Hazrat Kamal Chishti: हजरत मौलाना कमाल चिश्ती के 693वें उर्स की शुरुआत, बांग्लादेश के हिंदुओं के लिए की गई अमन की दुआ

Baba Shah Kamal Chishti: धार में मौलाना कमाल चिश्ती की दरगाह शांति और एकता का संदेश देती है. शहंशाह-ए-मालवा के नाम से विख्यात मौलाना कमाल चिश्ती हजरत निजामुद्दीन औलिया के शिष्य और अमीर खुसरो के गुरु भाई थे.

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Hazrat Kmal Chishti: धार स्थित सूफी संत हजरत मौलाना कमाल चिश्ती की दरगाह पर 693 वें उर्स का आगाज चादर पेश करने के साथ हुआ. इस मौके पर बांग्लादेश में रह रहे अल्पसंख्यक हिंदुओं के लिए अमन और शांति की दुआ की गई. दरअसल, भारत में सूफी संतों का योगदान गंगा-जमुनी तहजीब को संजोए रखने में अहम रहा है.

धार में मौलाना कमाल चिश्ती की दरगाह शांति और एकता का संदेश देती है. शहंशाह-ए-मालवा के नाम से विख्यात मौलाना कमाल चिश्ती हजरत निजामुद्दीन औलिया के शिष्य और अमीर खुसरो के गुरु भाई थे.

उर्स की भव्य शुरुआत

693वें उर्स की शुरुआत गुरुवार को दरगाह पर चादर पेश करने से हुई. चादर पेशी का कार्यक्रम महफिल खाने में हुआ, जहां पगड़ीबंद कव्वालों ने सूफी कलाम पेश किए गए. चादर का जुलूस दरगाह तक पहुंचा और अमन-चैन की दुआओं के साथ इसे आस्ताने पर पेश किया गया.

बांग्लादेश के हिंदुओं के लिए विशेष दुआ

उर्स के दौरान दरगाह पर बांग्लादेश में रह रहे अल्पसंख्यक हिंदुओं के लिए अमन और शांति की विशेष दुआ की गई. उर्स कमेटी के अध्यक्ष सुहेल निसार अहमद ने बताया कि यह दरगाह सभी धर्मों के लोगों की आस्था का केंद्र है. बाबा की दरगाह पर सभी की दुआएं कबूल होती हैं.

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हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक है दरगाह

हालांकि, दरगाह के आसपास मौलाना कमाल मस्जिद और भोजशाला को लेकर विवाद गहराता रहता है. इसके बावजूद यह दरगाह हिंदू-मुस्लिम दोनों समुदायों के लिए श्रद्धा का केंद्र है.

ये रहे विशिष्ट अतिथि

चादर पेशी के दौरान कई प्रमुख अतिथि और उर्स कमेटी के पदाधिकारी मौजूद रहे. विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के प्रतिनिधि अजय सिंह ठाकुर, सत्यशील राव पंवार और नरेंद्र सिंह बुंदेला समेत अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने कार्यक्रम में भाग लिया. उर्स कमेटी ने अतिथियों और मलंगों का सम्मान दस्तार बांधकर किया.

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शांति और श्रद्धा का प्रतीक है दरगाह

मौलाना कमाल चिश्ती की दरगाह भारत की सूफी परंपरा और सांप्रदायिक सौहार्द का जीवंत प्रतीक है. यहां आने वाले श्रद्धालु अपनी समस्याओं का समाधान पाते हैं और अमन-चैन की दुआ करते हैं. मौलाना कमाल चिश्ती का 693वां उर्स न केवल धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक और सामाजिक विविधता का उत्सव भी है. इस दरगाह से निकलने वाला अमन का संदेश हर धर्म और वर्ग के लोगों के लिए प्रेरणा है.

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