MP News: मुश्किलों को पार कर दृष्टिबाधित शिवानी पहुंची IIM इंदौर, ऐसी है इनके संघर्ष की कहानी 

MP News: बड़ी-बड़ी मुश्किलों को पार करते हुए दृष्टिबाधित कोत्ताकापू शिवानी ने इंदौर के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट में दाखिला पा लिया है. 

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Madhya Pradesh News: आंध्रप्रदेश की रहने वाली दृष्टिबाधित शिवानी ने तमाम मुश्किलों को पार कर इंदौर के आईआईएम में एडमिशन पा लिया है.सिर्फ दिव्यांगता ही नहीं बल्कि कई संघर्ष भी शिवानी के जीवन में आये. इन सभी संघर्षों को पीछे छोड़ शिवानी अब एक नए मुकाम की और चल पड़ी है. इनकी सफलता औरों के लिए भी बड़ी मिसाल है. 

आसान नहीं थी तैयारी 

दृष्टिबाधित होने की वजह से शिवानी के लिए आम स्टूडेंट की तरह कैट यानी कंबाइंड एडमिशन टेस्ट की तैयारी करना आसान नहीं था. लेकिन अपने बुलंद हौसले और मंजिल पाने के जुनून की बदौलत उन्होंने कैट में कामयाब होकर देश के प्रीमिय. इंस्टीट्यूट के दो साल के पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स में एडमिशन हासिल कर लिया. आंध्र प्रदेश के हैदराबाद से करीब 110 किलोमीटर दूर जहीराबाद से ताल्लुक रखने वाली शिवानी नेशुरू में एक ऐसे स्कूल में दाखिला लिया, जिसमें दृष्टिबाधित स्टूडेंट के लिए खास सुविधाएं नहीं थीं. इसके बाद वे ब्रेल लिपि में पढ़ाने वाले एक स्कूल में चली गईं, जहां से उन्होंने अपनी स्कूली पढ़ाईपूरी की. उन्होंने ग्रेजुएशन चेन्नई से किया.

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शिवानी अपनी पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करने के बाद प्राइवेट सेक्टर में जाना चाहती हैं और कॉर्पोरेट वर्ल्ड में अपनी अलग पहचान बनाना चाहती हैं.


दृष्टिबाधित छात्रा शिवानी ने बताया कि माता-पिता ने मेरे लिए स्पेशल स्कूल की तलाश शुरू कर दी. इसलिए जब मुझे पता चला कि हैदराबाद बेगमपेट में देबनाथ स्कूल फॉर द इम्पेयर्ड नामक एक स्कूल है, तो मैंने वहां दाखिला ले लिया और वहां से मेरी शिक्षा 10वीं क्लास तक सुचारू रूप से चली. वहां, मैंने ब्रेल और दूसरी टेक्नोलॉजी सीखी, जैसे कि सिस्टम को कैसे चलाया जाए. ये सब जेएडब्ल्यूएस और एनवीडीएस सॉफ़्टवेयर का इस्तेमाल करके. इसलिए तब से, मुझे लगता है कि एकेडमी सफर में कोई दिक्कत नहीं हुई.

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साथियों ने कहा- वे दूसरों के लिए मिसाल हैं

आईआईएम इंदौर में शिवानी के साथ पढ़ने वाले स्टूडेंट का कहना है कि वे दूसरों के लिए मिसाल हैं. आम स्टूडेंट के साथ तालमेल बिठाने की शिवानी की काबिलियत के सभी मुरीद हैं। आईआईएम इंदौर के छात्र सिद्धांत ने कहा कि सच कहूं तो शिवानी मिसाल हैं। हमारी क्लास में हमें केस दिए जाते हैं, इसलिए हमें हर दिन 18 से 20 पेज पढ़ने को कहा जाता है, इसके लिए ज़्यादातर छात्र उन्हें नहीं पढ़ते, लेकिन जब उन्होंने मुझे बताया कि वे किताबें पढ़ती हैं, और उन्होंने कहा कि वे स्पेशल सॉफ़्टवेयर के ज़रिए बहुत सारी किताबें पढ़ती है, तो मैं वास्तव में इस बात से प्रभावित हुआ कि इसके लिए कितनी लगन की ज़रूरत होती है. 

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हम गर्व महसूस कर रहे हैं 

आईआईएम इंदौर के टीचरों का मानना है कि दृष्टिबाधित शिवानी के मजूबत इरादों ने कमी को उनकी ताकत बना .अध्यक्ष पीजीपी मैनेजमेंट सायतन बनर्जी ने कहा कि हम शिवानी जैसे स्टूडेंट को यहां पाकर बहुत खुश और गर्व महसूस कर रहे हैं. वे पढ़ाई में बहुत तेज हैं और 100 प्रतिशत दृष्टिबाधित होने के बावजूद कड़ी मेहनत करती हैं. आईआईएम इंदौर में हम मानते हैं कि न सिर्फ दृष्टिबाधित बल्कि किसी भी तरह की दिव्यांगता उनकी अतिरिक्त ताकत है. किसी भी रूप में दिव्यांग के पास दूसरे रूप में अपनी ताकत होती है, जो हम जैसे लोगों के पास नहीं होती.

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