Indian Railway News latest: पश्चिम रेलवे रतलाम मंडल सुरक्षा और संरक्षा को लेकर पूरी तरह सतर्क है. संरक्षा की बात करें तो ट्रेनों के संरक्षित परिचालन में इंटरलॉकिंग काफी अहम भूमिका निभाता है.ईआई आधुनिक टेक्टनोलॉजी से युक्त एक अत्याधुनिक प्रणाली है, जो ट्रेन के आवाजाही पर सटीक नियंत्रण सुनिश्चित करता है और मानवीय त्रुटि की संभावना को समाप्त करता है.
70 स्टेशनों पर ई.आई. प्रणाली कार्यशील
रतलाम मंडल संरक्षा पर विशेष ध्यान देते हुए सभी विद्युत सिगनलिंग प्रतिष्ठानों को नए कंप्यूटर आधारित इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम से बदल रहा है. मंडल पर वर्तमान में 103 इंटरलॉक्ड रेलवे स्टेशन हैं, जिसमें 70 स्टेशनों पर ई.आई. प्रणाली कार्यशील है. मंडल रेल प्रबंधक रजनीश कुमार के मार्गदर्शन एवं सिगनल, परिचालन एवं अन्य विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों के आपसी समन्वय के कारण इस क्षेत्र में काफी तेजी से कार्य हुआ है.
दो वर्षों में इतने स्टेशनों पर लगा ये सिस्टम
पिछले दो वर्षों में 25 अधिक स्टेशनों पर आरआरआई/पीआई के स्थान पर आधुनिक ईआई प्रणाली लगाया गया है. पिछले कुछ समय पूर्व ही मुम्बई-दिल्ली मुख्य रेल मार्ग के बाद अब रतलाम स्टेशन पर भी ई.आई. कार्य को संपन्न किया गया. इसकी उपयोगिता को देखते हुए मंडल के शेष स्टेशन भी निकट भविष्य में एडवांस इलेक्ट्रॉनिक इंटर लॉकिंग(ईआई) प्रणाली से युक्त हो जाएंगे.
ऐसे करता है काम
ई.आई.सिगनल, पॉइंट और लेवल-क्रॉसिंग गेटों को नियंत्रित करने के लिए कंप्यूटर आधारित सिस्टम और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का उपयोग करता है. पारंपरिक रूट रिले इंटरलॉकिंग या पैनल इंटर लॉकिंग सिस्टम में कई तारों और रिले का उपयोग किया जाता है, जबकि ई.आई.प्रणाली में लॉजिक का प्रबंधन करने के लिए सॉफ्टवेयर और इलेक्ट्रॉनिक का उपयोग किया जाता है. यह यार्ड में सिगनलिंग गियरसे प्राप्त इनपुट को पढ़ता है. फिर वीडीयू-विजुअलडिस्प्ले यूनिट से प्राप्त आदेशों को फेल-सेफ तरीके से संपादित करता है.
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जोखिम को कम करती है ये तकनीकी
यह प्रणाली परस्पर विरोधी मार्गों, गलत सिगनल या मानवीय चूक के कारण होने वाली दुर्घटनाओं के जोखिम को कम करती है. इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंगको आज के समय के सबसे प्रासंगिक कवच तकनीक के साथ-साथ सेंट्रलाइज्डट्रैफिक कंट्रोल सिस्टम (सीटीसी) के साथभी जोड़ा जा सकता है. यह कुशल कामकाज में भी सक्षम है, जिससे परिचालन का समय कम हो गया.
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