MP News: कुपोषण का दंश... महिला एवं बाल विकास विभाग के आंकड़े से मचा हडकंप, इतने बच्चे मिले अति कुपोषित

Malnutrition in MP: रिपोर्ट के मुताबिक महिला बाल विकास विभाग के मैदानी अमले द्वारा अप्रैल 2024 में जिले में 0 से 5 साल के 1 लाख 2 हजार बच्चों का 10 दिवसीय शारीरिक माप लिया गया, जिसमें 0 से 5 साल तक के बच्चो का वजन लेकर ऊंचाई नापी गई, जिसमें 154 बच्चे अति कुपोषित पाए गए तो वहीं 715 बच्चे माध्यम कुपोषित पाए गए. 

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Malnutrition in Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश के पन्ना जिले (Panna District) में कुपोषण (Malnutrition) हमेशा से ही एक गंभीर समस्या रहा है. इसकी विभिन्न श्रेणी में कई बच्चे जिंदगी और मौत से जंग लड़ रहे हैं. हाल ही में पोषण पुनर्वास केंद्र पन्ना में मनीष आदिवासी नाम का बच्चा भर्ती हुआ, जिसके खून में मात्र एक ग्राम हीमोग्लोबिन (Hemoglobin) बचा था और मांस हड्डियों से चिपक गया. पोषण पुनर्वास केंद्र में मनीष जिंदगी की जंग लड़ रहा है. वहीं मामला सामने आने के बाद जमीनी स्तर पर कुपोषण को लेकर काम करने वाले कर्मचारियों की लापरवाही की पोल खुल गई है.

काम जमकर हुआ पर दिखा नहीं

पन्ना में कुपोषण को लेकर कई सामाजिक संस्थाएं भी काम कर रही हैं. बाबजूद इसके पन्ना कुपोषण का दंश झेल रहा है. पूर्व में कई बच्चे ऐसे है जो कुपोषण की वजह से असमय ही काल के गाल में समा चुके हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता की कमी की वजह से भी बच्चे कुपोषण का शिकार हो रहे है ओर सही समय में उपचार न मिल पाने की वजह से भी उनकी मौते हो रही है.

हर माह करीब एक लाख बच्चों को पोषक आहार मिलने के बाद भी कई बच्चे कम वजन के साथ-साथ स्वस्थ व तंदुरस्त नहीं हैं. जिले के बच्चों की सेहत का यह खुलासा महिला बाल विकास विभाग की मासिक रिपोर्ट में हुआ है. रिपोर्ट के मुताबिक महिला बाल विकास विभाग के मैदानी अमले द्वारा अप्रैल 2024 में जिले में 0 से 5 साल के 1 लाख 2 हजार बच्चों का 10 दिवसीय शारीरिक माप लिया गया, जिसमें 0 से 5 साल तक के बच्चो का वजन लेकर ऊंचाई नापी गई, जिसमें 154 बच्चे अति कुपोषित पाए गए तो वहीं 715 बच्चे माध्यम कुपोषित पाए गए. 

जब इस मामले में जिला अस्पताल में पदस्थ बाल एवं शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ पीके गुप्ता से बात की तो उन्होंने बताया कि इस माह 88 बच्चों को बच्चा वार्ड में भर्ती किया गया है, जिन्हें कुपोषण के साथ-साथ अन्य समस्याएं भी थी. गंभीर कुपोषित (Severe Acute Malnourished) बच्चों को एनआरसी में भर्ती करवाया गया. इसके साथ जिन बच्चों में खून की कमी थी. उन्हें खून भी चढ़वाया गया. उन्होंने कहा कि कुपोषण का सबसे बड़ा कारण आहार है, अगर बच्चों को सरकार द्वारा निर्धारित मेन्यू के अनुसार डे वाई डे (हर दिन के अनुसार) पोषण आहार दिया जाए तो निश्चित ही उनके विकास में सुधार होगा. इसके साथ ही निरंतर उनकी देख रेख कर उनके स्वस्थ में सुधार किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि कुपोषण की वजह यह भी है कि कई महिलाएं कम उम्र में मां बन जाती हैं.

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