मध्य प्रदेश में दो रिश्वतखोर गिरफ्तार, एक लेखपाल 3000 और दूसरा 6600 रुपये लेते रंगेहाथ धराया

Shivpur News: लोकायुक्त की टीम ने शिवपुरी में एक लेखपाल को रिश्वत लेते रंगे हाथ दबोचा है. वहीं, बड़वानी जिले में भी एक अतिथि शिक्षक प्रभारी लेखपाल को भी इसी तरह के मामले में गिरफ्तार किया है.

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फोटो क्रेडिट- मेटा एआई

Madhya Pradesh News: शिवपुरी जिले की खनियाधाना तहसील के एक पटवारी को लोकायुक्त पुलिस ने 3000 रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया है. पटवारी खसरे में सुधार के लिए 10000 रुपये की रिश्वत मांग रहा था. पीड़ित किसान 3000 रुपये सोमवार यानी आज देने पहुंचा था. इसी बीच लोकायुक्त की एक टीम मौके पर पहुंच गई और उसे रंगे हाथ पकड़ लिया. इसके अलावा, बड़वानी जिले के ठीकरी क्षेत्र में लोकायुक्त की टीम ने रिश्वत लेने के मामले में एक अतिथि शिक्षक प्रभारी लेखापाल को भी गिरफ्तार किया है.

पहला मामला

लोकायुक्त पुलिस ने जानकारी देते हुए बताया कि शिवपुरी के खनियाधाना के अंतर्गत आने वाले एक पटवारी मनोज निगम ने पीड़ित किसान हनुमत सिंह से खसरे में नाम सुधार के बदले में 10000 की रिश्वत की मांग की थी. पीड़ित किसान ने 10000 रुपये देने में असमर्थता जताई और फिर 5000 में सौदा तय हुआ. किसान ने 2000 काम होने से पहले ही दे दिए. वहीं, 3 हजार रुपये हनुमत सिंह को सोमवार यानी आज लेखपाल के घर जाकर देने थे. पीड़ित किसान ने इसकी सूचना लोकायुक्त पुलिस को पहले ही दे गी. जिस पर लोकायुक्त पुलिस ने छापामार कार्रवाई करते हुए पटवारी को 3000 की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया.

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आरोपी पटवारी मनोज निगम के खिलाफ लोकायुक्त पुलिस ग्वालियर ने भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत अन्य धाराओं में मामला दर्ज कर कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी है.

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बड़वानी में रिश्वतखोर अकाउंटेंट प्रभारी 6600 की रिश्वत लेते हुए धरा

बड़वानी जिले के ठीकरी क्षेत्र में लोकायुक्त ने रिश्वत लेने के मामले में एक अतिथि शिक्षक प्रभारी लेखपाल को गिरफ्तार किया है. जानकारी के अनुसार, ठीकरी विकासखंड के शासकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय मदरानीया में पदस्थ हीरालाल गुप्ता को स्कूल के मुख्य द्वार पर 6,600 रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा है. मामले की शिकायत प्राथमिक शिक्षक संजय वर्मा ने की थी.

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वर्मा ने बताया कि उनका जनवरी 2020 से अक्टूबर 2024 तक का वेतन विसंगति का एरियर 1 लाख 33 हजार 805 रुपये बकाया थे. इस राशि के भुगतान के लिए जब वे लेखापाल से मिले तो हीरालाल गुप्ता ने कुल राशि का 5 प्रतिशत यानी 6,600 रुपये की रिश्वत मांग कि गई थी.

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