
PHE Scam: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के ग्वालियर (Gwalior) से बड़ी खबर सामने आईं है. शहर के बहुचर्चित PHE घोटाले में क्राइम ब्रांच की टीम ने चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है. इसमें वर्तमान और पूर्व DDO सहित चार लोगों को हिरासत में लिया गया हैं. इनमें दो तत्कालीन एग्जीक्यूटिव इंजीनियर हैं जो अब रिटायर हो चुके हैं. क्राइम ब्रांच की टीम ने इनसे पूछताछ कर न्यायालय में पेश किया है. दरअसल, PHE विभाग में करीब 18 करोड़ रुपये का घोटाला सामने आया था. वेतन और भत्तों के नाम पर फर्जी तैयार कर रुपये निकाले गए. सालों तक यह सिलसिला चलता रहा. जांच के बाद इस घोटाले का खुलासा हुआ था. ट्रेजरी की रिपोर्ट के बाद क्राइम ब्रांच ने पंप अटेंडर हीरालाल पर सबसे पहले FIR की थी.
जानिए कैसे हुए था PHE घोटाला
ट्रेजरी की रिपोर्ट में वर्तमान DDO से लेकर पूर्व DDO तक की भूमिका बताई गई थी. पहले इस रिपोर्ट के आधार पर एक और FIR की जा रही थी लेकिन बाद में इस रिपोर्ट को FIR की तहकीकात में शामिल किया गया. इस मामले में ASP निरंजन शर्मा ने बताया कि आरोपियों को गिरफ्तार कर न्यायालय के सामने पेश किया गया है. निरंजन शर्मा ने बताया कि 18 करोड़ रुपये के इस घोटाले में आगे कई और नाम भी सामने आ सकते हैं.
मामल में इन लोगों की हुई गिरफ्तारी
इस मामले में क्राइम ब्रांच ने जिन चार लोगों को गिरफ्तार किया है उनमें तत्कालीन कार्यपालन मंत्री और अब रिटायर आर एन करहिया के नाम शामिल है. इन पर आरोप है कि PHE के सेक्शन 1 में EE रहते गलत ढंग के बिल तैयार किये गए जिसके बाद भुगतान किया गया. ये वर्तमान में 65 साल के हैं. इस मामले में एक अन्य गिरफ्तार EE संजय सोलंकी का नाम भी शामिल है. इनकी आईडी से भी गलत बिल तैयार हुए और भुगतान हुआ. मामले में गिरफ्तार बाबू अशोक कचोरिया पर गलत बिल तैयार कर इनको पास कराने और भुगतान कराने का आरोप लगाया गया है. वहीं, एक अन्य आरोपी भी पकड़ा गया हैं जिसका नाम राहुल वर्मा है जो खुद को ठेकेदार बताता है. राहुल वर्मा विभागों में गाड़ियां लगवाने का काम करता है. इसी के खाते में घोटाले के 5 करोड़ रुपये ट्रांसफर हुए थे.
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घोटाले की रकम 71 खातों में भेजी गई
PHE के चर्चित घोटाले का खुलासा जुलाई महीने में हुआ था. विभागीय जांच के बाद इसमें FIR कराई गई थी. अब तक की जांच में पता चला कि साल 2017 से शुरू हुए इस घोटाले में 2023 तक लगभग 18.92 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है. यह घोटाला गलत ढंग से बिल तैयार करने के बाद किया गया जिसके बाद तमाम खातों में ट्रांसफर कर यह राशि निकाली गई. मिली जानकारी के मुताबिक, यह राशि कुल मिलाकर 71 खातों में भेजी गई. इनमें से कई खाते क्राइम ब्रांच ने सीज भी किए थे. वहीं, कई सारे मृत कर्मचारियों के नाम से भी वेतन और भत्ते निकाले गए.