नर्मदा बचाओ आंदोलन का जल सत्याग्रह, मेधा पाटकर ने कहा- इन परिवारों को बर्बाद न करें..

Narmada Bachao Andolan: मांगों को लेकर एक नहीं बल्कि 48 घंटे तक तक जल सत्याग्रह किए हैं. बड़वानी में नर्मदा बचाओ आंदोलन के तहत एक फिर डूब प्रभावित इलाकों के लोगों ने सरकार के सामने अपनी मांग रखी है. जानें सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने क्या कहा है...

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नर्मदा बचाओ आंदोलन का जल सत्याग्रह, मेधा पाटकर ने कहा- इन परिवारों को बर्बाद न करें..

Jal Satyagraha In Barwani: मध्य प्रदेश के बड़वानी में एक बार फिर से नर्मदा बचाओ आंदोलन के तहत प्रभावितों ने अपनी मांग रखी है. रविवार को सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर के नेतृत्व में 48 घंटे तक डूब प्रभावित इलाकों के लोगों ने जल सत्याग्रह किया है. मेधा पाटकर ने कहा- नर्मदा का जल स्तर 136 मीटर से ऊपर पहुंच चुका है. हजारों परिवार डूब के कगार पर खड़े हैं, कानून, नीति, न्यायिक आदेशों का उल्लंघन हो रहा है. बिना पुनर्वास डूब नामंजूर है.

बड़वानी, धार, खरगोन तक के गांव इससे प्रभावित

सत्याग्रह के दौरान मेधा पाटकर ने कहा- ओंकारेश्वर बांध के 8 गेट्स खोले गए, जिससे जल प्रवाह तेज हो गया. इंदिरा सागर से निकासित जल प्रवाह सरदार सरोवर क्षेत्र में पहुंचने पर बड़वानी, धार, खरगोन तक के गांव इससे प्रभावित हैं. पिछले साल आई बाढ़ में अनेकों परिवार शासकीय भवनों शिफ्ट किए गए थे. कई परिवार किराये के या रिश्तेदारों के मकानों में आसरा लेने पहुंचे थे. वहीं, कई लोग 2019 से टीन शेड में रखे गए. 500 परिवारों का आजतक पूर्ण पुनर्वास नहीं हो पाया.

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बांधों से जलनियमन प्रभावी, समयबद्ध तरीके से करें

आज मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र और केंद्र शासन को चेतावनी भरा आव्हान भी है कि नर्मदा के बांधों से जलनियमन प्रभावी, समयबद्ध तरीके से करें. सरदार सरोवर के गेट पर्याप्त मात्रा में खोलकर जलस्तर अब आगे नहीं बढ़ने दें. पीढ़ियों पुराने नर्मदा किनारे बसे परिवारों को बर्बाद न करें. आने वाले वर्षभर में युद्ध स्तरीय कार्रवाई के द्वारा सबका न्यायपूर्ण पुनर्वास करे. वहीं, ग्राम छोटी कसरावद में तकरीबन 48 घंटों से जारी इस जल सत्याग्रह के बीच कोई भी प्रशासनिक अधिकारी चर्चा करने के लिए आंदोलनरत लोगों के बीच नहीं पहुंचा.

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