9 months ago
खंडवा:
रेलवे का कामकाज स्तरीय माना जाता रहा है, लेकिन मध्य प्रदेश के खंडवा में मामूली बारिश से ही निर्माणाधीन रेलवे ट्रैक के बह जाने से हलचल मच गई है. खंडवा-अकोला रेलवे ट्रैक पर पिचिंग के साथ पटरी बिछाने का काम पूरा हो गया था, लेकिन ट्रायल से पहले ही ट्रैक के नीचे से मिट्टी खिसक गई. इस बीच, सेंट्रल रेलवे (नांदेड़) के जनसंपर्क अधिकारी राजेश शिंदे ने कहा है कि चूंकि ट्रैक अभी निर्माणाधीन है, और विभाग को उसका हैंडओवर नहीं दिया गया है, इसलिए रेलवे के जो इंजीनियर इसकी मॉनीटरिंग करते हैं, वही इसके बारे में सटीक जानकारी दे पाएंगे.
सेंट्रल रेलवे (नांदेड़) के जनसंपर्क अधिकारी राजेश शिंदे ने कहा है कि चूंकि ट्रैक अभी निर्माणाधीन है, और विभाग को उसका हैंडओवर नहीं दिया गया है, इसलिए रेलवे के जो इंजीनियर इसकी मॉनीटरिंग करते हैं, वही इसके बारे में सटीक जानकारी दे पाएंगे.
रेलवे इंजीनियर ही बता पाएंगे असलियत : सेंट्रल रेलवे
इस बीच, सेंट्रल रेलवे (नांदेड़) के जनसंपर्क अधिकारी राजेश शिंदे ने कहा है कि चूंकि ट्रैक अभी निर्माणाधीन है, और विभाग को उसका हैंडओवर नहीं दिया गया है, इसलिए रेलवे के जो इंजीनियर इसकी मॉनीटरिंग करते हैं, वही इसके बारे में सटीक जानकारी दे पाएंगे.
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क्या-क्या काम करवाया जा रहा है...?
साउथ सेंट्रल रेलवे के नांदेड मंडल ने खंडवा-अकोला रेल खंड पर करीब 2,000 करोड़ रुपये के टेंडर अलग-अलग कंपनियों को दिए हैं, जिनके तहत खंडवा से अमलाखुर्द, अमलाखुर्द से तुकईथड़ स्टेशन और आकोट से अड़गांव स्टेशन तक ब्रॉडगेज रेल मार्ग परिवर्तन का काम करवाया जा रहा है. इसके अलावा, खंडवा से अमलाखुर्द के बीच 54 किमी ब्रॉडगेज परिवर्तन का काम भी दो साल से जारी है, और गड़बड़ी इसी ट्रैक पर सामने आई है.
अब तक मामूली ही हुई है बारिश...
खंडवा जिले में अब तक सिर्फ 214 एमएम बारिश रिकॉर्ड हुई है, और मामूली बारिश में ही पटरियां बिछाए जाने के बाद ऐसी गड़बड़ी सामने आने पर निर्माण कार्य की गुणवत्ता पर सवाल उठ रहे हैं.
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कहां से खिसकी हैं पटरियां...?
खंडवा जिले में गुड़ी गांव के स्थानीय लोगों का कहना है कि टाकलखेड़ा और मोरधड़ स्टेशन के बीच की पटरियां हवा में लटकी नज़र आ रही हैं. इस क्षेत्र में पानी का बहाव भी ज़्यादा नहीं था, और फिलहाल तो बारिश भी ज़्यादा नहीं हुई.
रेलवे इंजीनियर्स ने किया निरीक्षण
रेलवे इंजीनियर्स ने निर्माण कंपनी के इंजीनियरों के साथ घटनास्थल पर पहुंचकर निरीक्षण किया है. बनाए गए नए ट्रैक का हैंडओवर फिलहाल रेलवे को नहीं दिया गया था, लेकिन करीब 2.5 किमी ट्रैक के नीचे से मिट्टी खिसक जाने को बड़ी लापरवाही की तरह देखा जा रहा है.