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Maa Kankali Temple: चमत्कारी है मां कंकाली का मंदिर, नवरात्रि में कुछ पल के लिए सीधी होती है, जानिए मां की टेढ़ी गर्दन का रहस्य

Maa Kankali Temple Raisen: कंकाली मां द‍िन सीधी हो जाती है. हालांक‍ि आज तक क‍िसी ने ऐसा होता देखा नहीं है. कहते हैं क‍ि जो भी भक्‍त मां की सीधी गर्दन देख लेता है उसके जीवन के सभी कष्‍ट दूर हो जाते हैं. मान्‍यता है क‍ि सौभाग्‍यशाली भक्‍तों को ही मां की सीधी गर्दन के दर्शन होते हैं. नवरात्र के अवसर पर मां भवानी के दर्शनों के ल‍िए यहां पर देश के कोने-कोने से श्रद्धालु आते हैं.

Maa Kankali Temple: चमत्कारी है मां कंकाली का मंदिर, नवरात्रि में कुछ पल के लिए सीधी होती है, जानिए मां की टेढ़ी गर्दन का रहस्य

Maa Kankali Temple Raisen: रायसेन जिला मुख्यालय से लगभग 40 किलोमीटर दूर और जिले के भोजपुर विधानसभा के ग्राम गुदावल में मां कंकाली का प्राचीन मंदिर स्थित है. लगभग 400 वर्ष पुराने इस मंदिर में भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है और भक्त यहां दूर-दूर से मां के दर्शन करने आते हैं. मां भवानी की महिमा को आज तक कोई भी नहीं समझ पाया है. भारत के अलग-अलग स्‍थानों पर देवी मां के अलग-अलग स्‍वरूपों में कई चमत्‍कार देखने-सुनने को म‍िलते हैं. कभी मंदिर में देवी की मूर्तियों की बातचीत का चमत्‍कार तो कभी मंदिर में रंग बदलती मूर्ति का रहस्‍य. इनसे आज तक पर्दा नहीं उठ पाया है. ऐसा ही एक मंदिर है कंकाली मंदिर है, जहां माता की मूर्ति की टेढ़ी गर्दन एक द‍िन के ल‍िए सीधी हो जाती है. आइए जानते हैं इस मंदिर से जुड़ी रहस्‍य.

400 साल पुराना है मां कंकाली का ये मंदिर

रायसेन जिले के भोजपुर विधानसभा के ग्राम गुदावल में मां कंकाली की 400 वर्ष पुराना मंदिर है. यहां भक्त दूर-दूर से मां कंकाली के दर्शन करने आते हैं. बताया जाता है कि यहां पर भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण होती है और इस मंदिर का निर्माण जन सहयोग के माध्यम से करीब 7 करोड़ रुपये की लागत से कराया जा रहा है. देश ही नहीं विदेशों से भी भक्त यहां मां के दर्शन करने आते हैं और अपनी मनोकामना पूर्ण कराते हैं.

दरबार में मांगी गई हर मनोकामना होती पूर्ण

नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है, लेकिन मां कंकाली के दरबार में मांगी गई हर मनोकामना पूर्ण होती है. सुरक्षा की दृष्टि से यहां पर भक्तों की भीड़ को देखते हुए सुरक्षा की दृष्टि से यहां पुलिस की चाक-चौबंद व्यवस्था की जाती है. पार्किंग के लिए भी अलग से व्यवस्था की जाती है तो मां कंकाली के दरबार में भक्तों के लिए रुकने के लिए आश्रय स्थल भी है. वहीं जिन भक्तों का व्रत होता है उनके लिए फलाहार की व्यवस्था की जाती और अन्य लोगों के लिए भोजन का प्रबंध भी मंदिर समिति की तरफ से किया जाता है.

यहां भक्त अपनी हर मनोकामना पूर्ण होने के बाद फिर मां कंकाली के दर्शन करने पहुंचते हैं और अपनी श्रद्धा के अनुसार चढ़ावा चलाते हैं. बता दें कि मां कंकाली का मंदिर भोपाल से करीब 25 किलोमीटर दूरी पर है तो रायसेन से लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर उमरावगंज थाने के अंतर्गत आता है.

मां कंकाली के इतिहास के बारे में जानकार बताते हैं कि लगभग 400 साल पहले हरलाल पटेल को सपने में मां कंकाली ने दर्शन दिए थे और कहा था कि जमीन में खुदाई करने के दौरान मुझे बाहर निकालो और स्थापना करो तब से लेकर आज तक मां कंकाली का मंदिर विशाल आकार लेता ही जा रहा है और भक्तों की आस्था का केंद्र बढ़ता ही जा रहा हैं.

रायसेन के इस गांव में है कंकाली माता का मंदिर

कंकाली माता मंदिर रायसेन जिले के गुदावल गांव में हैं. दावा क‍िया जाता है क‍ि यहां मां कंकाली की देश की पहली ऐसी मूर्ति है ज‍िसकी गर्दन 45 ड‍िग्री झुकी हुई है. मंदिर की स्थापना तकरीबन 1731 के आस-पास मानी जाती . ऐसी मान्‍यता है क‍ि इसी वर्ष खुदाई के दौरान यह मंदिर मिला था. हालांक‍ि मंदिर कब अस्तित्व में आया इसकी तारीख या वर्ष का कोई सटीक प्रमाण नहीं म‍िलता है.

भक्त को माता ने दिया था स्वप्न

बताया जाता है कि 1731 ई. में स्‍थानीय न‍िवासी हर लाल मीणा को माता ने स्वप्न में इस मंदिर को निर्माण करने के लिए कहा था. इसके बाद उन्‍होंने देखे गए सपने के आधार पर उक्‍त जमीन पर खुदाई करवाई तो देवी मां की मूर्ति मिली थी. इसके बाद प्राप्‍त मूर्ति के स्‍थान पर ही देवी मां की मूर्ति स्‍थाप‍ित करवा दी गई. तब से ही मंद‍िर के विस्‍तार और पूजा-अर्चना का क्रम जारी है. बता दें क‍ि मंदिर पर‍िसर के अंदरूनी ह‍िस्‍से में 10 हजार वगफीट के हॉल में एक भी प‍िलर नहीं है, जो क‍ि अपने आप में ही अद्भुत कला का नमूना है. पहले यहां भैंसे की बलि दी जाती थी, लेकिन 1970 से यह परंपरा बंद करा दिया.

भक्तों की मनोकामना को लेकर यह भी मान्‍यता है क‍ि जो भी भक्‍त यहां बंधन बांधकर मनोकामना मांगता है उसकी मुराद जरूर पूरी होती है. देश के कोने-कोने से भक्‍त यहां अपनी मुरादों की झोली भरने आते हैं. मन्‍नत पूरी होने के बाद बांधा गया बंधन खोल जाते हैं. कहते हैं क‍ि न‍ि:संतान दंपत्तियों की यहां गोद भर जाती है, लेक‍िन इसके लिए महिलाएं यहां उल्‍टे हाथ से गोबर लगाती हैं और मनोकामना पूरी होने के बाद सीधे हाथ का न‍िशान बनाती हैं. मंदिर में हजारों की संख्‍या में हाथों के उल्‍टे और सीधे न‍िशान नजर आते हैं. इसके बाद बच्चों का मुंडन भी करते है और नाच गाकर खुशी मनाते हैं.

कंकाली  देवी मंदिर में स्‍थापित मां कंकाली की टेढ़ी गर्दन दशहरे के द‍िन सीधी हो जाती है. हालांक‍ि आज तक क‍िसी ने ऐसा होता देखा नहीं है. कहते हैं क‍ि जो भी भक्‍त मां की सीधी गर्दन देख लेता है उसके जीवन के सभी कष्‍ट दूर हो जाते हैं. मान्‍यता है क‍ि सौभाग्‍यशाली भक्‍तों को ही मां की सीधी गर्दन के दर्शन होते हैं. नवरात्र के अवसर पर मां भवानी के दर्शनों के ल‍िए यहां पर देश के कोने-कोने से श्रद्धालु आते हैं. भक्त दूर दूर से मनोकामना लेकर आते हैं सभी की मनोकामना पूर्ण होती हैं. जो यहां आता है वो खाली हाथ नहीं लौटता. भक्त यहां चुनरी चढ़ाने आते हैं. 

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