इंदौर MY हॉस्पिटल: दो दिन का चार्ज संभालने वाले डॉक्टर निलंबित, दशकों से जमे अफसर बख्शे गए?

जिस डॉक्टर ने महज़ दो दिन पहले विभाग का प्रभार संभाला था, उसे तो निलंबित कर दिया गया, लेकिन वर्षों से जिम्मेदारी निभा रहे बड़े अफसरों को सिर्फ़ चार्ज बदलकर या हटाकर क्यों छोड़ दिया गया? इंदौर के महाराजा यशवंतराव (एमवाय) हॉस्पिटल में नवजात शिशुओं की चूहों के काटने से हुई दर्दनाक मौतों के बाद सरकार की कार्रवाई को लेकर यही आरोप लग रहा है कि कुछ लोगों को बलि का बकरा बना दिया गया,

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Indore MY Hospital: जिस डॉक्टर ने महज़ दो दिन पहले विभाग का प्रभार संभाला था, उसे तो निलंबित कर दिया गया, लेकिन वर्षों से जिम्मेदारी निभा रहे बड़े अफसरों को सिर्फ़ चार्ज बदलकर या हटाकर क्यों छोड़ दिया गया? इंदौर के महाराजा यशवंतराव (एमवाय) हॉस्पिटल में नवजात शिशुओं की चूहों के काटने से हुई दर्दनाक मौतों के बाद सरकार की कार्रवाई को लेकर यही आरोप लग रहा है कि कुछ लोगों को बलि का बकरा बना दिया गया, जबकि असली जवाबदेही ऊपर तक तय ही नहीं हुई. इसी बीच, मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने भी इस घटना पर स्वत: संज्ञान लेते हुए दबाव और बढ़ा दिया है.

सुपरिंटेंडेंट डॉ. अशोक यादव तो 15 दिनों की छुट्टी पर गए

मंगलवार को भोपाल में डिप्टी सीएम और स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ल ने समीक्षा बैठक कर निर्देश दिए कि जाँच निष्पक्षता और पारदर्शिता के आधार पर हो. उन्होंने माना कि ऐसी घटनाएं स्वास्थ्य सेवाओं की छवि को कलंकित करती हैं और दोषियों को सख़्त सज़ा मिलेगी. शाम होते-होते डॉ. मनोज जोशी जिन्होंने विभागाध्यक्ष डॉ. बृजेश लाहोटी की छुट्टी के दौरान केवल कुछ दिन पहले चार्ज लिया था को निलंबित कर दिया गया। वहीं डॉ. लाहोटी से सिर्फ़ विभाग का प्रभार वापस लेकर डॉ. अशोक लड्डा को सौंपा गया.इस बीच, सुपरिंटेंडेंट डॉ. अशोक यादव 15 दिन की छुट्टी पर चले गए.

'छोटी मछलियां फंसीं, मगर मगरमच्छ सेफ'

कांग्रेस प्रवक्ता केके मिश्रा ने सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा “दो दिन रहे तो सज़ा, दशकों से जमे बैठे मज़े में. सरकार ने हाईकोर्ट और मीडिया के दबाव में सिर्फ़ औपचारिकता निभाई. छोटी मछलियां फंसीं, मगर मगरमच्छ आज भी सुरक्षित हैं.” वहीं बीजेपी प्रवक्ता दीपक जैन (टीनू) ने सरकार का बचाव किया और कहा कि भ्रष्टाचार और लापरवाही के मामले में बीजेपी की नीति “ज़ीरो टॉलरेंस” है। “जहाँ भी ऐसी घटनाएँ सामने आती हैं, तुरंत कार्रवाई की जाती है और आगे भी होती रहेगी.” वहीं बुधवार को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट इंदौर बेंच ने मामले का स्वत: संज्ञान लिया. जस्टिस विवेक रूसिया और जस्टिस जेके पिल्लई की डिवीजन बेंच ने राज्य सरकार को 15 सितंबर तक विस्तृत स्टेटस रिपोर्ट देने का आदेश दिया जिसमें यह बताया जाए कि अब तक किस पर क्या कार्रवाई हुई और मौजूदा स्थिति क्या है.

अब रोज बताना होगा कितने चूहे पकड़े

वहीं अस्पताल ने पेस्ट कंट्रोल एजाइल कंपनी का कॉन्ट्रैक्ट रद्द कर दिया है. अब अस्पताल में प्रत्येक यूनिट इंचार्ज को रोज़ रिपोर्ट देनी होगी कि कितने चूहे पकड़े गए और कितने मारे गए, विशेषकर एनआईसीयू और पीआईसीयू में. सीसीटीवी कैमरों से हर वार्ड और कॉरिडोर पर निगरानी की जा रही है, बावजूद इसके चूहे अब भी बेड, सलाइन स्टैंड, खाने की अलमारियाँ और दवाइयों तक पहुँच रहे हैं. बहरहाल दो नवजात शिशुओं की मौत ने एमवाय हॉस्पिटल की बदहाल व्यवस्था और सरकारी स्वास्थ्य ढांचे की पोल खोल दी है. अब सवाल यह है क्या यह त्रासदी असली जवाबदेही तय करेगी या फिर हमेशा की तरह कुछ निलंबनों और तबादलों के बाद मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा?

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