MP News in Hindi : भिण्ड जिले में सरकारी विभागों में चल रहे फर्जीबाड़े और भ्रष्टाचार की घटनाएं कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. ताजा मामला जिले के मदरसों में फर्जी दाखिलों का है. जिले में संचालित 67 मदरसों में से कई का संचालन कागजों पर ही होता है, और इनमें कई दाखिल छात्रों की वास्तविकता भी सवालों के घेरे में है. यही नहीं, जिले में कई मदरसों में हिंदू बच्चों का नाम फर्जी तरीके से दर्ज किया गया है. हैरान करने वाली बात यह है कि इनमें से अधिकतर बच्चे असल में निजी या सरकारी स्कूलों में पढ़ते हैं और कभी मदरसे में दाखिल नहीं हुए. यह फर्जी दाखिले शासन से मिलने वाले बड़े अनुदान की राशि हड़पने के लिए किए गए हैं. प्रत्येक मदरसे को 50 से 60 हजार रुपये प्रति माह अनुदान मिलता है, जिसका फायदा फर्जी दाखिले कर हड़प लिया जा रहा है.
जानिए क्या है मामला ?
उदाहरण के तौर पर, सुभाष नगर में रहने वाली 13 साल की नैंसी प्रजापति, जो निजी स्कूल लक्ष्मीबाई में पढ़ रही है... उसके नाम का फर्जी दाखिला मदरसे में दिखाया गया है. उसकी मां ने कई बार नाम हटाने की कोशिश की, लेकिन यह मामला अब भी हल नहीं हुआ है. इसी तरह, BTI रोड इलाके के मदरसा हुसैनी फॉर ऑनली गर्ल्स में कक्षा 7 की छात्रा अलका जोशी का नाम दर्ज है, जबकि वह निजी स्कूल में पढ़ रही है. इसी मदरसे में कक्षा 7 में धर्मेंद्र शाक्य का नाम भी दर्ज है, जो दो साल से बीमार है और पढ़ाई नहीं कर रहा.
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अलीमुद्दीन के मकान में संचालित मदरसा दीन-ए-अकबर और हुसैनी प्रोग्राम फॉर ऑनली गर्ल्स पर भी फर्जी नाम दर्ज करने की पुष्टि हुई है. सुभाष नगर के मदरसा मस्जिद नवी में कक्षा 4 की छात्रा रौनक का नाम दर्ज है, जबकि वह एक सरकारी स्कूल में पढ़ रही है और उसके परिवार का भिंड से कोई संबंध नहीं है.
प्रशासन ने क्या कहा ?
इस मामले की गंभीरता को देखते हुए जिला शिक्षा अधिकारी रामदास मित्तल ने जांच के आदेश दिए हैं. उन्होंने कहा कि जांच के बाद फर्जी दाखिले वाले मदरसों की मान्यता निरस्त करने की कार्रवाई की जाएगी. हालांकि, जब उनसे मदरसों के नियम और बायलॉज के बारे में पूछा गया, तो वे कैमरा देखकर कुर्सी से खड़े हो गए. यह मामला सरकारी विभागों में व्याप्त भ्रष्टाचार और फर्जीवाड़े की गंभीर स्थिति को उजागर करता है. अब देखना होगा कि जिला प्रशासन इस मामले में कितनी शीघ्रता और गंभीरता से कार्रवाई करता है.
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