देश की आजादी के 22 महीने बाद मिली थी भोपाल को स्वतंत्रता, यहां पढ़ें अनसुना किस्सा

Bhopal Azadi: भोपाल को आज़ादी प्राप्त करने के लिए 22 महीनों का इंतज़ार करना पड़ा, और राजधानी में पहला तिरंगा जुमेराती डाकघर पर फहराया गया था.भोपाल के शासक हमीदुल्लाह खान की पाकिस्तान में शामिल करने की कोशिशों के खिलाफ विलीनीकरण आंदोलन चला, जिसके बाद ही भोपाल को स्वतंत्रता मिली.

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78th independence Day:  मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल की आजादी का किस्सा थोड़ा खाफी अलग है. भोपाल की आज़ादी का पहला तिरंगा राजधानी के सबसे पुराने पोस्ट ऑफिस, जुमेराती में फहराया गया था. यह पोस्ट ऑफिस आज भी तिरंगा फहराने का प्रतीक बना हुआ है. इस स्थान से जुड़ी कहानी खास है. NDTV से बातचीत में विवेक साहू ने इस ऐतिहासिक स्थल का महत्व बताते हुए भोपाल के सेनानियों को श्रद्धांजलि अर्पित की.

भोपाल की आज़ादी की अनकही कहानी

15 अगस्त 1947 को जब भारत ने आजादी प्राप्त की, तब भोपाल को स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए 22 महीनों का इंतज़ार करना पड़ा. उस समय भोपाल में हमीदुल्लाह खान का शासन था, जो भोपाल को पाकिस्तान का हिस्सा बनाना चाहते थे. इस स्थिति से निपटने के लिए कई युवा क्रांतिकारियों ने विलीनीकरण आंदोलन की शुरुआत की. इस आंदोलन के सफल होने के बाद ही भोपाल को स्वतंत्रता मिली.युवा क्रांतिकारियों की आजादी में बड़ी भूमिका रही थी.

जुमेराती डाकघर से जुड़ी कहानी

नवाबों के शासन के दौरान, जुमेराती डाकघर पर खतों का आदान-प्रदान होता था. उस समय की बेगम ने इसे डाकघर का रूप दिया था. अंग्रेजी शासकों ने भी इस डाकघर का उपयोग किया और आज भी यह स्थान खत भेजने और प्राप्त करने का महत्वपूर्ण केंद्र है.

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कैसे भारत में शामिल हुआ भोपाल

भोपाल को आजादी न मिलने की जानकारी जब दिल्ली में सरदार पटेल तक पहुंची, तो उन्होंने नवाब पर भोपाल को भारत में शामिल करने का दबाव डाला. लंबे संघर्ष और लड़ाई के बाद, भोपाल को 2 साल बाद स्वतंत्रता मिली.

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