मध्यप्रदेश की मोहन यादव सरकार भले ही लगातार पशुपालन और गौ संवर्धन को लेकर बड़े-बड़े दावे कर रही हो. गौवंश के हित में काम करने की उपलब्धियां और आंकड़े गिनवा रही हो लेकिन हकीकत राजधानी भोपाल की सड़कों में ही दिख रही है. भोपाल जिले में सड़क दुर्घटनाओं का सबसे बड़ा कारण मवेशी बनते जा रहे हैं. बरसात के मौसम में आवारा पशुओं का खासकर गौवंशों का डेरा सड़कों पर बढ़ जाता है. वहीं प्रशासन इन पशुओं को सड़क पर से हटाने में असहाय बना हुआ है. नगर निगम भोपाल (Nagar Nigam Bhopal) की ओर से गायों को गौशाला भेजने की योजना भी फेल हो रही है, क्योंकि गौशालाएं भी भर चुकी हैं.
मवेशियों से हुई थी टक्कर, तीन दिन पहले ही गौरव ने तोड़ दिया दम
26 साल के गौरव भोपाल के ही करीब बिलखिरिया से देर रात अपने घर की ओर लौट रहे थे. अंधेरे में गौरव मवेशियों से टकरा गए. दुर्घटना इतनी भयानक थी की कई दिनों तक अस्पताल में रहने के बाद तीन दिन पहले दम तोड़ दिया. ये कोई पहला मामला नहीं है. भोपाल में पिछले कई सालों में ऐसी दुर्घटनाओं में लोग अपनी जान गंवा चुके हैं, लेकिन हालात में कोई सुधार नहीं हुआ. कैटल फ्री सिटी भोपाल में 10 हजार मवेशी सड़क पर घूम रहे हैं.
शहर में रोज़ाना आवारा मवेशियों की वजह से 60 -70 लोग घायल हो रहे हैं. हादसों में मवेशियों को भी जानलेवा चोट लग रही है.
कैटल फ्री भोपाल में ऐसे हालात क्यों?
भोपाल को बीस साल पहले कैटल फ्री घोषित किया गया था. लेकिन हालत कुछ और बयां कर रहे हैं. राजधानी भोपाल में सड़कों पर हजारों मवेशी घूम रहे हैं. निगम के कांजी हाउस की क्षमता 650 है. मवेशी के कारण हर साल दर्जन भर मौत और रोज़ाना 60 -70 लोग घायल हो रहे हैं. शहर के भीतर 800 अवैध डेयरियां हैं. दूध निकालने के बाद, 8000 गाय-भैंसों को अक्सर सड़क पर छोड़ दिया जाता है.
अब FIR की बात
भोपाल नगर निगम अब आवारा पशुओं को सड़कों पर छोड़ने वाले पशु मालिकों के खिलाफ FIR दर्ज करवाएगा,दो लोगों पर मामला दर्ज भी हो गया है. पशु मालिकों को समझाना भी निगम के लिए चुनौती बनता जा रहा है.
आयुक्त कहते हैं कि अब नगर निगम, उनके मालिकों को ढूंढ़कर FIR दर्ज कराई जाएगी. 2 मामले में एफ़आइआर दर्ज हो भी चुकी है. अब हम लोगों ने जो मवेशी पकड़ने वाली गाड़ियां और टीम है उसको भी बढ़ा दिया है जल्द से जल्द ने हटाना हमारा मुख्य मक़सद है.
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