MP News: मध्य प्रदेश का इंदौर, देश का पहला भिक्षुकमुक्त शहर बन गया है. प्रशासन के एक अधिकारी ने गुरुवार को यह दावा किया. अधिकारी का कहना है कि भिखारियों के पुनर्वास के साथ ही भिक्षावृत्ति के खिलाफ कानूनी कदम उठाए जाने की बदौलत शहर ने यह उपलब्धि हासिल की है.
जिलाधिकारी आशीष सिंह ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘इंदौर देश का पहला शहर बन गया है जो पूरी तरह भिक्षुकमुक्त हो चुका है.'' उन्होंने बताया कि प्रशासन ने भिखारियों का पुनर्वास करके उन्हें रोजगार से जोड़ा है, जबकि भिक्षावृत्ति में शामिल बच्चों को विद्यालयों में भर्ती कराया गया है.
यह अभियान बना मॉडल
सिंह ने कहा, 'भिक्षावृत्ति के उन्मूलन के लिए इंदौर में चलाया गया अभियान एक मॉडल के रूप में स्थापित हुआ है. इस मॉडल को केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय और विश्व बैंक के एक दल ने भी मान्यता दी है.'
महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी रामनिवास बुधौलिया ने बताया कि इंदौर में भिक्षावृत्ति के खिलाफ फरवरी 2024 से अभियान शुरू किया गया था और तब शहर में करीब 5,000 भिखारी थे जिनमें 500 बच्चे शामिल थे.
उन्होंने बताया,‘‘हमने पहले चरण में भिक्षावृत्ति के खिलाफ जागरुकता अभियान चलाया. फिर भिखारियों का पुनर्वास किया. इस दौरान हमें ऐसे कई भिखारी भी मिले जो राजस्थान से पेशेवर तौर पर भीख मांगने के लिए इंदौर आते थे.'
भीख देने और उनसे सामान खरीदने पर भी रोक
बुधौलिया ने बताया कि प्रशासन ने इंदौर में भीख लेने के साथ ही भीख देने और भिखारियों से कोई सामान खरीदने पर भी कानूनी रोक लगा रखी है और इस प्रतिबंध का उल्लंघन करने वाले लोगों पर अब तक तीन प्राथमिकियां दर्ज की गई हैं.
अधिकारियों ने बताया कि प्रशासन ने शहर में भिक्षावृत्ति की सही सूचना देने वाले व्यक्ति को प्रोत्साहन राशि के रूप में 1,000 रुपये का इनाम देने की घोषणा भी की है और कई लोगों को यह पुरस्कार दिया जा चुका है.
केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने देश के 10 शहरों को भिक्षुकमुक्त बनाए जाने की प्रायोगिक (पायलट) परियोजना शुरू की है जिनमें इंदौर शामिल है.