जबलपुर : राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा- न्याय इतना महंगा न हो कि आम आदमी की पहुंच से दूर हो जाये

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु (President Droupadi Murmu) बुधवार को मध्यप्रदेश के दौरे पर थीं. जबलपुर में उन्होंने हाईकोर्ट एनेक्सी भवन (Jabalpur High Court) का शिलान्यास किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि न्याय पालिका में सरल और सुगम बनाना चाहिए.

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जबलपुर:

Madhya Pradesh News : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु (President Droupadi Murmu) बुधवार को मध्यप्रदेश के दौरे पर थीं. पहले तो उन्होंने इंदौर में स्मार्ट सिटी कॉन्क्लेव (Indore Smart City Conclave 2023) के दौरान पुरस्कार वितरण किया. उसके बाद जबलपुर में उन्होंने हाईकोर्ट एनेक्सी भवन (Jabalpur High Court) का शिलान्यास किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि न्याय पालिका में सरल और सुगम बनाना चाहिए.

सरल, सुलभ और त्वरित न्याय दिलाने की दिशा में किए जाएं प्रयास

जबलपुर में 460 करोड़ की लागत से बनने वाले हाईकोर्ट भवन के शिलान्यास समारोह को ट्रिपल आईटीडीएम से संबोधित करते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा  कि न्याय इतना मंहगा नही हो कि वह आम आदमी की पहुंच से दूर हो जाये. इसलिए सस्ता व सुलभ न्याय दिलाने के लिये संस्था और अधिवक्ताओं के समूह को आगे आना चाहिए. 

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राष्ट्रपति ने कहा कि जबलपुर हाईकोर्ट का भवन 134 वर्ष पुराना है. तकनीकी रूप से हाईकोर्ट भवन को सर्वसुविधायुक्त और सक्षम बनाना समय की मांग है.

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राष्ट्रपति ने कहा कि विवादों के वैकल्पिक समाधान सस्तें व सुलभ कैसे हो इस पर विचार करें. अदालतों में लंबित प्रकरणों (Court Pending Case) के कारण तथा छोटे-मोटे अपराध के कारण जो जेल (Jail) में बंद है उन पर विचार करें और पंच परमेश्वर की धारणा अनुसार विवादों का निपटारा करें. मध्यस्थता से विवादों के निपटारे को समाज में व्यापक समर्थन मिलता है. इससे लिटीगेशन भी कम होते हैं. न्याय पालिका में सरल, सुलभ व त्वरित न्याय दिलाने की दिशा में प्रयास किया जाना चाहिए.

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विश्वसनीय साबित हुई है ई-कोर्ट व्यवस्था

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा कि टेक्नालॉजी (Technology) से आज देश प्रत्येक क्षेत्र आगे बढ़ रहा है. न्याय क्षेत्र में भी प्रगति हुई है. इसमें ई-कोर्ट व्यवस्था विश्वसनीय साबित हुई है. न्याय प्रक्रिया को सुगम व सरल बनाने के लिये टेक्नालॉजी के प्रयोग की महत्वपूर्ण भूमिका है. उन्होंने कहा कि न्याय क्षेत्र में भी महिलाओं की सामूहिक भागीदारी हो क्योंकि महिलाओं में न्याय का नैसर्गिक भाव होता है. न्याय में पुस्तकीय ज्ञान के साथ व्यवहारिक ज्ञान का होना बहुत जरूरी है. वर्ष 1976 के एडीएम वर्सेज शिवकांत शुक्ला का एक प्रकरण का जिक्र करते हुये उन्होंने कहा कि मौलिक अधिकारों के पक्ष में दिये निर्णय ने जबलपुर का नाम इतिहास में अमिट है.

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