MP News: पूरी जिंदगी बच्चों  को पढ़ाया, अब मौत के बाद भी उनके शरीर से पढ़ेंगे बच्चे

Rewa News: जानकी प्रसाद वर्मा की उम्र 91 साल थी. उनके बेटे सुरेंद्र सिंह ने बताया कि उन्होंने अपने जीवन में ही यह निश्चित कर लिया था कि उनके शरीर को उनकी मौत के बाद मेडिकल कॉलेज को दान कर दिया जाए.

Advertisement
Read Time: 4 mins

Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश के रीवा (Rewa) जिले के रिटायर्ड शिक्षक जानकी प्रसाद वर्मा ने समाज के लिए बड़ी मिसाल पेश की है. वह जिंदगी भर शिक्षा का दान करते रहे और अब 91 साल की उम्र में मौत के बाद मेडिकल के छात्रों की पढ़ाई के लिए अपना शरीर भी दान कर दिया है. यानी यूं कहे कि पूरी जिंदगी बच्चों  को पढ़ाया, अब मौत के बाद भी उनके शरीर से बच्चे पढ़ाई करेंगे.

जीते जी शरीर कर दिया था दान

जानकी प्रसाद वर्मा की उम्र 91 साल थी. उनके बेटे सुरेंद्र सिंह बताते हैं कि उन्होंने अपने जीवन काल में ही यह निश्चित कर लिया था कि उनके शरीर को उनकी मौत के बाद मेडिकल कॉलेज को दान कर दिया जाए. लिहाजा, उन्होंने 5 नवंबर 2021 को 88 वर्ष के उम्र में ही उन्होंने शरीर को दान करने के लिए भरने वाले फार्म  खुद ही मंगा कर हस्ताक्षर कर दिया था. इसके साथ ही अपने बच्चों के हस्ताक्षर करवा कर मेडिकल कॉलेज को सौंप दिया था.अब 91 साल की उम्र में उनकी मौत होने पर पूरे परिवार ने मृतक की इच्छा के मुताबिक उनके शरीर को मेडिकल कॉलेज को दान कर दिया है. इस मौके पर पूरा रीवा के श्याम शाह चिकित्सा महाविद्यालय के डीन सुनील अग्रवाल, जानकी प्रसाद वर्मा के परिजन और रेड क्रॉस सोसाइटी की टीम भी मौजूद रही.

Advertisement

इसलिए दान की जाती बॉडी

इस प्रकार रीवा के श्याम शाह चिकित्सा महाविद्यालय को बुधवार को एक और शरीर प्राप्त हो गया. दरअसल, मेडिकल के विद्यार्थियों के की पढ़ाई लिखाई और मेडिकल की बेहतर जानकारी के लिए शरीर की जरूरत होती है. ऐसे में मेडिकल कॉलेज में हमेशा ही शरीर की कमी रहती है, जिसकी पूर्ति के लिए मेडिकल कॉलेज को ऐसे समाजसेवियों की दरकार रहती है, जो मृत्यु के बाद अपने शरीर को बच्चों की पढ़ाई और चिकित्सा क्षेत्र के विकास के लिए दान कर सकें.

Advertisement

मेडिकल के छात्र शरीर से करते हैं प्रैक्टिकल

दरअसल, किसी भी मेडिकल कॉलेज में बच्चों को पढ़ाई के दौरान शरीर विज्ञान की प्रैक्टिकल करने के लिए इंसानी शरीर की जरूरत पड़ती है. बच्चों को जब आदमी का शरीर उपलब्ध हो जाता है, तो वह बेहतर तरीके से शरीर की संरचना और क्रियाविधि के बारे में जान सकते हैं, जो उनके पढ़ाई में मददगार साबित हो सकता है. साथ ही साथ जब वे चिकित्सा क्षेत्र में आगे की ओर कदम बढ़ाते हैं, तो उनके लिए वह रामबाण का काम करता है. मानव शरीर से प्रैक्टिकल करने के बाद छात्रों को जो ज्ञान प्राप्त होता है. उससे वह किसी का जीवन भी बचा पाने में सक्षम हो पाते हैं.

Advertisement

ये भी पढ़ें- MP के सरकारी गोदाम में 5 लाख 76 हजार क्विंटल गेहूं हो चुका है खराब, जानवरों के खाने लायक भी नहीं बचा

 ब्रेन डेड शरीर को भी दान करना चाहिए

मेडिकल कॉलेज के डीन सुनील अग्रवाल कहते हैं कि यह बहुत ही नेक काम है. आज हमें जानकी प्रसाद वर्मा का एक शरीर प्राप्त हुआ है. उनके शरीर से बच्चे पढ़ाई करेंगे, जो मेडिकल के क्षेत्र और बच्चों के भविष्य के लिए मील का पत्थर साबित होगा. जानकी प्रसाद वर्मा के शरीर से की सहायता से पढ़ाई करने वाले बच्चे आगे चलकर किसी का जीवन भी बचाएंगे. अगर किसी व्यक्ति का शरीर पूरी तरीके से ठीक है, लेकिन उनका ब्रेन डेड हो चुका है तो उस आदमी के जीवित रहने की कोई भी संभावना नहीं होती है. लिहाजा, ऐसे व्यक्तियों का शरीर भी मेडिकल कॉलेज को दान कर देना चाहिए. उस एक दान से हम कई लोगों का जीवन बचा सकते हैं. इसके साथ कई गंभीर बीमारियों से ग्रसित मरीजों को उसका जीवन बेहतर कर सकते हैं. 

ये भी पढ़ें- CAF कैंप में एक जवान ने ही कर दी गोलियों की बौछार, इतने जवानों ने तोड़ा दम, दो की हालत नाजुक