साड़ी करोड़ों भारतीय महिलाओं के पसंदीदा पहनावा है और बात अगर साड़ियों की हो रही हो तो चंदेरी साड़ियों का जिक्र आना लाजमी है. चंदेरी साड़ियां भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में अपनी पहचान बना चुकी है. चंदेरी सिल्क की बेहतरीन साड़ियों से लिए ही चंदेरी नगर की पहचान है और ये चंदेरी नगर मध्य प्रदेश के अशोकनगर जिले का हिस्सा है. साल 2003 से पहले इसे पछार के नाम से पहचाना जाता था और ये गुना जिले का हिस्सा था. इस इलाके के विकास के लिए स्थानीय लोग काफी समय से अलग जिले की मांग कर रहे थे, जो 20 साल पहले यानी साल 2003 में पूरी हुई.
लाखों में होती है हाथ से बुनी चंदेरी साड़ी की कीमत
इसमें कोई शक नहीं की चंदेरी की साड़ियां इस जिले की अहम् पहचान है. चंदेरी सिल्क से बनी इस साड़ियों की खासियत ये हैं कि देखने में ये शाइनी और पार्टी वियर लुक देती हैं, लेकिन बेहद लाइट वेट और कंफर्टेबल होती है. खास बात ये भी है कि ये साड़ियां सस्ती से लेकर महंगी हर प्राइस रेंज में उपलब्ध होती है. यहां के स्थानीय बुनकर की हाथ से बुनी हुई डिजाइनर साड़ियों की कीमत लाखों में होती है. विदेशों में भी इन साड़ियों की खासी मांग है. कहा जाता है कि इन साड़ियों का जिक्र वैदिक काल के ग्रंथों और साहित्य में भी मिलता है.
अशोक नगर का इतिहास
इस जिले का इतिहास गौरवशाली रहा है. माना जाता है कि ये क्षेत्र महाभारत काल में शिशुपाल के चेदि राज्य का हिस्सा हुआ करता था. मध्ययुगीन काल में यह चंदेरी राज्य में आता था. 6वीं शताब्दी में चंदेरी क्षेत्र यानी अशोकनगर जिले का क्षेत्र अवंती, दर्शाण और चेदि जनपदों में आता था. तब यह नंद, मौर्य, शुंग और मगध राज्यों का भाग रहा. इसके बाद यहां गुप्त, मौखारी प्रतिहार, राजपूत वंश का शासन रहा.
चंदेरी के अंतिम बुंदेला शासक राजा मर्दन सिंह रहे, जिनका 1857 की लड़ाई में सर्वोच्च बलिदान आज भी याद किया जाता है.
चंदेरी का जौहर
चंदेरी का जौहर यहां के इतिहास का एक अहम् अध्याय है. साल 1528 में मुगल शासक बाबर ने यहां पर आक्रमण कर दिया. चंदेरी को योद्धा बहादुरी से लड़े, लेकिन बाबर की सेना बेहद ताकतवर थी. इसके बाद यहां की महारानी मढ़ीमाला के साथ हजारों की संख्या में महिलाओं ने स्वयं को अग्नि को सौंप दिया. आज भी इस जौहर की याद में यहां स्मारक बना हुआ है.
प्रसिद्ध है यहां का गेहूं
अशोकनगर मुख्यत: कृषि पर आधारित जिला है. यहां काली मिट्टी के खेत होने के कारण इनमें सिंचाई की आवश्यकता अपेक्षाकृत कम होती है. सीहोर जिले की ही तरह यहां के शरबती गेहूं (गेहूं की एक किस्म) की ख्याति दूर-दूर तक है. जाहिर है कि गेहूं यहां की एक प्रमुख फसल है. इसके अलावा यहां जौ और जूट की पैदावार भी काफी होती है.
अशोकनगर जिला एक नज़र में-
- जनसंख्या- 8, 45,071
- तहसील- अशोकनगर चंदेरी, ईसागढ़, मुंगावली, शाढ़ौरा, पिपरई, नई सराय, बहादुरपुर
- प्रमुख फसल- शरबती गेहूं, जूट, जौग्राम-912
- ग्राम पंचायत-328
- नगरीय निकाय-6
- तहसील- 8