ग्वालियर - तिरुवनंतपुरम से नई दिल्ली जाने वाली केरला एक्सप्रेस के साथ एक खौफनाक हादसा होते-होते बचा. सोमवार को यह ट्रेन ग्वालियर होते हुए देलवाड़ा-ललितपुर ट्रैक पर कई मिनट तक टूटी हुई पटरियों पर दौड़ती रही. घटना के दौरान ट्रेन के चार कोच टूटे हुए ट्रैक से गुजर चुके थे, लेकिन ड्राइवर की सतर्कता से बड़ा हादसा टल गया. जानकारी के अनुसार, जब ट्रेन देलवाड़ा-ललितपुर ट्रैक पर पहुंची तब ट्रेन चालक को कुछ असामान्य महसूस हुआ. उसने देखा कि आगे लाल झंडा दिखाया जा रहा है जिस पर तुरंत इमरजेंसी ब्रेक लगाकर ट्रेन को रोक दिया. इस दौरान ट्रेन के चार डिब्बे पहले ही टूटे हुए ट्रैक से गुजर चुके थे. अचानक ब्रेक लगने से यात्रियों में हड़कंप मच गया लेकिन किसी को नुकसान नहीं पहुंचा. ट्रेन को बाद में सुरक्षित तरीके से आगे रवाना कर दिया गया.
2 अधिकारी किए गए सस्पेंड
घटना के बाद रेलवे विभाग ने प्राथमिक जांच कराई, जिसमें खुलासा हुआ कि ट्रेन को बिना कॉशन ऑर्डर के उस सेक्शन से गुजार दिया गया था, जहां काम चल रहा था. इस लापरवाही के कारण चालक को इमरजेंसी ब्रेक लगाने पड़े. जांच रिपोर्ट में झांसी मंडल ने इस लापरवाही के लिए सेक्शनल पीडब्ल्यूआई स्कंद भटनागर और सीनियर सेक्शन इंजीनियर मनोज खरे को दोषी माना है. दोनों अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया गया है.
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घटना के बाद उठे सवाल
गनीमत रही कि इस हादसे में किसी को नुकसान नहीं हुआ. लेकिन इस घटना ने रेलवे के सुरक्षा मानकों को सवालों के घेरे में लाकर खड़ा कर दिया है. यदि ड्राइवर की सूझबूझ न होती, तो यह घटना एक बड़े हादसे में तब्दील हो सकती थी, जिससे कई यात्रियों की जान पर बन आ सकती थी या फिर कोई बड़ी अनहोनी हो सकती थी.
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