
IAS Saumya Jha Success Story: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के दौर में आईएएस अधिकारी सौम्या झा ने ऐसा कमाल कर दिखाया, जिससे सरकारी स्कूलों के उन बच्चों की भी ‘गणित से दोस्ती' हो गई, जो कभी इस विषय से डरते थे. IAS सौम्या झा की अनोखी पहल ‘पढ़ाई विद एआई' (Padhai With AI) की चर्चा आज तीन राज्यों बिहार, मध्य प्रदेश और राजस्थान में हो रही है.
सौम्या झा का जन्म बिहार में हुआ, बचपन मध्य प्रदेश में बीता और अब वे राजस्थान कैडर की 2017 बैच की भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी हैं. उनके एआई-आधारित लर्निंग प्रोग्राम PadhaiWithAI से न केवल छात्रों का गणित का डर खत्म हुआ, बल्कि राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की दसवीं परीक्षा के परिणामों में भी उल्लेखनीय सुधार हुआ.
IAS सौम्या झा का इंटरव्यू
NDTV MPCG से बातचीत में IAS सौम्या झा ने बताया कि साल 2024–2025 में राजस्थान के टोंक जिले की कलेक्टर रहते हुए उन्होंने महसूस किया कि “स्कूली बच्चों में गणित को लेकर एक अलग ही तरह का खौफ है.” यह डर तभी खत्म हो सकता था जब पढ़ाई को आसान और रोचक बनाया जाए. लेकिन सरकारी शिक्षकों के भरोसे यह काम पूरा करना संभव नहीं था, क्योंकि करीब 25% स्कूलों में गणित शिक्षकों के पद ही खाली थे.

सौम्या झा के अनुसार, बच्चों के मन में गणित का ऐसा डर बैठ गया था कि वे 10वीं बोर्ड में इस विषय में कम अंक लाते थे और 11वीं में विज्ञान संकाय लेने से भी कतराते थे. फील्ड विजिट में पता चला कि 90% बच्चे साइंस लेना चाहते हैं, लेकिन केवल 12% ही आगे चलकर साइंस ले पाते हैं. 10वीं में गणित में कमजोर प्रदर्शन के कारण बच्चों का साइंस पढ़ने का सपना अधूरा रह जाता था, क्योंकि जो छात्र मैथ्स में फेल होते हैं या कम अंक लाते हैं, उन्हें साइंस संकाय नहीं मिल पाता था.
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‘PadhaiWithAI.in' से सीखने का नया तरीका
10वीं कक्षा के बोर्ड परिणामों में सुधार लाने के लिए LAKSHYA 2025 अभियान के तहत AI-आधारित शिक्षा पहल PadhaiWithAI.in शुरू की गई. सरकारी स्कूलों की स्मार्ट कक्षाओं को इस प्लेटफ़ॉर्म से जोड़ा गया और बच्चों को गणित सरल भाषा में समझाया गया. टोंक जिले के सभी 353 सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूलों के 11,977 छात्रों को PadhaiWithAI योजना से जोड़ा गया. प्रत्येक छात्र को AI-आधारित पर्सनल ट्यूशन (Personalised Tutoring) दी गई—वह भी हिंदी और अंग्रेज़ी दोनों भाषाओं में. जनवरी से फरवरी 2025 तक 6 हफ्तों का छोटा लेकिन प्रभावी अभियान चला, जिससे 10वीं के गणित के परिणामों में ऐतिहासिक सुधार देखने को मिला.

AI प्लेटफ़ॉर्म ने कैसे किया कमाल
IAS सौम्या झा बताती हैं कि PadhaiWithAI के तहत एक विशेष वेबसाइट बनाई गई, जिसमें हर स्कूल के लिए अलग लॉगिन था. छात्रों को AI ट्यूटर की सुविधाएं दी गईं—जहां किताब के हर सवाल को AI न सिर्फ हल करता, बल्कि एक ही सवाल को बार-बार अलग तरीकों से समझाता. AI पुराने सवालों जैसे नए सवाल भी खुद Generate करता था. शिक्षक या छात्र कठिनाई स्तर तय कर जितने चाहें सवाल बना सकते थे. हर हफ्ते पूरे जिले में समान टेस्ट आयोजित होते थे, जिनका तुरंत विश्लेषण (Analytics) मिलता था. डेटा एनालिटिक्स और डैशबोर्ड से हर स्कूल और छात्र के प्रदर्शन की रिपोर्ट तैयार होती थी. कमजोर छात्रों की पहचान कर सुधार की रणनीति बनाई जाती थी. साथ ही, उपस्थिति (Attendance) भी ट्रैक की जाती थी.
अभियान का असर
IAS सौम्या झा की इस पहल का परिणाम शानदार रहा. सिर्फ छह हफ्तों में ही बच्चों के गणित के प्रदर्शन में रिकॉर्ड सुधार हुआ. वे न सिर्फ पास हुए, बल्कि ज़्यादा अंकों वाली श्रेणियों में भी पहुंचे. राजस्थान राज्य के औसत परिणामों से टोंक जिला आगे निकल गया.
श्रेणी | 2024 | 2025 | सुधार |
गणित पास रेट | 92% | 95.4% | +3% |
फर्स्ट डिवीजन (60%+) | 23% | 28.2% | +5% |
हाई अचीवर्स (80%+) | 5.5% | 7.5% | +2% |

मध्य प्रदेश में बीता सौम्या झा का बचपन
सौम्या झा का जन्म 8 जून 1993 को दरभंगा (बिहार) में हुआ. जन्म के 15 दिन बाद ही वे अपनी मां के साथ मध्य प्रदेश चली आईं, क्योंकि उनके पिता संजय कुमार झा उस समय मध्य प्रदेश कैडर के आईपीएस अधिकारी के रूप में पदस्थ थे. पिता की पोस्टिंग के चलते सौम्या का बचपन भोपाल, खंडवा, दमोह, ग्वालियर, जबलपुर और उज्जैन जैसे शहरों में बीता. इनके पति अक्षय गोदारा भी राजस्थान कैडर में आईएएस अधिकारी हैं.
पहले ही प्रयास में IAS बनीं सौम्या झा
मध्य प्रदेश में स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद सौम्या झा ने दिल्ली के मौलाना आज़ाद मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस किया. डॉक्टर बनने के बाद उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी शुरू की और 2016 में पहले ही प्रयास में AIR 58 हासिल करते हुए राजस्थान कैडर की IAS बनीं.
IAS सौम्या झा का सर्विस रिकॉर्ड
वर्तमान में IAS सौम्या झा निदेशक, चिकित्सा (IEC) विभाग, राजस्थान, जयपुर के पद पर कार्यरत हैं. हालांकि, फिलहाल वे मातृत्व अवकाश (Maternity Leave) पर हैं. टोंक की जिलाधिकारी बनने से पहले वे राजस्थान ग्रामीण आजीविका विकास परिषद (RGAVP), जयपुर में CEO, संयुक्त सचिव, गृह विभाग, और टोंक जिला परिषद की CEO जैसी महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभा चुकी हैं.
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