Loksabha Election: मध्य प्रदेश में कांग्रेसियों के पार्टी छोड़ने का सिलसिला जारी है. इस बीच कांग्रेस डैमेज कंट्रोल में जुटी है. इस मामले में सफलता भी मिली है. दिग्विजय सिंह के करीबी माने जाने वाले कांग्रेस के विधायक राम निवास रावत (Ram Niwas Rawat) पार्टी से नाराज चल रहे थे. इस बीच उनके पार्टी छोड़ भाजपा ज्वाइन करने की अटकलें लगाई जा रही थी. लेकिन अब बताया जा रहा है कि हाईकमान ने उन्हें मना लिया है.
नाराज विधायक को मनाने में सफल हुई कांग्रेस
मध्य प्रदेश में कांग्रेसियों के पार्टी छोड़ BJP का दामन थामने का सिलसिला जारी है. इसी उठापटक ने कांग्रेस के लिए सिरदर्दी बढ़ा दी है. अब कांग्रेस के विधायक राम निवास रावत के कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल होने की अटकलें थी. ऐसा बताया जा रहा था कि रामनिवास 25 अप्रैल को BJP में शामिल होंगे. लेकिन नाराज विधायक को मनाने में कांग्रेस सफल हो गई है. सूत्र बताते हैं कि उन्हें मनाने के लिए पूरा आलाकमान जुटा हुआ था. दिल्ली से बड़े नेताओं से फोन पर बातचीत हुई और इसके बाद रामनिवास मान गए. पार्टी छोड़ने की अटकलों के बीच दिग्विजय का प्रचार करने पहुंचे के लिए विधायक रामनिवास रावत राजगढ़ पहुंचे. यहां उन्होंने कार्यकर्ताओं को सम्बोधित किया.
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भाजपा के मुकाबले सीधे हैं कांग्रेस कार्यकर्ता
कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए रामनिवास ने कहा कि कांग्रेस के कार्यकर्ता भाजपा के मुकाबले सीधे हैं. बता दें कि रावत नेता प्रतिपक्ष की दौड़ में सबसे आगे थे. लेकिन उमंग सिंघार को नेता प्रतिपक्ष बना दिया गया. वहीं मुरैना लोकसभा टिकट (Morena Loksabha Seat) को लेकर भी रामनिवास रावत की नाराजगी थी. वे दिग्विजय के करीबी माने जाते हैं. राम निवास 6 बार के विधायक और पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं. रावत ने 1993 से 1998 तक पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के कार्यकाल में राज्य मंत्री के रूप में कार्य किया है. 1998 में मध्य प्रदेश के कैबिनेट मंत्री के रूप में भी कार्य किया है. ऐसे में इनका पार्टी छोड़कर BJP में शामिल होना कांग्रेस को नुकसान पहुंचा सकता था.
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