Indira Bhawan Inauguration: कांग्रेस (Congress) संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) ने बुधवार को पार्टी के नए मुख्यालय 'इंदिरा भवन' (Congress Inaugurates New HQ Indira Bhawan) का उद्घाटन किया. इस दौरान पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, सांसद राहुल गांधी (Rahul Gandhi) और पार्टी के अन्य प्रमुख नेता मौजूद रहे. कांग्रेस के नए मुख्यालय का नया पता 'इंदिरा गांधी भवन' 9ए, कोटला रोड होगा. यह दिल्ली स्थित बीजेपी मुख्यालय (BJP Headquarters) से करीब 500 मीटर दूर है. इस भवन का निर्माण सोनिया गांधी के पार्टी अध्यक्ष के कार्यकाल के दौरान शुरू हुआ था.
किसने क्या कहा?
राहुल गांधी ने इस दौरान कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन का प्रतिफल हमारा संविधान है, जिसकी कल मोहन भागवत ने परोक्ष रूप से आलोचना की जब उन्होंने कहा कि संविधान हमारी स्वतंत्रता का प्रतीक नहीं है. मोहन भागवत हर दो-तीन दिन में देश को यह बताने का साहस करते हैं कि वे स्वतंत्रता आंदोलन और संविधान के बारे में क्या सोचते हैं. उन्होंने कल जो कहा वह देशद्रोह है क्योंकि वह बता रहे हैं कि संविधान अमान्य है, अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई अमान्य थी. उन्होंने सार्वजनिक रूप से यह बात कहने का दुस्साहस किया है. उनका यह बयान हर एक भारतीय का अपमान है और अब समय आ गया है कि हम इस बकवास को सुनना बंद कर दें.
उन्होंने कहा कि यह इमारत हमारे समृद्ध इतिहास और मूल्यों से जुड़े रहते हुए दूरदर्शी बने रहने की हमारी प्रतिबद्धता का प्रतिबिंब है. याद रखने योग्य बात यह है कि इस भवन का निर्माण उस समय शुरू हुआ था जब श्रीमती सोनिया गांधी कांग्रेस अध्यक्ष के पद पर कार्यरत थीं. आज इसका उद्घाटन पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और सोनिया गांधी ने किया है. वहीं इस भवन निर्माण में कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी का अहम योगदान रहा है. इसके लिए हम उनका आभार जताते हैं.
बीजेपी ने किया पलटवार
भारतीय जनता पार्टी (BJP) के प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने बुधवार को कांग्रेस पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि कांग्रेस के नए हेड क्वार्टर और भवन के बाहर आज पोस्टर लगे हैं. इन पोस्टरों को मीडिया ने दिखाया है. ये पोस्टर कांग्रेस के समर्थकों ने ही लगाए होंगे. पोस्टर पर लिखा है इस भवन का नाम इंदिरा गांधी के नाम पर नहीं, बल्कि डॉ. मनमोहन सिंह के नाम पर रखना चाहिए. कांग्रेस पार्टी एक परिवार के आगे नहीं सोच पाती. कांग्रेस ने स्मारक और स्मृति पर किस प्रकार की ऊंची सियासत की उसे हमने देखा है. परंतु जब मनमोहन सिंह की राष्ट्रीय शोक अवधि थी, तब राहुल गांधी पार्टी के लिए निकल गए. वो उनके अस्थि विसर्जन और अखंड पाठ में भी शामिल नहीं हुए. जीते जी मनमोहन सिंह का बहुत अपमान किया गया. उनको फैसले लेने के लिए आजादी नहीं दी गई. उनके अध्यादेश तक फाड़े गए थे.
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