एक जमीनी विवाद से हुई. दरअसल, दो महीने पहले सड़क हादसे में अशोक नामक आदिवासी युवक की मौत हो गई थी. उसके परिजनों ने इसे दुर्घटना न मानते हुए इसे हत्या करार दिया और सनी नामक युवक को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया.

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बेरहमी से पीट-पीटकर युवक की हत्या की

15 मार्च 2025 को होली के दिन अशोक के परिवार वालों ने सनी को पकड़कर बंधक बना लिया और बेरहमी से पीटा, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई. इसके बाद दो पक्षों के बीच तनाव बढ़ गया. बता दें कि पुलिस द्वारा सनी को क्लीन चिट देने से असंतोष बढ़ा, जिसके बाद यह कदम उठाया गया.

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पुलिस पर हमला 

सनी को छुड़ाने और स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस और प्रशासनिक टीम गड़रा गांव पहुंची, जहां भीड़ ने पुलिस पर हमला कर दिया. हमले में धारदार हथियारों, कुल्हाड़ियों और पत्थरों का इस्तेमाल किया गया. इस दौरान SAF (स्पेशल आर्म्ड फोर्स) के असिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर (ASI) रामचरण गौतम की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई. इसके अलावा थाना प्रभारी (TI) शाहपुर, तहसीलदार कुंवारेलाल पनिका सहित कई अन्य पुलिसकर्मी घायल हो गए. कुछ अधिकारियों को बंधक भी बनाया गया.

मऊगंज हिंसा की खौफनाक कहानी!

घायल थाना प्रभारी ने बताया कि यह उनके 20 साल के करियर का सबसे खौफनाक मंजर था. भीड़ ने पुलिस टीम को चारों तरफ से घेर लिया और हमला किया, जिससे स्थिति पूरी तरह बेकाबू हो गई.

कैसे भड़की हिंसा ? 

यह हिंसा एक जमीनी विवाद से शुरू हुई, जो दो समुदायों के बीच लंबे समय से चले आ रहे तनाव का परिणाम था. दो महीने पहले अशोक कुमार की मौत ने इस तनाव को और बढ़ा दिया था. आदिवासी समुदाय का मानना था कि पुलिस ने इस मामले में उचित कार्रवाई नहीं की, जिससे उनका गुस्सा भड़क उठा. सनी द्विवेदी को पुलिस द्वारा क्लीन चिट दिए जाने से आदिवासी समुदाय में आक्रोश था. उनका आरोप था कि पुलिस ने निष्पक्ष जांच नहीं की, जिसके चलते उन्होंने खुद "न्याय" करने का फैसला किया.

जब पुलिस गांव पहुंची तो सैकड़ों की संख्या में उग्र भीड़ ने संगठित रूप से हमला किया. पुलिस के अनुसार, यह हमला पहले से सुनियोजित लग रहा था, क्योंकि भीड़ ने हथियारों और रणनीति का इस्तेमाल किया.

प्रशासनिक तैयारियों की कमी!

पुलिस और प्रशासनिक टीम कम संख्या में गड़रा गांव पहुंची थी, जिसके कारण वो भीड़ का मुकाबला करने में असमर्थ रहे. शुरुआती बल प्रयोग भी स्थिति को संभालने में नाकाफी साबित हुआ. हालांकि इस घटना के बाद प्रशासन और पुलिस ने तेजी से कदम उठाए हैं.

पुलिस ने हिंसा में शामिल 20 लोगों को गिरफ्तार कर पूछताछ कर रही है. उपद्रवियों की पहचान के लिए सीसीटीवी फुटेज और स्थानीय सूत्रों का सहारा लिया जा रहा है. रीवा रेंज के DIG साकेत प्रकाश पांडे ने कहा कि सभी दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी, जो एक नजीर बनेगी.

भारी सख्या में पुलिस बल की तैनाती 

स्थिति को नियंत्रित करने के लिए मऊगंज में भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया है. रीवा और सीधी जिलों से अतिरिक्त फोर्स बुलाई गई. कलेक्टर अजय श्रीवास्तव ने गांव में धारा 163 (पहले धारा 144) लागू कर दी है, ताकि शांति व्यवस्था बहाल हो सके. बता दें कि हमलावरों द्वारा छीनी गई मृतक सनी द्विवेदी के पिता की लाइसेंसी राइफल को पुलिस ने बरामद कर लिया है. इसके साथ ही पुलिस ने कुछ अन्य हथियारों को भी जब्त किया है और जांच में यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि हिंसा के पीछे और कौन-कौन शामिल था?

घटना की होगी उच्च स्तरीय जांच?

घटना की गंभीरता को देखते हुए इसकी उच्च स्तरीय जांच मांग की जा रही है. प्रशासन यह पता लगाने की कोशिश कर रहा है कि हिंसा के पीछे का वास्तविक कारण क्या था? और इसे रोकने में कहां चूक हुई? इधर, कलेक्टर और SP सहित वरिष्ठ अधिकारी मौके पर मौजूद हैं. हालांकि तनाव अभी भी बना हुआ है.

पूरे प्रदेश में मचा बबाल 

घटना के बाद पूरे प्रदेश में बबाल मचा हुआ है. डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल से लेकर डीजीपी कैलाश मकवाना, प्रभारी मंत्री लखन पटेल के साथ विधायक प्रदीप पटेल पहुंचे तो वही विपक्ष ने भी कानून व्यवस्था को लेकर सवाल उठाया. इस बीच गड़रा कांड के विरोध में रीवा और मऊगंज में बंद का आह्वान किया गया है. मैहर के रामनगर में सवर्ण समाज के नेतृत्व में युवाओं ने कैंडल मार्च निकालकर शहीद एएसआई रामचरण गौतम और सनी द्विवेदी को श्रद्धांजलि दी. तो वहीं सतना में अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा के प्रदेश अध्यक्ष राजेश दुबे ने डीजीपी के नाम सीएसपी को ज्ञापन दिया. सर्व ब्राह्मण समाज के नेताओं ने मऊगंज कांड के आरोपियों के घरों पर बुलडोजर कार्रवाई की मांग की है. क्षत्रिय रॉयल राजपूत संगठन ने भी रीवा बंद का समर्थन किया है. विंध्य क्षेत्र, सतना और मैहर में ब्राह्मण संगठन सक्रिय हो गए हैं और इस घटना का विरोध कर रहे हैं.

पुलिस ने ताबड़तोड़ कार्रवाई कर अहम सुराग एकत्रित करते हुए 20 से ज्यादा आरोपियों को गिरफ्तार किया है और भी संदिग्ध की पहचान कर लगातार दबिश देकर हिरासत जारी है. दरअसल, घटना को अंजाम देने वाले आरोपियों की संख्या काफी ज्यादा है. लगातार प्रभारी आईजी साकेत पांडे और कमिश्नर बी एस जामोद पूरी घटना पर नजर बनाए हुए हैं. रीवा से लेकर मऊगंज तक प्रशासन एक्शन मोड में है.

पुलिस ने घटनास्थल में इस्तेमाल किए लाठी डंडे, टांगी कुल्हारी, बाको सहित मृतक युवक के पिता की छीनी हुई रायफल सहित मोटरसाइकिल की बरामदगी कर ली है. बता दें कि इस घटना की जांच के लिए अलग अलग टीम गठित की गई है. साथ ही एफएसएल, साइबर सेल की भी मदद ली जा रही है.

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