Jan Sewa Mitra: जन सेवा मित्रों को बहाल करो! सरकार को लिखा खूनी खत; कांग्रेस ने कहा- समाधान या संघर्ष

Jan Sewa Mitra: मनावर से कांग्रेस विधायक डॉ हिरालाल अलावा ने लिखा है कि "राजगढ़ जिले के ब्यावरा में जनसेवा मित्रों ने वो कर दिखाया जो आज की संवेदनहीन राजनीति को झकझोरने के लिए काफी है. बेरोजगारी से टूटे युवाओं ने अपने खून से पत्र लिखकर मुख्यमंत्री से बहाली की मांग की है. ये सिर्फ एक ज्ञापन नहीं, यह उस पीड़ा की स्याही है जो हर उस युवा के सीने में जमा है, जिसने जनसेवा को कर्म और सरकार को सहारा माना था.

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Jan Sewa Mitra Sangathan: जन सेवा मित्रों ने खून से लिखा बहाली का पत्र

Jan Sewa Mitra in MP: मध्य प्रदेश में इन दिनों जनसेवा मित्र (Jan Sewa Mitra) अपनी मांगों को लेकर मुखर हो रहे हैं. उन्होंने सरकार से मांग की है, उनको बहाल किया जाए. इस मुद्दे पर विपक्षी दल कांग्रेस भी जनसेवा मित्रों के लिए सरकार से सवाल कर रहा है. नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार समेत कई विधायक और कांग्रेसी नेता कह रहे हैं कि करीब 9300 जनसेवा मित्रों को बहाल किया जाए. जनसेवा मित्रों की चेतावनी देते हुए स्पष्ट किया है कि बहाली नहीं तो आंदोलन होगा. वहीं उन्होंने खून का पत्र भी लिखा है.

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युवाओं का भविष्य यूँ न बर्बाद कीजिए : उमंग सिंघार

मध्य प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने लिखा है कि "खून के आँसू रोने के बाद अब खून से पत्र लिखने को मजबूर जनसेवा मित्र. पिछली भाजपा सरकार ने हजारों युवाओं की सेवाओं का चुनावी लाभ तो उठाया, लेकिन सत्ता में वापसी के बाद उन्हें भुला दिया. अब ये युवा मुख्यमंत्री को अपने खून से पत्र लिखकर बहाली की माँग कर रहे हैं. मुख्यमंत्री जी, प्रदेश के इन होनहार युवाओं का भविष्य यूँ न बर्बाद कीजिए. सभी जनसेवा मित्रों को तत्काल बहाल कर नियुक्ति दी जानी चाहिए.  भले ही पूर्व मुख्यमंत्री जी और सरकार इन युवाओं से सेवा लेकर उन्हें भूल गए हों लेकिन विधानसभा के आगामी मॉनसून सत्र में, मैं प्रदेश के एक-एक जनसेवा मित्र की आवाज को मजबूती से उठाऊँगा."

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बहाली नहीं तो आंदोलन होगा : कांग्रेस MLA

मनावर से कांग्रेस विधायक डॉ हिरालाल अलावा ने लिखा है कि "राजगढ़ जिले के ब्यावरा में जनसेवा मित्रों ने वो कर दिखाया जो आज की संवेदनहीन राजनीति को झकझोरने के लिए काफी है. बेरोजगारी से टूटे युवाओं ने अपने खून से पत्र लिखकर मुख्यमंत्री से बहाली की मांग की है. ये सिर्फ एक ज्ञापन नहीं, यह उस पीड़ा की स्याही है जो हर उस युवा के सीने में जमा है, जिसने जनसेवा को कर्म और सरकार को सहारा माना था.

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करीब 9300 जनसेवा मित्र वर्षों तक विभागीय कार्यों में योगदान देते रहे, फिर योजनाएं ठप पड़ीं और साथ ही बंद हो गया इनका जीवनचक्र. अब महीनों से ना बहाली हो रही, ना कोई सुनवाई. जनसेवा मित्रों की मांगें क्या हैं? तत्काल बहाली, पूर्ववत कार्यों में नियुक्ति, और आजीविका की सुरक्षा. क्या यही है “विकास” की असली तस्वीर? क्या युवाओं के खून से लिखे पत्र भी सरकार को नींद से जगा नहीं पाते? जनसेवा मित्रों की चेतावनी स्पष्ट है बहाली नहीं तो आंदोलन होगा! यह वक्त सरकार के लिए परीक्षा का है क्या वह युवाओं की कराह सुनती है, या चुनावी वादों के नारों में ही खोई रहेगी? अब निर्णय सरकार को करना है—समाधान या संघर्ष! "

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