Lok Sabha Elections 2024: लोकसभा की पूर्व स्पीकर (Former Speaker of Lok Sabha) और भारतीय जनता पार्टी की वरिष्ठ नेता सुमित्रा महाजन(Sumitra Mahajan) के बारे में एक बार देश के प्रधानमंत्री मोदी (PM Narendra Modi) ने कहा था- सुमित्रा ताई मुझे डांटती है. नरेन्द्र मोदी ने लोकसभा अध्यक्ष के रूप में सुमित्रा महाजन के कुशल सदन संचालन की सराहना करते हुए ये बात कही थी. इस पर अब NDTV ने अपने विशेष चुनावी शो NDTV कार्निवाल में खुद सुमित्रा महाजन से सवाल पूछा- क्या वाकई आपने पीएम मोदी को कभी डांटा है? सवाल के जवाब में सुमित्रा ताई ने पूरी बात बताई. उनके मुताबिक उन्होंने कभी डांटा तो नहीं सवाल जरूर किए. इसी पर मोदी जी ने हल्के-फुल्के अंदाज में कहा था- ताई मुझे डांटती है.
उन्होंने बताया कि गुस्से से कुछ भी नहीं होता. सौम्यता से बात करो तो सारे काम आसानी से हो सकते हैं. पीएम मोदी के साथ अपने संवाद के बारे में सुमित्रा ताई ने बताया कि जब हम आपस में बात करने बैठते थे तब मैं उन्हें कहती थी- आपने ऐसा क्यों किया? ऐसा नहीं होना चाहिए. तब पीएम मोदी मुझसे कहते थे- सुनो तो सही, मेरी बात तो सुनो. सुमित्रा ताई ने कहा- ऐसा बोलने की भी हिम्मत होनी चाहिए. मेरी इसी बात को मोदी जी ने कहा कि ताई मुझे डांटती है. NDTV कार्निवाल में हमारे स्थानीय संपादक अनुराग द्वारी से बातचीत में उन्होंने बताया राजनेताओं को चालाक नहीं होना चाहिए. ईमानदारी और जनता की सेवा ही मूलमंत्र होना चाहिए. जब उनसे सवाल किया गया कि क्या वाकई आज की परिस्थिति में बीजेपी 400 से ज्यादा सीटें जीत सकती है? तब सुमित्रा महाजन ने कहा- 400 पार करना असंभव नहीं है. 10 सालों में बीजेपी की सरकार ने जो काम किया है उसकी बदौलत ये संभव है. उन्होंने कहा कि जब भी बीजेपी का नेता प्रधानमंत्री बनता है तो जनहित के काम ज्यादा तेजी से होते हैं. एक दूसरे सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि संविधान को बदलने का सवाल ही नहीं है. अब तक हमारे संविधान में 100 से ज्यादा संशोधन हो चुके हैं. तो ये संशोधन इसलिए होते हैं कि ये समय की मांग होती है.
बता दें कि 13 मई 2019 को बतौर स्पीकर सुमित्रा महाजन के विदाई समारोह के दौरान पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा था- आप सब तो मुझे प्रधानमंत्री के रूप में जानते हैं. लेकिन बहुत कम लोगों को पता होगा कि हमारी पार्टी में अगर मुझे कोई डांट सकता है, तो वह ताई ही हैं.सुमित्रा महाजन इंदौर सीट से वर्ष 1989 से 2014 के बीच लगातार आठ बार चुनाव जीत चुकी हैं. लेकिन 75 साल से ज्यादा उम्र के नेताओं को चुनाव नहीं लड़ाने के भाजपा के नीतिगत निर्णय को लेकर मीडिया में खबरें आने के बाद उन्होंने पांच अप्रैल को खुद घोषणा की थी कि वह बतौर उम्मीदवार चुनावी मैदान में नहीं उतरेंगी.
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