मलखंभ को लेकर लोगों में उत्साह,  25 से 30 फीट ऊंचे खंभे पर चढ़ने की होड़, 64 सालों से लगातार जारी

Malkhamb News : मलखंभ खेल को लेकर बालाघाट में लोगों के बीच काफी उत्साह है. प्रतिभागियों के बीच खंभे में चढ़ने की होड़ लगी है. वहीं, देखने वालों की भी भीड़ जुट रही है. 

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Malkhamb  Sports :  होली के अवसर पर ग्रामीण अंचलों में कुछ जगहों पर परंपरागत मेले का आयोजन देखने को मिला. ऐसा ही एक आयोजन बालाघाट जिले के परसवाड़ा तहसील के समीपस्थ ग्राम कुरेन्डा में नजर आया, जहां पर होली के अवसर पर मेले का आयोजन किया गया. इस दौरान भारी संख्या में लोग मौजूद रहे. इस अवसर पर एक अनूठी प्रतिस्पर्धा भी देखने को मिली, जिसमें मेले के बीच स्थान पर तकरीबन 25 से 30 फीट ऊंचा एक लकड़ी का खंभा लगाया गया. उसके ऊपर सिरे पर लाल कपड़े में नारियल बांधा गया और लकड़ी के खंभे पर फिसलन के लिए ग्रीस व ऑइल का लेपन किया गया, जिसके बाद शुरू हुई अनूठी प्रतिस्पर्धा.

इस दौरान मेले में भारी संख्या में मौजूद लोगों की भीड़ ने फिसलन वाले 25 से 30 फीट ऊंचे खंबे को चारों तरफ से घेर लिया और शुरू हुआ फिर फिसलन भरे लकड़ी के खंभे पर चढ़ने का सिलसिला.

गौरतलब हो कि इस प्रतिस्पर्धा में लकड़ी के खंभे के ऊपरी हिस्से पर बांधे गए नारियल को जो तोड़कर लाता है. वहीं, विजेता कहलाता है. वैसे इस खेल को मध्य प्रदेश के राजकीय खेल मलखंभ से जोड़कर देखा जा सकता है. कुछ उसी तरह से युवा इस खंभे पर चढ़ते नजर आते हैं. हालांकि,  इसमें खंभे पर चढ़कर नारियल तोड़कर लाते हैं और पुरस्कार वितरण के साथ प्रतिस्पर्धा का समापन किया जाता है.

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लकड़ी के खंभे पर चढ़ना शुरू किया

इस अनूठी प्रतिस्पर्धा के शुरू होते ही युवाओं ने फिसलन भरे लकड़ी के खंभे पर चढ़ना शुरू किया, जिसके बाद नीचे कुछ खड़ी महिलाओं ने उन्हें छड़ी से पीटना शुरू कर दिया. हालांकि, महिलाओं की मार के बावजूद भी युवाओं की जोर आजमाइश जारी रही, जिसमें कई बार युवाओं को फिसल कर नीचे गिरता देखा गया. कई बार उतार-चढ़ाव के बाद आखिरकार एक युवा दमखम दिखाते हुए फिसलन भरे लकड़ी के खंभे पर चढ़कर नारियल तोड़ लाया, जिसके बाद उक्त युवक को पुरस्कृत किया गया. प्रतिस्पर्धा के समापन उपरांत लोगों ने मेले का जमकर लूट उठाया .

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'पूर्वज वृंदावन से लठमार होली का स्वरूप यहां लेकर आए थे'

इस दौरान ग्राम के बुजुर्ग टेकराम राणा ने बताया कि यह आयोजन बीते 64 सालों से लगातार जारी है. उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वज वृंदावन से लठमार होली का स्वरूप यहां लेकर आए थे, और उसी की तर्ज पर यहां यह आयोजन शुरू हुआ. तब से लगातार 64 वर्षों से यह आयोजन जारी है, जो की आपसी प्रेम भाईचारे व सामाजिक समरसता का संदेश देता है.

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