बनते ही 'बिखरी' टीम जीतू पटवारी ? खटा खट इस्तीफे हुए, बड़े नामों ने भी जताया असंतोष

Jitu Patwari News: मध्यप्रदेश कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने करीब 10 महीने के बाद अपनी नई कार्यकारिणी बनाई. जिसे लेकर विवाद बढ़ गया है. आलम ये है कि रात में लिस्ट आई और सुबह इस्तीफों का दौर शुरू हो गया. खुद जीतू पटवारी के शहर के नेताओं ने इस्तीफा दिया है. हालांकि जीतू पटवारी ने कई बड़े नेताओं को जगह देकर संतुलन साधने की कोशिश भी की है.

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MP Congress News: मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी (Jitu Patwari)ने पद संभालने के करीब 300 दिन बाद अपनी टीम का ऐलान किया लेकिन ये विवादों को बढ़ाने वाला साबित हुआ. वरिष्ठ नेता कमलनाथ (Kamal Nath)और दिग्विजय सिंह को पीएसी में शामिल किया गया है, नकुलनाथ को भी जगह मिल गई है, लेकिन अब एक के बाद एक इस्तीफे हो रहे हैं. कुल मिलाकर राज्य की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी में आंतरिक विवाद और असंतोष और बढ़ गया है. 

मंगलवार को दूसरी लिस्ट आते ही कई नेताओं ने इस्तीफा दे दिया. नवनियुक्त सचिव मोनू सक्सेना (Monu Saxena) और पूर्व महासचिव रामलखन दंडोतिया (Ramlakhan Dandotia) ने तुरंत ही इस्तीफा दे दिया.

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मोनू ने तो तीखी प्रतिक्रिया भी दी है. उन्होंने कहा कि बीजेपी में बैठे नेता अपने लोगों को कांग्रेस में पद दिला रहे हैं.कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हुए सुरेश पचौरी के इशारे पर लोगों को कार्यकारिणी में शामिल किया गया है.

ये कांग्रेस पार्टी के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है. मोनू ने तो यहां तक कहा कि मेरी जगह किसी और युवा साथी को मौका दिया जाए. मैं एक सामान्य कार्यकर्ता की तरह काम करूंगा. दूसरी तरफ पूर्व महासचिव रामलखन दंडोतिया ने इस्तीफा देते हुए कहा कि मुझे संयुक्त सचिव का पद दिया गया है जो मेरा डिमोशन है. मैं भी एक सामान्य कार्यकर्ता के तौर पर काम करुंगा. 

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पटवारी के अपने शहर के नेताओं का भी इस्तीफा 

वैसे इससे पहले खुद जीतू पटवारी के अपने शहर इंदौर से पूर्व शहर कांग्रेस अध्यक्ष प्रमोद टंडन,इंदौर कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष अमन बजाज और अल्पसंख्यक कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अफ़सर पटेल ने असंतोष जाहिर करते हुए इस्तीफा दे दिया है. प्रमोद टंडन ने तो कांग्रेस पार्टी से ही इस्तीफा दे दिया है. इसके अलावा पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने भी खुलकर नाराज़गी जताई है. उन्होंने तो मंगलवार को कहा था कि इस पार्टी का तो भगवान ही मालिक है. जिन लोगों की वजह से कांग्रेस की दुर्दशा है, उन्हीं लोगों के इशारे पर अगर कार्यकारिणी बनेगी तो क्या ही कहा जाए. 

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'जहां अध्यक्ष का सम्मान नहीं वहां क्या अपेक्षा रखें'

कांग्रेस की इस नई लिस्ट पर मचे घमासान को लेकर बीजेपी ने भी निशाना साधा है. मोहन कैबिनेट में मंत्री विश्वास सारंग ने तंज कसते हुए कहा कि कांग्रेस में और क्या अपेक्षित है? गुटों और गिरोहों में बंटा , भाई भतीजावाद और पट्ठागिरी के माध्यम से पद बांटने वाले दल में कुछ नहीं होगा. जिस राजनीतिक दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष को प्रियंका-राहुल गांधी आधे घंटे तक कमरे के बाहर खड़ा करते हैं वहां कार्यकर्ताओं का सम्मान क्या होगा? मंत्री विश्वास सारंग ने आगे कहा कि यह कांग्रेस की परंपरा रही है. इसमे कोई नई बात नहीं है. 

'अपनी राय रखने का सबको हक है कांग्रेस में'

हालांकि विश्वास सारंग के वार पर कांग्रेस नेता भूपेन्द्र गुप्ता ने पलटवार किया है. उन्होंने कहा कि बीजेपी तो हम पर निशाना साधेगी ही लेकिन वो भूल जाती है कि राकेश सिंह के कार्यकाल में जाते-जाते तक कार्यकारिणी घोषित नहीं हो पाई थी. कांग्रेस में कोई विवाद नहीं है. यहां सभी लोग अपनी राय रखते हैं.अजय सिंह राहुल ने अपनी बात रखी है और संगठन उनकी बात पर विचार करेगा. कुल मिलाकर कांग्रेस की नई कार्यकारिणी की लिस्ट आने के बाद से ही पार्टी के भीतर विवादों का दौर शुरू हो गया है.पुराने चेहरों का दबदबा कायम होने पर युवा नेताओं में असंतोष बढ़ रहा है, जो कांग्रेस के लिए उपचुनावों में चुनौती बन सकता है. 

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