Honorarium scam in Satna: मध्य प्रदेश के सतना में मानदेय घोटाले (Honorarium scam) का खुलासा हुआ है. यह घोटाला स्वास्थ्य विभाग को आउटसोर्स के जरिए डाटा इंन्ट्री ऑपरेटर, ड्राइवर, केयर टेकर, सफाई कर्मचारी उपलब्ध कराने वाली कंपनी स्काई ब्लू द्वारा किया गया है. वहीं घोटाले का खुलासा एनएचएम के डिप्टी डायरेक्टर के द्वारा किए गए निरीक्षण में हुआ है.
दरअसल, डिप्टी डायरेक्टर डॉ अंशुल उपाध्याय ने ठेके देने वाली कंपनी स्काई ब्लू में औचक निरीक्षण किया. इस दौरान करीब 350 कर्मचारियों का हक मारने का मामला सामने आया.
कर्मचारियों ने कंपनी के कारनामे की खोली पोल
सतना और मैहर के करीब 350 कर्मचारियों ने कंपनी के कारनामे की पोल खोलते हुए बैंक स्टेटमेंट का पुलिंदा सौंप दिया. बैंक स्टेटमेंट से ये साफ हो गया कि आउट सोर्स कर्मचारियों को सेवाओं के बदले हर महीने 9257 रुपये मानदेय सरकार के द्वारा दिया जा रहा है, जबकि कंपनी के द्वारा उनके बैंक खातों में 5500-6000 रुपये ही जमा कराए जा रहे हैं.
कार्रवाई के दिए निर्देश
बता दें कि कंपनी के खिलाफ मिली शिकायतों की जांच के लिए सतना दौरे पर आए एनएचएम के डिप्टी डॉयरेक्टर डॉ अंशुल उपाध्याय ने कर्मचारियों से इस बारे में जानकारी ली. उनके सामने आउट सोर्स कर्मचारियों ने कंपनी और अधिकारियों की मिली भगत की पोल खोल दी. इसके बाद भोपाल के अधिकारी ने जिला मुख्य चिकित्सा व स्वास्थ्य अधिकारी को त्वरित कार्रवाई करने के निर्देश दिए.
सीएचसी मझगवां के स्टाफ ने दिखाया साहस
डिप्टी डायरेक्टर चित्रकूट से सतना वापस आ रहे थे. इसी दौरान सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र मझगवां में नेत्र विभाग की स्थितियों का जायजा लेने के लिए पहुंच गए. इस दौरान कई खुलासे हुए. पहले से निरीक्षण की जानकारी मिलने पर आउटसोर्स कर्मियों ने अपने अपने बैंक खातों का स्टेटमेंट निकलवा कर साथ रखा था. इसी बीच आउटसोर्स कर्मियों के एक समूह ने कागजों का पुलिंदा दिखाते हुए बताया कि किस तरह से स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों की मिलीभगत से स्काई ब्लू कंपनी का ठेकेदार दस हजार की जगह 5-6 रुपये मानदेय पकड़ा रहा है. इसके अलावा ईएसआईसी का पैसा हर महीने काटा जाता है, लेकिन आज तक किसी भी कर्मचारी का ईएसआईसी में इलाज मिलना तो दूर कार्ड तक नहीं बना.
डीपीओ और लेखा प्रबंधक को नोटिस
इस मामले में सीएमएचओ डॉ एलके तिवारी ने जिला कार्यक्रम प्रबंधक (डीपीओ) डॉ निर्मला पाण्डेय और लेखा प्रबंधक सुभाष चंदेल को नोटिस जारी कर तीन दिन में जवाब देने को कहा है.
बता दें कि डीपीओ को वेरीफायर की जिम्मेदारी दी गई है, लेकिन यहां कर्मचारियों का आर्थिक शोषण हो रहा है. इसके बाद भी उन्होंने कोई रिपोर्ट नहीं दी. ऐसे में यह बात साफ है कि निर्मला पाण्डेय के द्वारा पूरे मामले में उदाशीनता बरती गई है. वहीं जिला लेखा प्रबंधक सुभाष चंदेल को मेकर का जिम्मा दिया गया था. जिन पर आरोप है कि उन्होंने अपना काम सही तरीके से नहीं किया.