MP News: रतलाम में प्लॉट खरीदने वालों पर मंडराया जेल जाने का खतरा, डर ऐसा कि शहर छोड़कर भागे रसूखदार

RMC Corporation: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के रतलाम नगर निगम से एक बड़ी खबर है. हर दम चर्चा में रहने वाले रतलाम नगर निगम की प्लॉटों की बिक्री को लेकर मुश्किलें बढ़ती जा रही है. इस मामले में उज्जैन लोकायुक्त पुलिस ने जांच के बाद 33 आरोपियों के खिलाफ गंभीर धाराओं में FIR दर्ज की है.

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चर्चा में आया रतलाम नगर निगम, 33 लोगों पर FIR दर्ज.

Madhya Pradesh Hindi News: मध्य प्रदेश के रतलाम (Ratlam) जिले के सिविक सेंटर में 27 प्लॉटों की बिक्री में नियमों को दरकिनार करना अब भारी पड़ रहा है. इस मामले में रतलाम नगर निगम (Ratlam Municipal Corporation) की मुश्किलें भी बढ़ती जा रही हैं. शिकायत के बाद उज्जैन लोकायुक्त पुलिस (Ratlam Municipal Corporation) ने बड़ा एक्शन लिया है. लोकायुक्त की टीम ने 33 लोगों के खिलाफ गंभीर धाराओं में FIR दर्ज की है. अब सवाल ये उठ रहा है कि इन प्लॉटों की नियमों के उलट बिक्री कैसे की गई? इस पूरे खेल में कौन-कौन लोग शामिल हैं. सूत्रों की मानें, तो रतलाम नगर निगम के तात्कालिक आयुक्त एपीएस गहरवार, उपायुक्त विकास सोलंकी और उपपंजीयक प्रसन्न गुप्ता समेत सिविक सेंटर के 27 प्लॉटों को खरीदने वालों को जेल जाना पड़ सकता है. 

लीज पर थी जमीन, फिर ये कैसे..?

यह पूरी जमीन रतलाम नजूल की है, जो रतलाम निगम को लीज पर दी गई थी. इसके बावजूद सभी नियमों को धता बताकर नगर निगम के जिम्मेदारों ने इस जमीन की पुरानी दरों पर रजिस्ट्री करवा दी. फिर करोड़ों रुपये के वारे-न्यारे कर दिए. इन प्लॉटों को खरीदने वालों में शहर के कई रसूखदार परिवार के लोग और महिलाएं भी शामिल हैं, जो एफआईआर दर्ज होने के बाद बीती रात ही गिरफ्तारी के डर से रतलाम छोड़कर भाग निकले.

 निगम परिषद की अनुमति क्यों नहीं ली?

आरोप है कि तात्कालिक आयुक्त एपीएस गहरवार और अन्य अधिकारियों ने प्लाट खरीदने वालो के साथ मिलकर यह घोटाला किया है, जिसमें आयुक्त और दूसरे अधिकारियों ने नगर निगम परिषद की अनुमति के बिना ही 27 बेशकीमती प्लाटों की रजिस्ट्री और नामांतरण करवा दिया. खास बात यह की खरीदने वालों ने भी तत्काल रजिस्ट्री और नामांतरण करवा कर हाथों हाथ दूसरों के नाम इन प्लॉट्स की रजिस्ट्री करवा दी. इस पूरे मामले की शिकायत उज्जैन लोकायुक्त पुलिस को मार्च महीने में की गई थी. इसके बाद लोकायुक्त पुलिस ने पूरे मामले की जांच कर मंगलवार शाम तक 33 लोगों के खिलाफ गंभीर धाराओं में अपराध दर्ज किया है.

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नेता प्रतिपक्ष सहित कई लोगों ने की थी शिकायत

आरोपियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की दो धाराओं के साथ 409, 420, 120 बी के तहत एफआईआर दर्ज की है, गौरतलब है कि मामले में 7 मार्च को नगर निगम के सम्मेलन में BJP पार्षदों ने रजिस्ट्री निरस्त करवाने का प्रस्ताव भी पास किया था. इसके बाद नेता प्रतिपक्ष सहित कई लोगों ने लोकायुक्त उज्जैन पुलिस में पूरे मामले की शिकायत दर्ज करवाई थी. वहीं, लोकायुक्त पुलिस ने जांच के बाद दोषी पाए जाने पर सभी 33 आरोपियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है.

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