Loksabha Election: पूर्व सीएम शिवराज सहित BJP के इन नेताओं की बढ़ी मुसीबतें, इस मामले में कोर्ट ने नहीं दी राहत

Jabalpur News: लोकसभा चुनाव प्रचार के बीच मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान सहित 2 अन्य भाजपा के नेताओं की मुसीबत बढ़ गई है. मानहानि संबंधी मामले में  हाइकोर्ट ने उन्हें राहत नहीं दी है. इन सभी ने हाईकोर्ट की शरण ली थी. कोर्ट ने इन्हें राहत के लिए वापस  MP-MLA कोर्ट में आवेदन का आदेश दिया है.

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Loksabha Election 2024 : दस करोड़ रुपये की मानहानि संबंधी मामले में मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान (Shivraj singh Chauhan), भाजपा प्रदेशाध्यक्ष व सांसद वीडी शर्मा और विधायक भूपेन्द्र सिंह को हाईकोर्ट से भी राहत नहीं मिली है. इस मामले में जबलपुर की MP-MLA विशेष कोर्ट में आज शुक्रवार को तीनों की उपस्थिति होनी है. इसे लेकर लोकसभा चुनाव (Loksabha Election) की व्यस्तता बताते हुए अंतरिम राहत दिए जाने हाईकोर्ट से प्रार्थना की थी. जस्टिस संजय द्विवेदी की एकलपीठ ने अंतरिम राहत देने से इंकार करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता व्यक्तिगत रूप से उपस्थित से छूट के लिए संबंधित न्यायालय के समक्ष आवेदन करें. जिस पर संबंधित न्यायालय विचार करेगी. अनावेदक के अधिवक्ता को याचिका की प्रति उपलब्ध कराने के निर्देश जारी करते हुए एकलपीठ ने मामले की अगली सुनवाई 23 अप्रैल को निर्धारित की है.   

ये है मामला

बता दें कि कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक कृष्ण तन्खा ने MP-MLA कोर्ट जबलपुर में प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व विधायक शिवराज सिंह चौहान, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष व सांसद वीडी शर्मा और विधायक भूपेंद्र सिंह के खिलाफ दस करोड़ की मानहानि का परिवाद दायर किया था. परिवाद में कहा गया था कि सुप्रीम कोर्ट में OBCआरक्षण से संबंधित उन्होंने कोई बात नहीं कही थी. उन्होंने मध्य प्रदेश में पंचायत और निकाय चुनाव मामले में परिसीमन और रोटेशन की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में पैरवी की थी. सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव में OBC आरक्षण पर रोक लगा दी तो BJP नेताओं ने साजिश करते हुए इसे गलत ढंग से पेश किया. शिवराज, वीडी शर्मा और भूपेन्द्र सिंह ने गलत बयान देकर OBCआरक्षण पर रोक का ठीकरा उनके सिर फोड़ दिया. जिससे उनकी छवि धूमिल करके आपराधिक मानहानि की है. MP-MLA विशेष कोर्ट ने 20 जनवरी को न्यायाधीश विश्वेश्वरी मिश्रा ने प्रकरण की सुनवाई करते हुए प्रथम दृष्टया तीनों को दोषी मानने हुए प्रकरण दर्ज करने के निर्देश जारी किए थे. इस आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी. 

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भोपाल में परिवाद दायर किया जाना चाहिए था

याचिका में कहा गया था कि अनावेदक ने आपराधिक मानहानि के साथ दस लाख का सिविल सूट भी दायर किया था. अनावेदक ने एक ही मामले में दो अलग-अलग प्रकरण दायर किए हैं. न्यायालय ने फैसला देते समय भौतिक परिस्थिति और प्रासंगिक प्रावधानों पर ध्यान नहीं दिया. प्रकरण में अभियोजन की अनुमति नहीं ली गई थी. न्यायिक क्षेत्राधिकार के तहत MP-MLA जबलपुर की बजाए भोपाल में परिवाद दायर किया जाना चाहिए था. याचिका में कहा गया था कि आज 22 मार्च को MP-MLA कोर्ट जबलपुर में प्रकरण की सुनवाई है और याचिकाकर्ताओं को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने के निर्देश जारी किए गए हैं. लोकसभा चुनाव में व्यस्त होने के कारण वह व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने में असक्षम है. उन्हें व्यक्तिगत उपस्थिति की छूट प्रदान की जाए. एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा कि अगली सुनवाई में अंतरिम राहत की मांग पर विचार किया जाएगा. याचिकाकर्ता व्यक्तिगत रूप से उपस्थित से छूट के लिए संबंधित न्यायालय के समक्ष आवेदन करें. जिस पर संबंधित न्यायालय विचार करेंगे. अनावेदक के अधिवक्ता को याचिका की प्रति उपलब्ध कराने के निर्देश जारी करते हुए एकलपीठ ने अगली सुनवाई 23 मार्च को निर्धारित की है.

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