Lok Sabha Election: घरेलू मैदान पर इन पार्टियों से हुंकार भर चुका है सिंधिया परिवार, जानिए कब-कब मिली जीत-हार

Guna Lok Sabha Seat: ज्योतिरादित्य सिंधिया ने 2002 से 2014 के बीच चार बार गुना सीट का प्रतिनिधित्व किया है, जिसमें उपचुनाव में जीत भी शामिल है. वह अपनी हार के एक साल बाद मार्च 2020 में 22 कांग्रेस विधायकों के साथ भाजपा में शामिल हो गए, जिससे मध्य प्रदेश में कमल नाथ के नेतृत्व वाली सरकार गिर गई थी.

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Lok Sabha Election 2024: ग्वालियर के पूर्व शाही सिंधिया परिवार (Royal Scindia Family) के प्रभावशाली सदस्य अपने गृह क्षेत्र से विभिन्न चुनाव (Election) लड़ते समय अलग-अलग राजनीतिक दलों (Political Party) के उम्मीदवार (Election Candidate) के रूप में चुनावी मैदान में उतरे हैं और अब केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (Minister of Civil Aviation Jyotiraditya Scindia) ने भी मध्य प्रदेश की गुना लोकसभा सीट (Guna Lok Sabha Seat) से बीजेपी (BJP Lok Sabha Election Candidate 2024) उम्मीदवार के रूप में अपना नामांकन दाखिल कर इस चलन को आगे बढ़ाया है. मध्य प्रदेश की राजनीति (Madhya Pradesh Politics) में परिवार की वर्तमान पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस उम्मीदवार (Congress Candidate) के रूप में गुना से अप्रत्याशित रूप से हारने के पांच साल बाद वापस मैदान में हैं, लेकिन इस बार ईवीएम (EVM) पर उनके नाम के आगे बीजेपी का चुनाव चिह्न ‘कमल' होगा.

ऐसी है गुना लोकसभा सीट

ज्योतिरादित्य बीजेपी संस्थापकों में शामिल विजया राजे सिंधिया (Vijaya Raje Scindia) के पोते और पूर्व केंद्रीय मंत्री दिवंगत माधवराव सिंधिया (Son of Madhavrao Scindia) के बेटे हैं. गुना लोकसभा सीट सिंधिया के उस गृह क्षेत्र का हिस्सा है, जो गुना, शिवपुरी और अशोक नगर जिलों की आठ विधानसभा सीट में फैला है. पूर्व ग्वालियर राजघराने के लिए यह एक दुर्लभ चुनावी झटका था जब केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री को 2019 में बीजेपी उम्मीदवार और उनके पुराने वफादार के पी यादव के हाथों लगभग 1.26 लाख वोट के अंतर से हार का सामना करना पड़ा था.

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ठीक चार साल पहले मध्य प्रदेश में अपनी सरकार गंवाने के बाद कांग्रेस चुनाव मैदान में ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ हिसाब-किताब बराबर करने की कोशिश कर रही है, लेकिन उसने गुना से अपने उम्मीदवार का नाम अभी तक घोषित नहीं किया गया है.

सिंधिया 2024 में फिर से चुनावी मैदान में हैं, लेकिन इस बार वह भारतीय जनता पार्टी (BJP) के बैनर तले चुनाव लड़ रहे हैं. बीजेपी उनकी मौसी एवं राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया और मध्य प्रदेश की पूर्व मंत्री यशोधरा राजे का राजनीतिक घर है.

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गुना लोकसभा क्षेत्र का इतिहास बताता है कि सिंधिया परिवार के सदस्यों ने अपना पहला और आखिरी चुनाव कभी एक ही पार्टी से नहीं लड़ा है.

चुनावी मैदान में ऐसा रहा है सिंधिया परिवार का इतिहास

केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य की दादी राजमाता विजया राजे सिंधिया ने अपना पहला चुनाव 1957 में कांग्रेस के टिकट पर इस सीट से लड़ा और जीत हासिल की थी. उन्होंने 1967 में स्वतंत्र पार्टी के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा और फिर 1989 में बीजेपी से चुनाव लड़ा.

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ज्योतिरादित्य के पिता माधवराव सिंधिया ने अपना पहला चुनाव 1971 में भारतीय जनसंघ (BJS) के टिकट पर गुना से लड़ा था और 2001 में नयी दिल्ली के पास एक विमान दुर्घटना में उनकी मृत्यु से पहले उन्होंने अपना आखिरी चुनाव 1999 में कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में लड़ा था.

वरिष्ठ पत्रकार, लेखक और राजनीतिक विश्लेषक रशीद किदवई ने कहा, ‘‘दशकों तक अलग-अलग राजनीतिक दलों से चुनाव लड़ने के बाद सिंधिया परिवार ने आखिरकार अपने अतीत और वैचारिक झुकाव के अनुसार पार्टी चुन ली है.'' किदवई ने कहा कि राजशाही युग में संघ, हिंदुत्व और दक्षिणपंथ हमेशा से ही सिंधिया की पसंद रहा है.

गुना संसदीय सीट का प्रतिनिधित्व राजमाता सिंधिया ने छह बार किया, जबकि उनके बेटे माधवराव सिंधिया ने चार बार यहां से जीत हासिल की. गुना के अलावा, राजमाता सिंधिया ने एक बार पारिवारिक क्षेत्र का हिस्सा ग्वालियर लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व किया था. माधवराव सिंधिया ग्वालियर से पांच बार चुने गए. राजमाता सिंधिया की बेटी यशोधरा राजे ने भी बीजेपी के लिए दो बार लोकसभा में ग्वालियर सीट (Gwalior Lok Sabha Seat) का प्रतिनिधित्व किया.

ज्योतिरादित्य सिंधिया का चुनावी सफर ये रहा

ज्योतिरादित्य सिंधिया ने 2002 से 2014 के बीच चार बार गुना सीट का प्रतिनिधित्व किया है, जिसमें उपचुनाव में जीत भी शामिल है. वह अपनी हार के एक साल बाद मार्च 2020 में 22 कांग्रेस विधायकों के साथ भाजपा में शामिल हो गए, जिससे मध्य प्रदेश में कमल नाथ के नेतृत्व वाली सरकार गिर गई थी.

वर्ष 2019 में लोकसभा चुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया की हार सिंधिया परिवार के लिए दूसरा झटका थी. इससे पहले 1984 में केंद्रीय मंत्री की चाची और राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को भिंड लोकसभा सीट से बीजेपी उम्मीदवार के तौर पर हार का सामना करना पड़ा था. वह कांग्रेस उम्मीदवार कृष्णा सिंह जूदेव से हार गईं, जो दतिया के पूर्व शाही परिवार से हैं.

मध्य प्रदेश की गुना लोकसभा सीट में 18.80 लाख से अधिक मतदाता हैं और यहां सात मई को तीसरे चरण में मतदान होगा.

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