MP News in Hindi : एक साल पहले छत्तीसगढ़ सीआरपीएफ के कोबरा बटालियन के जवान पवन भदौरिया शहीद हो गए थे. लेकिन अपने शहीद बेटे को खोने वाले परिजन सरकार से मिलने वाली सहायता राशि के लिए करीब तीन-चार माह से भटक रहे हैं. भिंड कलेक्ट्रेट के चक्कर काट रहे हैं. लेकिन इसके बाद भी सहायता राशि मिलती नहीं दिख रही है. बता दें, हमेशा विवादों में रहने वाले भिंड कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव अब नए विवाद में घिर गए. इस बार उन पर पूर्व सैनिकों के साथ दुर्व्यवहार करने साथ ही शहीद परिवार को उनका हक नहीं देकर परेशान और अपमानित करने का आरोप लगा है, जिसको लेकर चंबल संभाग के पूर्व सैनिक संघ ने कलेक्ट्रेट के बाहर प्रदर्शन किया.
हालांकि, इस मामले को लेकर NDTV ने डीएम श्रीवास्तव से फोन पर बात करने की कोशिश की, तो उन्होंने कहा- मैं वर्जन नहीं देता हूं. इसके बाद फोन कट कर दिया.
'पुलिस वालों ने धक्का देकर चैंबर से निकाल दिया'
दरअसल, पूर्व सैनिक संघ ने गुरुवार को कलेक्ट्रेट के बाहर धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया. कलेक्टर पर पूर्व सैनिकों ने आरोप लगाया है कि जो सैनिक सीमाओं पर रहकर देश की सेवा कर वापस लौटता है, उनका, कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव अपमान करने का काम करते हैं. पूर्व सैनिकों का कहना है कि डीएम का नजरिया पूर्व सैनिकों के प्रति ठीक नहीं है. कैप्टन ज्ञानेंद्र सिंह भदौरिया अपने भाई के साथ 10 अक्टूबर को कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव के पास पहुंचे थे. यहां इन्होंने जमीन से दबंगों का कब्जा छुड़ाने की बात कही. पूर्व सैनिक का आरोप है कि कलेक्टर ने उनकी बात सुनने की वजह पुलिस वालों से धक्का दिलाकर चैंबर से बाहर निकाल दिया. उनको अपमानित करने का काम किया.
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बेबस पिता ने कहा- 'कोई सुनवाई नहीं हो रही'
वहीं, एक साल पहले छत्तीसगढ़ सीआरपीएफ के कोबरा बटालियन में पवन भदौरिया शहीद हो गए थे. पवन भदौरिया की परिजनों ने बताया कि शहादत पर मध्य प्रदेश सरकार ने एक करोड़ रुपए देने की घोषणा की थी. लेकिन आजतक वह राशि नहीं मिली. कलेक्टर से मिलने वाली 10 लाख रुपये की राशि भी नहीं मिली, जिसके लिए शहीद पवन सिंह के पिता राजकुमार भदौरिया का कहना है कि प्रशासन से लगातार संपर्क करने के बावजूद उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है. जब भी कलेक्टर से मिलने जाते हैं, तो एसडीएम से मिलने के लिए कहा जाता है, और एसडीएम कलेक्टर के पास जाने की सलाह देते हैं. तीन-चार महीनों से लगातार कलेक्ट्रेट के चक्कर काटने के बावजूद उनकी समस्या का समाधान नहीं हुआ है. पूर्व सैनिकों का कहना है कि शासन प्रशासन द्वारा उनको अपमानित किया जा रहा है.
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