Negligence: जमीन अधिग्रहण कर भूल गई सरकार, अपने हक के लिए दर-दर भटक रहे हैं सैकड़ों किसान

MP News: डिंडोरी जिले में किसानों को बिना मुआवजा दिए ही प्रशासन ने उनकी भूमि का अधिग्रहण कर लिया. इस वजह से किसानों को कई सारी सरकारी योजनाओं का भी लाभ नहीं मिल पा रहा है.  

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कहां लेकर जाएं अपनी परेशानी को..

Farmers of Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के आदिवासी बाहुल्य डिंडोरी (Dindori) जिले में सरकारी सिस्टम की लापरवाही का खामियाजा सैंकड़ों किसान (Negligence with Farmers) भुगतने के लिए मजबूर हैं. बांध निर्माण के नाम पर जिला प्रशासन ने करीब दो साल पहले ही 527 किसानों की सैंकड़ों एकड़ भूमि का अधिग्रहण तो कर लिया गया, लेकिन ज्यादातर किसानों को मुआवजे की राशि अभी तक नहीं दी... भूमि का अधिग्रहण हो जाने के कारण सरकारी रिकार्ड (Government Records) से किसानों का नाम हटाकर उनकी भूमि को जल संसाधन विभाग (Department of Water Resources) के नाम पर चढ़ा दिया गया...

नियमों के मुताबिक मुआवजे की राशि देने के बाद ही भूमि अधिग्रहण किये जाने का प्रावधान है, लेकिन डिंडौरी जिले में अफसरों ने सारे नियम कायदों को ताक में रखकर गरीब आदिवासी किसानों को धोखा दिया है..

मुआवजा दिए बिना ही कर लिया किसानों की भूमि का अधिग्रहण 

दरअसल, वर्ष 2015 -16 में डिंडौरी जिले के जनपद पंचायत करंजिया क्षेत्र अंतर्गत बिठलदेह ग्राम स्थित सिवनी नदी में जल संसाधन विभाग के द्वारा करीब 384 करोड़ की लागत से बांध निर्माण किया जाना था, जिसमें बिठलदेह समेत 11 गांव के करीब 824 किसानों को विस्थापित किया जाना था. ग्रामीणों के विरोध के चलते बांध का निर्माण आजतक शुरू नहीं हो पाया, लेकिन वर्ष 2022 में जिला प्रशासन के द्वारा बांध निर्माण के नामपर 527 किसानों की सैंकड़ों एकड़ भूमि को अधिग्रहण कर लिया गया.

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दर-दर भटक रहे हैं किसान

कुल 527 किसानों में करीब 80 किसानों को मुआवजे की राशि तो दे दी गई, लेकिन 400 से अधिक किसानों की भूमि बिना मुआवजे की राशि दिये जबरन अधिग्रहित कर ली गई. भूमि अधिग्रहण की कार्यवाही के बाद राजस्व रिकार्ड से किसानों का नाम काटकर उक्त भूमि को जल संसाधन विभाग के नामपर चढ़ा दिया गया, जिसके बाद किसान खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं.

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राजस्व रिकार्ड से नाम कट जाने के कारण किसानों को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है. प्रभावित किसान अपना अनाज समर्थन मूल्य पर नहीं बेच पाते क्योंकि रिकार्ड में नाम नहीं होने की वजह से उनका पंजीयन नहीं हो पाता है. 

मरे हुए किसानों के नामपर तैयार किया गया सहमति पत्र

चुहचुही के किसानों से बात करने के बाद NDTV की टीम बिठलदेह गांव पहुंची और इस गांव में भी हमें ऐसे कई किसान मिले, जिनकी भूमि मुआवजा दिए बगैर ही प्रशासन ने अधिग्रहण कर लिया है. लेकिन, इस गांव में दो किसान ऐसे भी हैं, जिनकी मौत 2015 से पहले हो चुकी है और मौत के बाद उन किसानों के नाम पर सहमति पत्र बनाकर जमा किया गया है. गजरूप सिंह नामक किसान की मौत वर्ष 2008 में हो चुकी है, लेकिन गजरूप के नामपर वर्ष 2016 में सहमति पत्र भरकर जमा किया गया. गजरूप के बेटे अक्षय सिंह ने अपने पिता के मृत्यु प्रमाण पत्र दिखाते हुए न्याय की मांग की है. हालांकि, उन्होंने इस बात की शिकायत भी प्रशासन से की है.

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सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं किसान

गजरूप के अलावा नेहरू सिंह वालरे नामक किसान की मौत वर्ष 2015 में हो चुकी है और इनके परिजनों का भी आरोप है की मृत्यु के होने के बाद उनके नाम से फ़र्ज़ी सहमति पत्र बनाया गया है. गांव के पूर्व सरपंच परेत्तम सिंह का कहना है की पिछले 9 साल से बांध निर्माण के नामपर किसानों को डराया धमकाया जा रहा है और किसानों की भूमि को बिना मुआवजा दिए अधिग्रहण कर लिया गया है जोकि अनुचित है. 

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जल संसाधन विभाग के अधिकारी ने जिला प्रशासन को बताया जिम्मेदार

जल संसाधन विभाग के कार्यपालन यंत्री एस के शर्मा से जब हमने बिठलदेह ग्राम में प्रस्तावित डिंडौरी मध्यम सिंचाई परियोजना के निर्माण एवं मुआवजे प्रक्रिया में की गई मनमानी को लेकर सवाल किये, तो उनका कहना था कि कुल 527 किसानों को दी जाने वाली मुआवजे की रकम 90 करोड़ रूपये उनके विभाग के द्वारा कलेक्ट्रेट कार्यालय में सालों पहले जमा कराई जा चुकी है. करीब 80 किसानों को मुआवजे की राशि काफी पहले दी भी जा चुकी है, लेकिन विरोध के चलते 400 से ज्यादा किसानों को मुआवजा नहीं दिया जा सका. मुआवजा की राशि दिए बिना किसानों की भूमि का अधिग्रहण करने के सवाल पर कार्यपालन यंत्री ने जिलाप्रशासन को जिम्मेवार बताया. 

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