IIT इंदौर ने बनाए अनोखे जूते: हर कदम पर बिजली बनाएंगे सैनिक, बच्चों-बजुर्गों को भी ये बड़ा फायदा

IIT इंदौर ने बेहद कमाल के जूते बनाए हैं. ये ऐसे जूते हैं जिन्हें पहनकर चलने से बिजली बनेगी. इन जूतों से न सिर्फ सैनिकों बल्कि बच्चों और यहां तक की अलजाइमर से जूझ रहे बुजुर्गों को भी काफी फायदा पहुंचेगा. इन जूतों को पहनने से सैनिक अपनी चाल से बिजली बना सकेंगे और दूरदराज के इलाकों में इसका इस्तेमाल भी कर पाएंगे.

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Madhya Pradesh News: IIT इंदौर ने बेहद कमाल के जूते बनाए हैं. ये ऐसे जूते हैं जिन्हें पहनकर चलने से बिजली (Shoes will generate electricity) बनेगी. इन जूतों से न सिर्फ सैनिकों बल्कि बच्चों और यहां तक की अलजाइमर से जूझ रहे बुजुर्गों (Alzheimer's patients) को भी काफी फायदा पहुंचेगा. इन जूतों को पहनने से सैनिक अपनी चाल से बिजली बना सकेंगे और दूरदराज के इलाकों में इसका इस्तेमाल भी कर पाएंगे. इन जूतों को पहनकर चलने से जो बिजली बनेगी वो जूते के सोल में लगे कैपेसिटर में जमा होगी और इसके अंदर लगे इलेक्ट्रॉनिक सर्किट को पॉवर देगी.छोटे बच्चों के माता-पिता भी बच्चों की निगरानी के लिए इसका इस्तेमाल कर सकते हैं.

एथलीट और खिलाड़ियों की प्रैक्टिस को मापने और उनके प्रदर्शन का आंकलन करने के लिए भी इन जूतों का उपयोग हो सकता है. अहम ये भी है कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान इंदौर यानी आईआईटी इंदौर ने रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन यानी DRDO के साथ मिलकर इस महत्वपूर्ण तकनीकी की खोज की है. IIT इंदौर ने ऐसे 10 जोड़ी जूतों की खेप DRDO को सौंप भी दी है. अब ये जान लेते हैं कि ये जूते काम कैसे करते हैं? 

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 इन जूतों में सैनिकों की ट्रैकिंग के लिए RFID और लोकेशन ट्रेसिंग के लिए GPS भी लगाया गया है. इसका मतलब यह है कि दुर्गम इलाकों में भी सैनिकों को बिजली की कमी की परेशानी नहीं होगी. अपनी ही कदमताल से वे एनर्जी बना सकेंगे, जिससे किसी भी ऑपरेशन में ट्रैकिंग टेक्नोलॉजी की मदद से उसे बेहतर तरीके से अंजाम दे सकेंगे. 

DRDO की जरूरतों का ध्यान रखा: IIT

इस नवाचार पर आईआईटी इंदौर के निदेशक प्रो. सुहास जोशी ने कहा, "आज के समय में पोर्टेबल एनर्जी सोर्सेज की बड़ी मांग है. रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की जरूरतों को ध्यान में रखकर बनाए गए ये जूते ऊर्जा संचयन में क्रांतिकारी बदलाव लाएंगे. फिलहाल 10 जोड़ी जूते डीआरडीओ को दिए गए हैं और उनकी टेस्टिंग चल रही है." आईआईटी इंदौर के डीन रिसर्च एंड डेवलपमेंट प्रो. आईए पलानी ने बताया कि इन जूतों में नए ट्राइबो-इलेक्ट्रिक नैनो-जेनरेटर सिस्टम लगाए गए हैं. इन्हें एल्युमीनियम और फ्लोरिनेटेड एथिलीन प्रोपलीन के उपयोग से बनाया गया है, जिससे हर कदम पर ऑटोमैटिक तरीके से एनर्जी जनरेट हो सके. यह एनर्जी जूतों के अंदर ही एक कैपेसिटर में जमा होगी और इसकी मदद से छोटे सर्किट चल सकेंगे.

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सभी के लिए उपयोगी

ये जूते न केवल सैनिकों के लिए, बल्कि अन्य लोगों के लिए भी बेहद उपयोगी हो सकते हैं.अल्जाइमर पीड़ितों के लिए ये जूते परिवार वालों को मानसिक शांति दे सकते हैं.छोटे बच्चों के माता-पिता भी बच्चों की निगरानी के लिए इसका इस्तेमाल कर सकते हैं। एथलीट और खिलाड़ियों की प्रैक्टिस को मापने और उनके प्रदर्शन का आंकलन करने के लिए भी इन जूतों का उपयोग हो सकता है. 

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