देश में 7 मई को तीसरे चरण का मतदान होना है. मतदाता अगले पांच साल के लिए सरकार का चुनाव करेगी. मतदान से पहले राजनीतिक पार्टियां पूरी ताकत झोंकने में लगी हुई है. बता दें कि तीसरे चरण में देश के 95 लोकसभा सीटों पर मतदान होना है. हालांकि इन 95 सीटों में से एक सीट मध्य प्रदेश के विदिशा सीट भी है. यह सीट अपने आप में ही बड़ी ही ऐतिहासिक है. यहां से चुनाव जीतने वाले सांसद देश के प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री जैसे पदों पर अपनी सेवाएं दे चुके हैं.
विदिशा सीट कैसे बना बीजेपी का गढ़?
साल 1989 से विदिशा लोकसभा सीट भाजपा का गढ़ बनकर उभरी है. कहा जाता है कि भाजपा का बड़ा नेता विदिशा को भाजपा की सेफ सीट मानकर चुनाव लड़कर जीत हासिल करते हैं. दरअसल, 1989 के बाद भाजपा ने लगातार विदिशा से जीत हासिल की.
राजनीति जानकार कहते हैं कि जब भाजपा की देश भर में हालात नाजुक थी तब बड़े नेताओं को चुनाव लड़ाने के लिए विदिशा सीट चुनी जाती थी. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भी विदिशा सीट को चुना और यहां से सांसद का चुनाव लड़कर देश के प्रधानमंत्री बने. हालांकि बाद में वाजपेयी ने विदिशा से अपना इस्तीफा दे दिया था.
सुषमा स्वराज विदिशा सीट से हासिल की थी बड़ी जीत
दुनिया भर में अपनी शैली से एक अलग पहचान बनाने वाली पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से देश भर की सीटों में से विदिशा संसदीय सीट को चुना और इस सीट से बड़ी जीत हासिल कर देश की विदेश मंत्री बनी थी.
इधर, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का बुधनी के बाद अगर कोई दूसरा गढ़ कहलाता है तो वो विदिशा ही है. शिवराज सिंह चौहान ने विदिशा से ही राजनीतिक करियर की शुरुआत की. शिवराज विदिशा सीट से पांच बार सांसद चुने गए और फिर मुख्यमंत्री के रूप में शिवराज देखते ही देखते प्रदेश के मामा बन गए.
1989 में राघव भाई ने विदिशा में गाड़ा था भाजपा का झंडा
साल 1989 में भाजपा ने विदिशा सीट से चुनाव लड़ने के जनसंघ के कद्दावर नेता राघवभाई को मैदान में उतारा था. उस समय जनसंघ के नेता राघव भाई को गांव में अच्छी पकड़ थी. भाई ने साल 1989 में बड़ी जीत हासिल कर विदिशा में भाजपा का परचहम लहराया था और तब से लेकर आज तक विदिशा सीट पर भाजपा की जीत का सिलसिला लगातार जारी है. हर बार विदिशा से भाजपा ने रिकॉर्ड कायम करने के एक नया इतिहास रचा है.
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