आधा क्विंटल सोना, 84 मंदिर... दानवीर कर्ण की धरती में दफन हैं कई राज! खुदाई में निकलती हैं बेशकीमती चीजें

Madhya Pradesh Tourism: मध्य प्रदेश के कटनी जिले में स्थित बिलहरी में प्राचीन पुष्पवती नगरी के अवशेष हैं, जो दसवीं शताब्दी के कल्चुरी वंश के राजा दानवीर कर्ण की नगरी थी. यहां 84 मंदिर और 7 बावड़ियां हैं, जो भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित हैं.

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बिलहरी में प्राचीन पुष्पवती नगरी के अवशेष

Pushpavati Nagri Bilhari: मध्य प्रदेश की धरती इतिहास, पुरातत्व और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से बेहद संपंन्न है. कटनी जिले में भी एक ऐसी जगह है जहां खुदाई में मिली चीजें यहां के समृद्ध इतिहास की कहानी बयान करती हैं. विश्व धरोहर दिवस पर जिले के बिलहरी में दसवीं शताब्दी के कल्चुरी वंश के राजा दानवीर कर्ण की नगरी में एनडीटीवी की टीम पहुंची, जहां पर पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित किए गए मंदिर और बावड़ियों को देखर कोई भी हैरान हो जाएगा. साथ ही यहां की किवदंतियां भी आपके बीतर रोमांच पैदा कर सकती है. यहां के लोग बताते हैं कि आज भी यहां खुदाई में कई बेशकीमती चीजें धरती की कोख से निकलती हैं. 

दसवीं शताब्दी में कल्चुरी वंश के राजा कर्ण की रानी पुष्पवती के नाम से यह नगर बसाया गया था, जो अब बिलहरी के नाम से जाना जाता है. वर्तमान में यह कटनी जिले की उपतहसील है. इस नगरी की विशेषता यह है कि पुष्पवती नगरी में 84 मंदिर और 7 बावड़ियां बनाई गई थी. इसमें प्रमुख मंदिर शिव मंदिर भी है, मंदिर के अंदर नक्काशियां आज भी पर्यटकों को आकर्षित कर रही हैं. भारतीय पुरातत्व विभाग ने इसे संरक्षित किया है और प्रमुख मूर्तियों को संग्रहित करके ताला बंद करके रखा गया है ताकि इसको कोई नुकसान न पहुंचे.

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खुदाई में निकलती हैं... 

यहां के आसपास इलाकों में आज भी खुदाई के दौरान प्राचीन मूर्तियां निकलती रहती हैं. खुदाई में निकली ज्यादातर मूर्तियां खंडित अवस्था में हैं, लेकिन सभी मूर्तियों को संरक्षित करने का काम किया जा रहा है. मंदिर प्रांगण में भी कई मूर्तियां मिलेंगी जो खंडित हो चुकी हैं. 

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पुष्पवती नगरी में दूर-दूर से आते हैं लोग लेकिन... 

भारतीय इतिहास को जानने के लिए यहां दूर-दूर से लोग आते रहते हैं लेकिन राजा कर्ण की नगरी कहे जाने वाली पुष्पवती नगरी की जिस तरह ख्याति है, उस हिसाब से यहां दर्शनीय स्थलों को लेकर काम नहीं हुआ है. इस दिशा में पुरातत्व विभाग को और भी काम करने की जरूरत है, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग यहां के इतिहास को जाने के लिए आएं और पर्यटन को बढ़ावा मिले. स्थानीय निवासी आशीष दुबे ने बताया कि यह भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित किया गया है. यहां पर मंदिर तापसी मठ, बावड़ी और शिव मंदिर है. मूर्ति संग्रहालय है. यहां पर प्राचीन सभ्यता की मूर्तियां को रखा गया है. सुरक्षा के मद्देनजर इसमें ताला भी लगाया गया है. 

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यहां के कर्मचारी कोमल रजक ने बताया कि यहां लोकल टूरिस्ट रोजाना आते हैं और बाकी प्रदेशों के लोग भी कटनी से यहां आते हैं. विदेशों से खजुराहो और जबलपुर आने वाले नेट में सर्च करके यहां विजिट करते है. जितना संरक्षण उनकी तरफ से होता है वह हो रहा है. यहां छोटे-छोटे मंदिरों का जीर्णोद्धार हो रहा है. 

रोजाना सवा मन सोना...

पुष्पवती नगरी के इतिहास पर नजर रखने वाले बुजुर्गों और इतिहासकारों के मुताबिक, यह राजा कर्ण की नगरी है, जो दसवीं और ग्यारहवीं शताब्दी से जुड़ी हुई है. यहां के राजा कर्ण दानवीर के नाम से जाने जाते थे. कहा जाता है कि चंडी माता मंदिर से उन्हें रोजाना सवा मन सोना मिलता था, जिसे वह प्रजा में दान करते थे. यही वजह है कि उनका नाम अमर हो गया. 

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