मध्य प्रदेश को भारत का दिल कहा जाता है और यहां घूमने-फिरने के लिए कई ऐसी जगह हैं, जो किसी को भी अपना दीवाना बना सकती हैं. इनमें प्राकृतिक स्थल भी शामिल हैं तो पुराने किले और मंदिर भी, जो लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करते हैं. आज हम आपको मध्य प्रदेश के 5 ऐसे प्रमुख स्थानों के बारे में बता रहे हैं, जिन्हें देखकर आपकी छुट्टियां यादगार बन जाएंगी.
खजुराहो (Khajuraho)
खजुराहों सिर्फ मध्य प्रदेश और भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है. खजुराहो अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के लिए पूरी दुनिया में पहचाना जाता है. ये शहर प्राचीन हिंदू और जैन मंदिरों का घर है. इन मंदिरों पर आध्यात्मिक शिक्षाओं, ध्यान, नृत्य, कुश्ती और कामुक कला की मूर्तियां बनी हुई हैं. ऐसा माना जाता है कि खजुराहो में मौजूद मंदिरों का निर्माण 950-1050 ईस्वी के दौरान चंदेल वंश के राजाओं ने कराया था. बता दें कि मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड में स्थित खुजराहों को भव्यता-सुंदरता और प्राचीनता को देखते हुए साल 1986 में वर्ल्ड हेरिटेज की सूची में शामिल किया गया था.
भीमबेटका गुफाएं (Bhimbetka rock shelters)
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर स्थित भीमबेटका अपनी गुफाओं के लिए फेमस है. जो एमपी के रायसेन जिले में स्थित है. भीमबेटका की हजारों साल पुरानी गुफाएं यहां के प्राचीन इतिहास की गवाही देती है. ऐसे में माना जाता है कि भीमबेटका की गुफाएं 30 हजार साल से भी पुरानी हैं. कहा जाता है कि ये वो ही जगह है जहां पर पांडवो ने अज्ञातवास काटा था. बता दें कि भीमबेटका दुनियाभर के पर्यटकों को आकर्षित करती है और यहां पहुंचने के बाद ऐसे लगता है कि जैसे हम पाषाण काल में पहुंच गए हैं. भीमबेटका की गुफाओं पर 30 हजार साल पुराने चित्र उकरे हुए हैं.
सांची स्तूप (Sanchi Stupa)
मध्य प्रदेश के प्रमुख पर्यटन स्थलों में सांची स्तूप प्रमुख है जो रायसेन जिले में बेतवा नदी किनारे स्थित है. संरचना और शिल्पकारिता के कारण साल 1989 में यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर स्थल सूची में शामिल किया. बता दें कि बौद्ध धर्म के मानने वालों के लिए सांची स्तूप बेहद अहम है, क्योंकि यहीं पर भगवान बुद्ध की अस्थियां दफनाई गईं थी. यह भारत की सबसे प्राचीन पत्थर की संरचनाओं में शुमार किया जाता है. इसका निर्माण तीसरी शताब्दी ईसा में महान सम्राट और बौद्ध धर्म के अनुयायी सम्राट अशोक ने कराया था.
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रालामंडल (Rlamandaal)
अगर आप प्रकृति से प्यार करते हैं और उसे बेहद करीब से देखना व महसूस करना चाहते हैं तो ऐसे में आप मध्य प्रदेश के रालामंडल अवश्य जाएं. यहां आपको जंगल जैसा परिदृश्य देखने को मिलेगा. दरअसल, इंदौर शहर से 12 किलोमीटर की दूरी पर रालामंडल अभ्यारण्य मौजूद है. इस अभ्यारण्य का क्षेत्रफल 262 वर्ग फीट है. इस अभ्यारण्य की स्थापना होलकर महाराज के समय की गई थी.
भेड़ाघाट (Bhedaghat)
जबलपुर का जिक्र हो तो सबसे पहले भेड़ाघाट की याद आ जाती है. दरअसल, भेडाघाट मन मोहिनी खूबसूरती के लिए काफी फेमस है. भेड़ाघाट का शांत और निर्मल जल सबका मन मोह लेता है. जब सूरज की रोशनी सफेद और मटमैले रंग के संगमरमर चट्टान पर पड़ती है, तो नदी में बनने वाला इसका प्रतिबिंब अद्भुत होता है. भेड़ाघाट और यहां की संगमरमर की चट्टान की खूबसूरती उस समय चरम पर होती है,जब चांद की रोशनी चट्टान और नदी पर एक साथ पड़ती है. बता दें कि विश्व में ख्याति प्राप्त भेड़ाघाट जबलपुर से करीब 23 किलोमीटर दूर है.
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