Madhya Pradesh News: मध्यप्रदेश के डिंडौरी जिले में एक से बढ़कर एक जलप्रपात हैं. जिनकी खूबसूरती बारिश के दिनों में देखते ही बनती है. भारी बारिश के चलते जलप्रपात पानी से लबालब हो गए हैं. आलम यह है कि जलप्रपातों से जब पानी रफ़्तार के साथ नीचे गिरता है तो झरने की आवाज एक किलोमीटर दूर से ही सुनाई देने लगती है. जब काफी ऊंचाई से झरने का पानी रफ़्तार के साथ नीचे गिरता है तो पानी का रंग दूधिया हो जाता है जो लोगों को काफी आकर्षित करता है.
धार्मिक महत्व भी है
प्राकृतिक सौंदर्यता से भरपूर डिंडौरी जिले में नेवसा,देवनाला,शिवनार,किकरकुंड समेत एक दर्जन से अधिक जलप्रपात हैं जिनका अपना अपना धार्मिक महत्व भी है. हैरान करने वाली बात यह है की अबतक जिले के जिम्मेदार अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों ने जलप्रपातों को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए कोई पहल नहीं की है. नवागत कलेक्टर हर्ष सिंह ने NDTV को आश्वस्त किया है की सबसे मिलकर जलप्रपातों वाले स्थानों को डेवलप करने के हरसंभव प्रयास किए जायेंगे.
खूबसूरती निहारने दूर-दूर से आते हैं
जिला मुख्यालय से करीब 15 किलोमीटर की दूरी पर नेवसा वाटरफॉल है. जहां घने जंगलों के बीच एक ऐसा जलप्रपात है. जिसका लुत्फ़ उठाने बड़ी दूर-दूर से पर्यटक यहां पहुंचते हैं. हरे भरे घने जंगलों के बीच पहाड़ों से कलकल करते हुए जब पानी की धारा नीचे गिरती है. उस वक्त का यह नजारा बेहद रोमांचित करने वाला होता है. पहाड़ के नीचे खोखले स्थान पर भगवान शिव का छोटा सा मंदिर भी है.
डिंडौरी जिला मुख्यालय से करीब 70 किलोमीटर दूर करंजिया विकासखंड क्षेत्र अंतर्गत ग्रामपंचायत उमरिया के पोषक ग्राम ददरगांव के पास घने जंगलों के बीच स्थित जलप्रपात की जिसे शिवनार के नाम से जाना जाता है. यहां झरने का पानी करीब 50 फ़ीट की ऊंचाई से जब नीचे गिरता है तो नजारा बेहद ही रोमांचकारी होता है साथ ही इस जलप्रपात की मनमोहक आवाज हर समय जंगल में गूंजते रहती है. जलप्रपात के नीचे काफी प्राचीन गुफा है जहां भगवान शिव का एक छोटा सा मंदिर मौजूद है। महाशिवरात्रि के दिन यहां मेला लगता है जहां आसपास के ग्रामों से श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. लोगों की यह भी मान्यता है की इस जलप्रपात के पानी से स्नान करने में चर्मरोग दूर हो जाते हैं.
जिले में पर्यटन की अपार संभावनाएं
नेवसा,देवनाला,शिवनार,किकरकुंड जैसे डिंडौरी जिले में अनेक जलप्रपात हैं जहां पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं . यदि ऐसे स्थानों को चिन्हित करके पर्यटन के क्षेत्र में विकसित किया जाता है तभी कुदरत के इन धरोहरों को सहेजा और संवारा जा सकता है. जिसके साथ स्थानीय ग्रामीणों को रोजगार के सुनहरे अवसर भी प्रदान किये जा सकते हैं. जलप्रपातों के अलावा डिंडौरी जिले का राष्ट्रीय जीवाश्म पार्क घुघवा व कारोपानी गांव के आसपास दुर्लभ प्रजाति के काले हिरणों की मौजूदगी होते हुए भी पर्यटन के क्षेत्र में डिंडौरी जिले की पहचान नहीं है.