Japanese Encephalitis: एमपी में जापानी बुखार की दस्तक; यहां मिला मरीज, जानिए कैसे फैलती है ये बीमारी

Japanese Encephalitis in MP: 11 सितंबर को महिला को डिस्चार्ज कर दिया गया. इसके बाद महिला की जांच  रिपोर्ट आई  जिसमें उसे जापानी इंसेफेलाइटिस वायरस होने की पुष्टि हुई. इससे स्वास्थ्य विभाग मे ह्ड़कंप मच गया.

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Japanese Encephalitis: एमपी में जापानी बुखार की दस्तक; यहां मिला मरीज, जानिए कैसे फैलती है ये बीमारी

Japanese Encephalitis (JE): डेंगू ((Dengue) के बाद अब जापानी इंसेफेलाइटिस (Japanese Encephalitis) बीमारी का भी खतरा ग्वालियर (Gwalior) में मंडराने लगा है. ग्वालियर जिले के डबरा ब्लॉक में एक महिला को जापानी इंसेफेलाइटिस वायरस (Japanese Encephalitis Virus) की पुष्टि हुई है. महिला को जेईवी (JEV) की पुष्टि होने के बाद स्वास्थ्य विभाग (Health Department) की टीम करियावटी गांव पहुंची, वहां उन्होंने लोगों का चेकअप किया है. इसके साथ ही स्वास्थ्य विभाग द्वारा महिला की ट्रैवल हिस्ट्री भी खंगाली जा रही है.

ऐसे थे लक्षण

ग्वालियर जिले के डबरा ब्लाक के करियावटी में रहने वाली 32 वर्षीय सीमा परिवार को तेज बुखार, सिर दर्द और उल्टी की समस्या से पीड़ित होने पर 2 सितंबर को ग्वालियर लेकर न्यू जेएएच के हजार बिस्तर अस्पताल में भर्ती कराया गया था. यहां 9 सितंबर को जांच में उसे डेंगू होने की पुष्टि हुई थी. मरीज की बीमारी के लक्षण देखकर डॉक्टरों ने उसका सैंपल जीआरएमसी के माइक्रो बायोलॉजी विभाग में जापानी इंसेफेलाइटिस वायरस की जांच के लिए भेजा था. 

बताया जा रहा है कि 11 सितंबर को महिला को डिस्चार्ज कर दिया गया. इसके बाद महिला की जांच  रिपोर्ट आई  जिसमें उसे जापानी इंसेफेलाइटिस वायरस होने की पुष्टि हुई. इससे स्वास्थ्य विभाग मे ह्ड़कंप मच गया.

इसके बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम मौके पर सर्वे करने भी पहुंची सीएमएचओ सचिन श्रीवास्तव का कहना है कि महिला की हालत फिलहाल ठीक है. वह अपने घर पर है उसकी ट्रैवल हिस्ट्री खंगाली जा रही है. पीड़िता की निगरानी की जा रही है.

8 महीने में दूसरा मामला

ग्वालियर में इस खतरनाक वायरस का महज आठ माह में यह दूसरा मामला मिला है. इससे पहले 23 जनवरी को सागरताल निवासी 15 साल की किशोरी को जेई की पुष्टि हुई थी. जापानी इंसेफेलाइटिस मुख्य रूप से मच्छरों के काटने से फैलता है. ये मच्छर सूअरों, जंगली पक्षियों और घोड़ों जैसे जानवरों को खाकर संक्रमित होते हैं और फिर मनुष्यों में वायरस फैलाते हैं.

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कैसे फैलती है ये बीमारी? क्या है रोकथाम?

संक्रमित क्यूलेक्स प्रजाति के मच्छर, विशेष रूप से क्यूलेक्स ट्राइटेनियोरिंचस, जापानी इन्सेफेलाइटिस वायरस फैलाने के लिए मनुष्यों को काटते हैं. धान के खेतों, जल स्रोतों और सुअर के आवासों के पास के स्थान अधिक संवेदनशील होते हैं तथा आमतौर पर वहां इस बीमारी के फैलने की संभावना अधिक होती है.

डॉक्टरों के अनुसार, जापानी इन्सेफेलाइटिस (जेई) से पीड़ित व्यक्ति में आमतौर पर या तो कोई लक्षण नहीं होंगे या केवल मामूली लक्षण होंगे. बुखार और सिरदर्द मध्यम लक्षण हैं, जबकि मतली, उल्टी, गर्दन में अकड़न, बोलने में बाधा और स्पास्टिक पैरालिसिस गंभीर लक्षण हैं.

इसकी रोकथाम के लिए लोगों को लंबी बाजू के कपड़े पहनने चाहिए, मच्छरदानी, कीटनाशकों का उपयोग करना चाहिए. जमा पानी, नालियों को साफ करना चाहिए और अपने घरों के आसपास स्वच्छ वातावरण बनाए रखना चाहिए.
 

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