PG सीटों में लगभग 100% आरक्षण! हाईकोर्ट ने कहा—‘शोले वाला डायलॉग नहीं चलेगा’, जानें क्या है पूरा मामला ?

MP News: मौखिक टिप्पणी में चीफ जस्टिस ने कहा कि- “यह तो बिल्कुल शोले वाले डायलॉग जैसा है… आधे इधर जाओ, आधे उधर जाओ और बाकी मेरे पीछे आओ.’’ राज्य सरकार ने कोर्ट को बताया कि काउंसलिंग को फिलहाल रोक दिया गया है.

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Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश के निजी मेडिकल कॉलेजों में संस्थागत वरीयता के आधार पर केवल राज्य के अभ्यर्थियों को प्राथमिकता देने वाले नियम पर हाई कोर्ट ने बुधवार को कड़ी आपत्ति जताई. कोर्ट ने NEET-PG काउंसलिंग तत्काल प्रभाव से रोकने के निर्देश देते हुए टिप्पणी की है कि “50% से अधिक आरक्षण संविधान के विरुद्ध है. यह न केवल अन्य राज्यों के छात्रों के साथ भेदभाव है, बल्कि मध्य प्रदेश के उन विद्यार्थियों के साथ भी अन्याय है, जिन्होंने राज्य के बाहर से MBBS किया है.” मुख्य न्यायाधीश संजीव सचदेवा और न्यायमूर्ति विनय सराफ की खंडपीठ ने कहा कि विभिन्न आरक्षण श्रेणियों को जोड़ने से ऐसी स्थिति बन गई है कि सामान्य वर्ग और बाहरी राज्यों के विद्यार्थियों के लिए सीटें लगभग समाप्त हो गई हैं.

मौखिक टिप्पणी में चीफ जस्टिस ने कहा कि- “यह तो बिल्कुल शोले वाले डायलॉग जैसा है… आधे इधर जाओ, आधे उधर जाओ और बाकी मेरे पीछे आओ.'' राज्य सरकार ने कोर्ट को बताया कि काउंसलिंग को फिलहाल रोक दिया गया है.

याचिका में उठाए गए मुद्दे राजस्थान, उत्तर प्रदेश और पंजाब के छात्रों ने दाखिल याचिका में कहा कि 3 सितंबर 2025 को जारी अधिसूचना ने हजारों डॉक्टरों के लिए PG की राह बंद कर दी है. नए नियम में पात्रता केवल उन्हीं छात्रों तक सीमित कर दी गई है जिन्होंने मध्य प्रदेश के निजी मेडिकल कॉलेजों से MBBS किया हो , जिसे छात्रों ने स्पष्ट भेदभाव बताया. PG सीटों का वितरण विवाद क्यों बढ़ा? अखिल भारतीय कोटा 50%, NRI कोटा 15%, सेवा निवृत्त श्रेणी 30%, शेष संस्थागत वरीयता के नाम पर है. इन सभी श्रेणियों के मिलकर लगभग 100% आरक्षण जैसी स्थिति बन गई, जिससे बाहरी राज्यों और सामान्य वर्ग के छात्रों के लिए लगभग कोई PG सीट नहीं बची. जबकि मध्य प्रदेश में कुल 1062 स्टेट PG सीटें हैं.

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MBBS में वरीयता संभव, PG में नहीं

हाई कोर्ट कोर्ट ने साफ कहा कि सुप्रीम कोर्ट के कई निर्णयों (प्रदीप जैन, सौरभ चौधरी, तन्वी बहल) के अनुसारPG मेडिकल कोर्स में डोमिसाइल आधारित लाभ या संस्थागत वरीयता देना संविधान के आर्टिकल 14 के खिलाफ है.देश को PG स्तर पर सबसे योग्य और मेरिट आधारित डॉक्टर चाहिए, न कि राज्य-आधारित प्राथमिकता. यह भी कहा कि “पुराने नियम” या “सॉफ्टवेयर की कठिनाइयां” किसी भी असंवैधानिक प्रावधान को वैध नहीं बना सकतीं.

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