MP के शिवपुरी में भगवान राम को 16 साल से नहीं मिला 'घर',मंदिर में लोगों ने बनाया आशियाना

Ram Mandir Ayodhya: 2008 में जब अटल सागर बांध बनाया गया तब अधिग्रहण किया गया. वहीं जब गांव को पुनर्स्थापित कर नया अमोला बसाया गया तब भगवान राम भी उनमें शामिल थे. इस हिसाब से उन्हें भी जगह मिलनी चाहिए थी, क्योंकि उनको भी विस्थापित किया गया था. राम को जगह मिली, अधूरा मंदिर बना, लेकिन मूर्ति पिछले 16 सालों से स्थापित नहीं हो पायी.

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Ram Mandir Ayodhya Inauguration: भगवान राम को उनके पिता दशरथ ने तो 14 साल का वनवास दिया था, मध्य प्रदेश के शिवपुरी में तो भगवान राम का वनवास 16 साल के बाद भी खत्म नहीं हो रहा है. एनडीटीवी (NDTV) की टीम जब शिवपुरी के अमोला गांव पहुंची और पड़ताल की आखिर पूरा मामला क्या है तो पता चला कि इस गांव से गुजरने वाली सिंध नदी पर 2008 में अटल सागर बांध बनाया गया था. बांध के लिए गांव विस्थापित किया गया, बाद में नए गांव तो बस गए और यहां के ग्रामीणों को अपने मकान भी मिल गए, लेकिन भगवान राम को उनका 'घर' नहीं मिल पाया.

मंदिर तो बना, लेकिन उसमें रह रहा है परिवार

मंदिर कितना बना है यह जानने के लिए एनडीटीवी वहां पहुंची तो पता चला कि मंदिर तो जितना बना था वह उसी हालत में है, लेकिन वहां एक परिवार अपना आशियाना बना कर रह रहा है. उस परिवार का कहना है कि उनका घर तूफान में टूट गया, इसलिए उन्हें सिर छुपाने की जरूरत पड़ी और उन्होंने भगवान राम की शरण ले ली. भगवान ने उनको तो शरण दे दी लेकिन खुद वे आज भी एक हाट बाजार की दुकान में बंद अपने परिवार के साथ तकलीफ में दिन काट रहे हैं.

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राम मंदिर में रह रहा है परिवार

क्या है मामला?

यहां सिंध नदी के किनारे अति प्राचीन राम मंदिर मौजूद था, जिसमें भगवान राम और सीता माता के साथ संपूर्ण राम दरबार स्थापित था. बाद में अटल सागर बांध बनने के बाद यह क्षेत्र डूब में आ गया और मंदिर कई बार पानी में डूबने से खंडहर में तब्दील हो गया. हालांकि ग्रामीणों ने मूर्ति तो निकाल ली, भगवान का नया घर भी बनकर तैयार किया है, बस छत बनकर तैयार नहीं हुई है. यही कारण है कि राम को अपने घर में जाने का इंतजार अभी भी है.

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इतना ही नहीं भगवान राम और उनका संपूर्ण परिवार हाट बाजार की दुकान में लिपटा हुआ बड़ी ही दयनीय स्थिति में है. जो कहीं ना कहीं सवाल जरूर खड़े करता है कि 16 साल गुजर जाने के बावजूद भी सरकार महज एक राम मंदिर का निर्माण नहीं कर पायी.

दुकान के अंदर बंद है राम दरबार

पुनर्स्थापन की प्रक्रिया में राम मंदिर भी था शामिल

2008 में जब अटल सागर बांध बनाया गया तब अधिग्रहण किया गया. वहीं जब गांव को पुनर्स्थापित कर नया अमोला बसाया गया तब भगवान राम भी उनमें शामिल थे. इस हिसाब से उन्हें भी जगह मिलनी चाहिए थी, क्योंकि उनको भी विस्थापित किया गया था. राम को जगह मिली, अधूरा मंदिर बना, लेकिन मूर्ति पिछले 16 सालों से स्थापित नहीं हो पायी. अब जबकि 2024 में भगवान रामलला अयोध्या में विराजमान हो रहे हैं, ऐसे में क्या अमोला के राम को उनका नया घर मिल पाएगा? यह सवाल अभी जस का तस बना हुआ है.

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ग्रामीण लंबे समय से कर रहे हैं मांग

इस क्षेत्र में रहने वाले ग्रामीण पिछले 16 सालों से सरकार से यह मांग कर रहे हैं कि भगवान का मंदिर पूरा करवा दिया जाए. वहां राम दरबार सजा दिया जाए. अब जब अयोध्या में राम मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होनी है तब यह मांग और ज्यादा बढ़ गई है. लोगों का कहना है कि 22 तारीख को ना सही तो कम से कम उसके बाद ही राम दरबार यहां सजा दिया जाए.

प्रशासन ने कहा हम जांच करवा कर करेंगे कार्रवाई

जिला प्रशासन सीधे तौर पर कैमरे के सामने आकर कुछ भी बोलने के लिए तैयार नहीं है लेकिन उनका कहना है कि हम मामले की जांच कर रहे हैं. पूरी जांच करने के बाद जो संभव होगा कार्रवाई करेंगे.

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