MP में चरम पर भ्रष्टाचार, कागजों में ही खोद डाले करोड़ों के तालाब

MP News: सरकारी रिकॉर्ड में तो मध्य प्रदेश में कई सारे अमृत सरोवर है, लेकिन वास्तव में इनमें पानी की एक बूंद भी नहीं है.  

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सूखे पड़े है तालाब

MP Lake Scam: पानी बचाने के लिये अमृत सरोवर योजना (Amrit Sarovar Yojana) मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के सतना (Satna) जिले में कथित तौर पर भ्रष्टाचार की तपिश से सूख चुकी है. अमृत सरोवरों की जमीनी हकीकत जानने के लिए जब एनडीटीवी (NDTV) की टीम ने सतना जिले के दो ब्लाकों की चार पंचायत का दौरा किया, तो असल हालात का पता लगा. सरकारी फाइलों (Government Files) में कई तालाब स्वीकृत हो गये, बन भी गये, लेकिन हकीकत में कई जगहों पर अब तक काम शुरू नहीं हुआ.

तालाब के नाम पर खुला मैदान

पुराने तालाब को दिया गया नया नाम

सतना जिले के मझगवां के पिपरी टोला में एक अमृत सरोवर को सरकारी कागजों में तैयार बताया गया. फाइलों की माने तो इसके निर्माण में कुल 23.73 लाख रुपए खर्च किए गए. लेकिन, हकीकत में यहां जो बदहाल तालाब पहले से थी, उसी को अमृत सरोवर करार करके खेल कर दिया गया. मझगवां के ही किटहा में 54.05 लाख रुपए की लागत से कागजी तालाब बना. निर्माणाधीन नहर के नीचे, यहां पहुंचना आसान नहीं है. खेती की जमीन से लगाकर एक मेड़ बना दी गई है, जिसमें लगे पत्थर तक खिसक गये हैं. इलाके के लोग कहते हैं यहां बरसात में भी पानी नहीं रूकता. बता दें कि नरेगा के पोर्टल में ये अभी भी निर्माणाधीन है.

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अमृत सरोवर का निर्माण मनरेगा, जनभागीदारी और सरकारी विभागों के सामंजस्य से होता है. नियम मानव श्रम से काम कराने का है, लेकिन हकीकत में कोई भी बता देगा कि काम मशीनों से हुआ है. ग्रामीणों का आरोप है कि जिन जगहों को खनन माफिया ने खोद डाला था, उनको ही कागजों में अमृत सरोवर बनाकर भुगतान कर दिया गया.

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24 लाख रूपए की मेड़

अमिलिया में अमृत सरोवर योजना के नाम पर लोगों के साथ भद्दा मजाक किया गया. यहां पर 24.84 लाख रूपए की लागत से सिर्फ एक मेड़ बनाई गई. सरोवर के नाम पर यहां एक बच्चों के खेल का मैदान है. नागौद के दुरेहा में अमृत सरोवर पर पहले 15 लाख, फिर 5 लाख और खर्च हुए. जब शिकायत हुई तो सचिव तालाब में पत्थर की पिचिंग कराने लगे. हकीकत में सिर्फ औपचारिकता पूरी की गई. 

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