पत्नी को नौकरी छोड़ने को मजबूर करना 'क्रूरता', हाईकोर्ट ने दी तलाक की मंजूरी

मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने तलाक के वास्ते 33 वर्षीय एक महिला की अर्जी मंजूर करते हुए कहा है कि पति द्वारा पत्नी को नौकरी छोड़ने और उसे पति की मर्जी एवं तौर-तरीके के मुताबिक रहने के लिए मजबूर किया जाना क्रूरता की श्रेणी में आता है. पीड़ित महिला इंदौर में केन्द्र सरकार के विभाग में पदस्थ हैं.

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इंदौर (मध्यप्रदेश):

MP High Court News: कई बार शादीशुदा महिलाओं को नौकरी छोड़ने के लिए मजबूर किए जाने का मामला सामने आता है.अब ऐसे ही मामले में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने बेहद अहम फैसला दिया है. अदालत ने कहा है कि पति द्वारा पत्नी को नौकरी छोड़ने और उसे पति की मर्जी एवं तौर-तरीके के मुताबिक रहने के लिए मजबूर किया जाना क्रूरता की श्रेणी में आता है. हाईकोर्ट ने इसी दलील को आधार बनाते हुए पत्नी को तलाक लेने की मंजूरी दे दी.  उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति सुश्रुत अरविंद धर्माधिकारी की पीठ ने कानूनी पहलुओं पर गौर करते हुए निचली अदालत के फैसले को भी पलट दिया. 

इंदौर में सरकारी नौकरी करती है पत्नी

दरअसल  सरकार के एक विभाग में प्रबंधक के रूप में इंदौर में पदस्थ महिला ने कुटुम्ब न्यायालय में यह आरोप लगाते हुए पति के खिलाफ तलाक का आवेदन दिया था कि वह उसे नौकरी छोड़कर भोपाल में अपने साथ रहने के लिए मानसिक तौर पर परेशान कर रहा है.कुटुम्ब न्यायालय ने महिला की यह अर्जी खारिज कर दी थी. जिसके बाद पीड़ित महिला ने कुटुम्ब न्यायालय के इस आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी. यहां मुख्य न्यायाधीश की पीठ ने 13 नवंबर को सुनाए फैसले में कहा-पति या पत्नी एक साथ रहना चाहते हैं या नहीं, यह उनकी इच्छा है. पति या पत्नी में से कोई भी दूसरे पक्ष को नौकरी नहीं करने या जीवनसाथी की पसंद के अनुसार कोई नौकरी करने के लिए मजबूर नहीं कर सकता.

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हाईकोर्ट ने कहा कि वर्तमान मामले में पति ने पत्नी पर दबाव डाला कि वह अपनी सरकारी नौकरी छोड़ दे. पत्नी को नौकरी छोड़ने और उसे पति की इच्छा एवं तौर-तरीके के अनुसार रहने के लिए मजबूर किया जाना क्रूरता की श्रेणी में आता है. 

'पति के अहंकार को ठेस पहुंचने लगी थी'

महिला के वकील राघवेंद्र सिंह रघुवंशी ने शुक्रवार को 'पीटीआई-भाषा' से कहा- 2014 में विवाह के बाद मेरी मुवक्किल और उसका पति भोपाल में रहकर सरकारी भर्ती परीक्षाओं की तैयारी कर रहे थे. 2017 में मेरी पक्षकार को एक सरकारी उपक्रम में नौकरी मिल गई, लेकिन उसके पति को कोई रोजगार नहीं मिल पाने से उसके अहंकार को ठेस पहुंचने लगी. उन्होंने कहा कि उनकी मुवक्किल का पति इंदौर में प्रबंधक के रूप में पदस्थ पत्नी को कथित तौर पर परेशान करने लगा और उस पर दबाव डालने लगा कि वह अपनी सरकारी नौकरी छोड़कर उसके साथ भोपाल में रहे.

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रघुवंशी के मुताबिक महिला के पति ने उससे कहा कि जब तक उसे कोई रोजगार नहीं मिल जाता, वह भी कोई नौकरी न करे.उन्होंने कहा,‘‘पति की इस बात के लिए पत्नी के तैयार नहीं होने के कारण दम्पति में मतभेद बढ़ने लगे. पति की मानसिक प्रताड़ना से परेशान महिला ने आखिरकार तलाक का मन बना लिया. 
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