Loksabha chunav 2024: छतरपुर जिला चुनता है 3 सांसद पर 15 सालों से कोई 'माननीय' यहां नहीं रहता !

छतरपुर जिला तीन संसदीय क्षेत्रों में विभाजित हैं..यहां के मतदाता तीन सांसदों को चुनने के लिए मतदान करते हैं. हालांकि जिले का दर्द ये है कि यहां के लोग तीन सांसद तो चुनते हैं लेकिन एक भी सांसद यहां नहीं रहता यानी न तो उनका आवास और न ही प्रशासनिक कार्यालय ही यहां हैं. ये हालत पिछले 15 सालों से है. जिसकी वजह से जिले के मतदाताओं को अपने क्षेत्रीय सांसदों को शिकायत दर्ज कराने के लिए उनके दूसरे जिलों में स्थित कार्यालयों तक जाना पड़ता है.

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Chhatarpur District: देश में पहले चरण की वोटिंग हो चुकी है...दूसरे चरण की वोटिंग 26 अप्रैल को होनी है. इसी बीच मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले की अजीब समस्या ने फिर से सबका ध्यान खींचा है. दरअसल ये जिला तीन संसदीय क्षेत्रों में विभाजित हैं..यहां के मतदाता तीन सांसदों को चुनने के लिए मतदान करते हैं. हालांकि जिले का दर्द ये है कि यहां के लोग तीन सांसद तो चुनते हैं लेकिन एक भी सांसद यहां नहीं रहता यानी न तो उनका आवास और न ही प्रशासनिक कार्यालय ही  यहां हैं. ये हालत पिछले 15 सालों से है. जिसकी वजह से जिले के मतदाताओं को अपने क्षेत्रीय सांसदों को शिकायत दर्ज कराने के लिए उनके दूसरे जिलों में स्थित कार्यालयों तक जाना पड़ता है. कई बार इसकी दूरी काफी अधिक होती है. छत्तरपुर जिले के तीन विधानसभा क्षेत्र छतरपुर, महाराजपुर और बिजावर जहां टीकमगढ़ संसदीय क्षेत्र का हिस्सा हैं. वहीं राजनगर और चंदला विधानसभा क्षेत्र खजुराहो संसदीय क्षेत्र में शामिल हैं. इसके अलावा बड़ामलहरा विधानसभा क्षेत्र दमोह लोकसभा का हिस्सा हैं.आगे बढ़ने से पहले जान लेते हैं कि छतरपुर जिले को

टीकमगढ़ का सांसद जो भी बने छतरपुर में नहीं रहेगा!

टीकमगढ़ संसदीय क्षेत्र का गठन वर्ष 2009 में हुआ था.तभी से यह सीट अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित है. यहां हुए पहले चुनाव में भाजपा प्रत्याशी डॉ. वीरेंद्र खटीक ने कांग्रेस प्रत्याशी वृंदावन अहिरवार को शिकस्त दी थी. संसदीय क्षेत्र में टीकमगढ़-निवाड़ी जिलों के 5 विधानसभा क्षेत्र शामिल होने के कारण डॉ. वीरेंद्र खटीक ने छतरपुर के बजाए टीकमगढ़ में अपना आवास और कार्यालय बनाया. इसके बाद 2014 और 2019 में भी उन्होंने चुनाव में जीत दर्ज की. वे लगातार 15 सालों से सांसद हैं.उनका शासकीय आवास टीकमगढ़ में ही हैं,इस बार फिर वे मैदान में है उनका मुकाबला टीकमगढ़ जिले के ही निवासी कांग्रेस उम्मीदवार पंकज अहिरवार से है.इससे साफ है कि इनमें से जो भी चुनाव जीतेगा उसका अगले पांच साल के लिए भी आवास और कार्यालय टीकमगढ़ जिले में ही संचालित रहेगा.

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खजुराहो सांसद भी नहीं चुने जाएंगे जिले से !

इसी प्रकार खजुराहो सांसद वीडी शर्मा का आवास स्थाई आवास तो भोपाल में है,लेकिन संसदीय क्षेत्र के पन्ना और कटनी में भी उनके आवास हैं. इससे पहले 2014 में नागौद जिला सतना के रहने वाले नागेंद्र सिंह खजुराहो संसदीय क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी के रूप चुनाव में जीत दर्ज की थी.खजुराहो लोकसभा क्षेत्र में छतरपुर जिले के दो ही विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं. इस कारण से निर्वाचित सांसद पन्ना में ही कार्यालय संचालित करने को प्राथमिकता देते हैं. 

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दमोह के भी दोनों प्रत्याशी छतरपुर से नहीं

इसी प्रकार से दमोह संसदीय क्षेत्र से 2009 में भाजपा प्रत्याशी शिवराज भैया ने चुनाव में जीत दर्ज की थी.वे दमोह जिले के ही निवासी थे. इसके बाद 2014 और 2019 में प्रहलाद पटेल ने भाजपा प्रत्याशी के रूप में जीत दर्ज की. उन्होंने दमोह में ही अपना आवास और कार्यालय संचालित किया.बड़ामलहरा क्षेत्र के लोगों को सांसद से कोई काम होने पर दमोह जाकर ही संपर्क पड़ता था.इस बार भी भाजपा प्रत्याशी राहुल लोधी दमोह जिले के और कांग्रेस प्रत्याशी सागर जिले के बंडा क्षेत्र के रहने वाले तरवर सिंह लोधी हैं.दोनों में से कोई भी चुनाव जीते, यह तय है कि उनका कार्यालय दमोह और उनके स्थाई आवास से ही संचालित होगा और बड़ामलहरा क्षेत्र के लोगों को वहीं जाकर अपने सांसद से संपर्क करना पड़ेगा.

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