Vidisha News : हालात से लड़ते विदिशा के किसान...15 साल पुराने दामों पर फसल बेचने को मजबूर 

संतोष सिंह बताते हैं कि जो फसल के दाम आज से 20 साल पहले थे...आज भी वही दाम है. सचिव के हिसाब से किसानों को फसलों के दाम बेहतर मिल रहे हैं. बता दें कि हर बार की तरह किसानों की साल भर की मेहनत पर पानी फिर जाता है. कभी व्यवस्था, कभी नमी, कभी फसल की चमक, कभी बाढ़ व सूखा... आखिर में किसानों को कम दामों में ही संतोष करना पड़ता है. 

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हालात से लड़ते विदिशा के किसान

Madhya Pradesh News: चुनावी मौसम के दिनों भाजपा हो या कांग्रेस... दोनों ही दल अपने आपको किसान हितैषी सरकार बताने की भरपूर कोशिश में लगे हैं. दोनों दल अपने चुनावी पिटारे से किसानों के लिए भरपूर घोषणाएं भी कर रहे है. लेकिन जमीनी हकीकत को देखा जाए तो तमाम सरकारी ऐलान चुनावों तक ही सिमट कर रह जाते हैं. चुनाव निकलने के बाद राजनीतिक पार्टियों को न तो अपना दावा याद रहता है न ही वादा... 


आज हम आपको विदिशा के कृषक मंडी की ऐसी ही जमीनी हकीकत से रूबरू कराने जा रहे हैं. किसानों का जैसा हाल सालों पहले था, आज भी वही आलम है. विदिशा जिले को खेती पर आधारित जिला कहा जाता है. यहां धान और सोयाबीन की फसल अत्यधिक होती हैं. इन दिनों कृषक मंडी में किसानों का जमावड़ा लगा है. किसानों को पूरे साल की मेहनत का आज भी वही दाम मिल रहा है जो 15 साल पहले मिलता था. 

किसान कहते हैं, 'हम पर हर जगह से मार पड़ती है. पहले एक किसान प्रकृति की मार से पिटता है फिर व्यवस्था की मार से भी अछूता नहीं रहता.'


किसान संतोष सिंह अपनी सोयाबीन की फसल को बेचने मिर्जापुर मंडी आए हैं. संतोष सिंह बताते हैं कि जो फसल के दाम आज से 20 साल पहले थे...आज भी वही दाम है. जितने तेज़ी से उत्पादन घटा है. उतनी तेज़ी से दाम भी घटे हैं. 

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15 साल पुराने दाम पर बिक रही फसल 

ऐसे ही एक दिनेश सिंह हैं जो आलम खेड़ा के किसान है. दिनेश मंडी में धान लेकर आए हैं. वह भी बता रहे हैं कि आज से जो दाम 15 साल पहले थे, वही दाम आज भी मिल रहे हैं. धान लेकर आए सतपाड़ा सराय के किसान हाकिम बता रहे हैं कि दाम बहुत कम है. पानी की कमी से फसल की पैदावार बहुत कम हुई है. दूसरे किसान कहते हैं, अभी तो दाम व्यापारियों पर निर्भर करेगा कि आखिर वो किस रेट में फसल खरीदते हैं.


किसानों को नहीं मिल रही लागत 

मंडी सचिव बता रहे हैं जो धान मंडी में आई है उसमे कुछ नमी है इसलिए दाम कुछ कम मिल रहे हैं. बाकी फसलों की खरीदी शुरू हो गई है. मंडी सचिव के हिसाब से किसानों को फसलों के दाम बेहतर मिल रहे हैं. बता दें कि हर बार की तरह किसानों की साल भर की मेहनत पर पानी फिर जाता है. कभी व्यवस्था, कभी नमी, कभी फसल की चमक, कभी बाढ़ व सूखा... आखिर में किसानों को कम दामों में ही संतोष करना पड़ता है. 

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