Khargone: सरकार ने नहीं सुनी तो लोगों ने चंदा इकट्ठा कर खुद बना दिया पुल, अब परिक्रमा हुई आसान, ये है पूरा मामला 

MP News: नर्मदा नदी की परिक्रमा करने वाले श्रद्धालुओं के बड़वाह नगर मे रुकने और भोजन प्रसादी की व्यवस्था तो अच्छे से होती थी, लेकिन पडाली नदी के नाले पर से गुजरने के लिए उन्हें कड़ी मशक्कत करनी पड़ती थी. युवाओं ने श्रमदान कर  ₹200000 की लागत से यह परिक्रमा सेतु बनाकर परिक्रमा करने वाले श्रध्दालुओं के रास्ते को आसान कर दिया है. अब कोई भी श्रद्धालु इस गंदे नाले से गुजरते हुए अपवित्र नहीं होगा और ना ही उसे चोट लगेगी. 

विज्ञापन
Read Time: 16 mins

People collected donations and built the bridge : मध्य प्रदेश के खरगोन (Khargone)में मां नर्मदा के परिक्रमा मार्ग में गंदे नाले पर लोगों ने चंदा इकट्ठा कर पुल बनाया है. यहां पर पुल बनाने की मांग काफी समय से लोग कर रहे थे. जब सरकार ने नहीं सुनी तो स्थानीय लोगों ने खुद ही चंदा इकट्ठा कर पुल बना दिया. अब परिक्रमा करने वाले श्रद्धालुओं का सफर आसान होगा. 

गंदा नाला पार करने में होती थी दिक्क्तें 

मां नर्मदा विश्व की एकमात्र ऐसी नदी है जिसकी परिक्रमा की जाती है. देवउठनी एकादशी से श्रद्धालु मां नर्मदा की परिक्रमा करने का संकल्प लेते हैं. दक्षिण तट से लेकर यात्रा शुरू करते हैं. लगभग 2600 किलोमीटर के सफर में यात्रा जंगल और कठिन रास्तों से गुजरते हुए उत्तर तट पर बड़वाह पहुंचते हैं. नागेश्वर कुंड में दर्शन कर पडाली नदी को पार करना होता है. लेकिन अब यह नदी नाले में बदल गई है. ऐसे में श्रद्धालुओं को गंदा नाला पार करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था. नगर के लोगों ने यहां पुल बनाने की मांग कई बार शासन- प्रशासन से की थी. लेकिन इस ओर किसी ने भी ध्यान नहीं दिया.  

Advertisement

इसलिए लिया फैसला

परिक्रमा करने वाले श्रद्धालुओं की सेवा करने वाले शैलेंद्र शर्मा ने बताया कि परिक्रमा वासियों को इस मार्ग से होकर नाले में से गुजरना पड़ता था. कोरोना काल में जमीन पर दंडवत होकर कठिन परिक्रमा करते हुए दंडवत बाबा यहां पहुंचे थे.रात्रि विश्राम किया. सुबह उन्हें नाला पार करना था. हमने गंदे नाले पर टीन और पटिया लगाया.उन्हें पार कराया था. इसके बाद से ही हमने यहां पल निर्माण का फैसला लिया और कई बार जनप्रतिनिधियों से गुहार भी लगाई. लेकिन किसी तरह ऐसे में हम सभी ने जन सहयोग से पुल बनाने का फैसला लिया. 

Advertisement

ये भी पढ़ें Chhatarpur: घर में सो रही मासूम बच्ची पर आवारा कुत्तों ने किया हमला, एक दिन में इतने लोगों को काटा 

Advertisement

श्रमदान भी किया 

जन भागीदारी में सहयोगी सुरेंद्र पंडया कहते हैं कि  सभी के जन सहयोग से ही यह पुलिया बनी है, इसके लिए हमने कई काफी प्रयास किया. सभी ने स्वेच्छा से श्रमदान भी किया. अभी इसमें और भी काम बाकी है। नागेश्वर कुंड के पास रहने वाले कालू नरिया कहते हैं कि इस परिक्रमा सेतु के निर्माण में हमने सहयोग तो दिया ही है श्रमदान भी किया है. यहां से निकलने वाले परिक्रमा वासी गंदे पानी से होकर निकलते थे तो बहुत दुखी होते थे.

ये भी पढ़ें इंदौर के 'अनाथालय' में सजा के नाम पर बच्चियों को टॉर्चर करने के आरोप, प्रशासन ने कराया खाली, FIR दर्ज