खरगोन में बनने से पहले ही लापरवाही की भेंट चढ़ा पुल, फिर टूटी गांव वालों की उम्मीदें...

Khargone News:  मध्य प्रदेश के सनावद तहसील के ग्राम खनगांव से खेड़ी (बाकुड नदी) के बीच पर बनने वाले बहुप्रतीक्षित ब्रिज निर्माण कार्य शुरू होने से पहले ही लापरवाही की भेंट चढ़ गया. पहले तो बिना प्रशासनिक स्वीकृति के टेंडर जारी कर दिए गए ओर जब कंपनियों के टेंडर स्वीकृत हो गए तब भुगतान के लिए राशि नहीं होने का हवाला देकर कम्पनियों को काम बंद कर देने के आदेश पत्र दे दिया गया.

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Khargone News:  मध्य प्रदेश के सनावद तहसील के ग्राम खनगांव से खेड़ी (बाकुड नदी) के बीच पर बनने वाले बहुप्रतीक्षित ब्रिज निर्माण कार्य शुरू होने से पहले ही लापरवाही की भेंट चढ़ गया. पहले तो बिना प्रशासनिक स्वीकृति के टेंडर जारी कर दिए गए ओर जब कंपनियों के टेंडर स्वीकृत हो गए तब भुगतान के लिए राशि नहीं होने का हवाला देकर कम्पनियों को काम बंद कर देने के आदेश पत्र दे दिया गया.

सनावद तहसील मुख्यालय से मात्र तीन किलोमीटर की दूरी पर बसे ग्राम खनगांव और ग्राम खेड़ी के बीच ग्रामीणों ने पुल के लिए आंदोलन किया था. इसके बाद लोक निर्माण विभाग के सेतु निगम द्वारा ब्रिज निर्माण करने के लिए 3 करोड़ 54 लाख का ठेका गुरुग्राम के ठेकेदार MGSR बिल्डकॉन प्राइवेट लिमिटेड को सितंबर 2023 में दिया था. कंपनी ने एक साल तक नदी किनारे सिर्फ गड्ढे ही खोदे और अपनी प्रोग्रेस में 40 परसेंट कार्य होना बताया. मध्य प्रदेश सेतु निगम ने कंपनी को राशि देने से इसलिए इनकार कर दिया कि जो टेंडर दिया था उसकी स्वीकृति नहीं हुई थी, इसलिए काम बंद कर दिया. 

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क्या बोले ग्रामीण? 

ब्रिज का कार्य बंद होने पर ग्रामीणों की चिंताएं बढ़ गई. एनडीटीवी की टीम ने ग्राम खनगांव में बांकुड नदी के किनारे खोदे गए गड्डो के पास ग्रामीणो से चर्चा की. श्याम सिंह पवार ने बताया कि हमने ग्राम खंनगांव और खेडी के बीच बहने वाली बाकुड नदी पर ब्रिज बनाने के लिए आंदोलन किए नेताओं और अधिकारियों से बात की. तत्कालीन प्रभारी मंत्री कमल पटेल ने मंडी निधि से ब्रिज बनाने की राशि की मंच से घोषणा की थी. परंतु चुनाव के बाद सरकार ने उक्त राशि को फंड ना होने की बिनाह पर इनकार कर दिया. इसमें अधिकारियों की लापरवाही रही है कि उन्होंने बगैर स्वीकृति के टेंडर बुलाए और ठेका आवंटित कर दिया.

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ग्रामीणों ने बताया कि सेतु निगम ने टेंडर की स्वीकृति नहीं दी थी, इसलिए राशि आवंटित नहीं की. इस ब्रिज से प्रभावित 8 से 10 ग्रामों के 18 से 20000 किसान हैं. जिनके खेत और मकान नदी के उस पार है. हमें पानी में से होकर ही बैलगाड़ी और वहां को लेकर निकलना पड़ता है. सनावद का बांध बंद होने पर अपने इस स्थान पर 20 फीट गहरा हो जाता है ट्यूब के माध्यम से ही निकालना पड़ता है. 

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मुसीबत में 40 से 50 परिवार

नारायण सिंह पवार ने बताया कि नदी के उस पार खेडी में 40 से 50 मकान है. साथ ही अन्य 10 से 15 ग्राम जिन्हें सनावद आने के लिए नदी में से होकर गुजरना पड़ता है. आजादी से अब तक हम नदी के रास्ते से परेशान हैं. ब्रिज के लिए हमने अनेक बार आंदोलन किया. इस बार के आंदोलन से उम्मीद बंधी थी कि पुल बन जाएगा और आवागमन सुलभ हो जाएगा मगर अधिकारियों और कर्मचारियों की लापरवाही के चलते पुल बनने की उम्मीद अधर में लटक गई. 

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