MP News: मध्य प्रदेश में जंगली हाथियों की सुरक्षा और प्रबंधन के मुद्दे पर हाईकोर्ट ने सरकार और याचिकाकर्ता से आवश्यक सुझाव पेश करने को कहा है. मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति विवेक जैन के पीठ ने राज्य सरकार से पूछा कि अन्य प्रदेशों के विशेषज्ञों की मदद किस प्रकार ली जाएगी और इस संबंध में विस्तृत जानकारी प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है. वहीं अब अगली सुनवाई 25 नवंबर को होगी.
अंतिम उपाय को प्राथमिक उपाय के रूप में अपना रही मध्य प्रदेश सरकार
रायपुर निवासी नितिन सिंघवी ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट याचिका दायर की है. इस याचिका में कहा गया है कि केंद्रीय पर्यावरण विभाग की गाइडलाइन्स के अनुसार, जंगली हाथियों को पकड़ना अंतिम उपाय होना चाहिए. हालांकि मध्य प्रदेश में इसे प्राथमिक उपाय के रूप में अपनाया जा रहा है.
हाथियों के प्रवेश से राज्य में बढ़ रहीं समस्याएं
छत्तीसगढ़ से आए जंगली हाथियों के झुंड मध्य प्रदेश के जंगलों में प्रवेश कर रहे हैं. इससे किसानों की फसलें नष्ट हो रही हैं. घरों में तोड़फोड़ की घटनाएं और इन हाथियों के हमले से लोगों की जान भी जा चुकी हैं.
याचिकाकर्ता ने कोर्ट में क्या कहा?
1. जंगली हाथियों को पकड़ने का निर्णय केवल प्रिंसिपल चीफ कंजरवेटर फॉरेस्ट (पीसीसीएफ) वाइल्डलाइफ के आदेश पर ही हो सकता है.
2. पकड़े गए हाथियों को टाइगर रिजर्व में भेजकर प्रशिक्षण दिया जाता है, जिसमें उन्हें यातनाओं का सामना करना पड़ता है.
3. याचिका में यह भी कहा गया कि पिछले 30 वर्षों में पकड़े गए हाथियों का विवरण प्रस्तुत किया जाए.
सरकारी रिपोर्ट का खुलासा
सरकार ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि 2017 से अब तक 10 जंगली हाथियों को पकड़ा गया है. इनमें से दो हाथियों को छोड़ा गया है. एक हाथी को छोड़ने के लिए विदेश से कॉलर आई मंगाई गई है. दरअसल, पिछले सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया था कि पिछले 30 वर्षों में पकड़े गए हाथियों का पूरा विवरण पेश किया जाए.
हाईकोर्ट का रुख
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देशित किया कि वह जंगली हाथियों की प्रबंधन रणनीति के लिए विशेषज्ञों की मदद ले. साथ ही याचिकाकर्ता को भी व्यावहारिक सुझाव पेश करने को कहा गया है.
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